मालदीव सरकार (Government of Maldives) ने मंगलवार, 23 जनवरी को जारी एक बयान में दावा किया है कि चीन का अनुसंधान पोत 'जियांग यांग होंग 3' (Xiang Yang Hong 3) मालदीव के जल क्षेत्र में रिसर्च नहीं करेगा.
मालदीव में चीन के जहाज की यात्रा ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी है, विशेष रूप से श्रीलंका द्वारा चीनी अनुसंधान जहाजों पर एक साल की रोक लगाने के फैसले के बाद. बता दें कि भारतीय आशंकाओं के जवाब में श्रीलंका ने 1 जनवरी से चीन के जहाजों के अपने बंदरगाहों पर रुकने या अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में संचालन पर रोक लगा दी है.
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा:
“चीन की सरकार ने जहाज कर्मियों के रोटेशन और रिप्लेनिशमेंट (पुनर्भरण) के लिए मालदीव सरकार से अनुरोध किया था. मालदीव के जल क्षेत्र में रहते हुए जहाज कोई रिसर्च नहीं करेगा.''
भारतीय नौसेना के सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि वे जहाज की "गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं", जो कथित तौर पर मालदीव की राजधानी माले (Male) की ओर जा रहा है.
अनुसंधान जहाज Xiang Yang Hong 03, 16 जनवरी को चीनी बंदरगाह सान्या से रवाना हुआ, इसके 8 फरवरी को माले पहुंचने की उम्मीद है. बता दें कि ये जहाज जनवरी से मई 2024 तक दक्षिणी हिंद महासागर में योजनाबद्ध खोज की यात्रा पर निकला है.
इस बीच, भारतीय अधिकारियों ने इस तरह की गतिविधियों को लेकर हामी भरी और कथित तौर पर मामले पर टिप्पणी देने से परहेज किया. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया कि यह एक "नियमित गतिविधि" थी.
जहाज को "जासूसी जहाज" कहने वाली मीडिया रिपोर्ट्स पर टिप्पणी करते हुए, सूत्र ने द क्विंट को आगे बताया:
"जिस जहाज की बात की जा रही है, वह एक रिसर्च और सर्वे जहाज है, जो पहले भी इन जलक्षेत्रों में रहा है और समुद्र तल की स्टडी करने और प्राकृतिक आपदाओं को रोकने का दावा करता है. लेकिन यह देखते हुए कि एकत्र की गई जानकारी की कोई जांच नहीं होती है, केवल बीजिंग ही इसका जवाब दे सकता है कि जहाज 'जासूसी' के लिए है या नहीं."
Sri Lanka Guardian के मुताबिक, भारत सरकार के लगातार दबाव के बावजूद, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने 3 जनवरी को चीन की रिसर्च जहाजों को मालदीव में डॉक करने की छूट दे दी. भारत ने पहले 'जियांग यांग होंग 03' की डॉकिंग को लेकर श्रीलंका और मालदीव सरकार से आपत्ति जताई थी.
माले (Male) का कहना है कि "मालदीव हमेशा दोस्ताना बर्ताव वाले राष्ट्रों के जहाजों के लिए एक वेलकमिंग डेस्टिनेशन रहा है. हम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए पोर्ट पर जाने वाले सिविलियन और मिलिट्री दोनों तरह के जहाजों की मेजबानी करते रहे हैं."
पिछले साल अक्टूबर में इसी तरह की एक घटना में, चीनी रिसर्च शिप शियान 6 (Shiyan 6) पुनर्भरण के लिए और श्रीलंका के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में मालदीव की राष्ट्रीय जलीय संसाधन अनुसंधान और विकास एजेंसी (NARA) के साथ संयुक्त सैन्य वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए 28 अक्टूबर तक कोलंबो के बंदरगाह पर खड़ा था. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बावजूद ऐसा हुआ.
चीन की बढ़ रही उपस्थिति?
The Hindu की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2023 में भारतीय नौसेना के एक प्रतिनिधि ने रक्षा मामलों पर संसदीय स्थायी समिति को जानकारी देते हुए बताया कि चीन ने एक दशक में अहम नौसैनिक विस्तार किया है.
गौर करने वाली बात है कि चीन का नौसैनिक बेड़ा 250 से बढ़कर 350 से ज्यादा जहाजों तक पहुंच गया है, जिससे दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना के रूप में उसकी स्थिति मजबूत हो गई है.
इसके फैलते दायरे में हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बढ़ती उपस्थिति शामिल है, जिसमें किसी भी वक्त पांच से नौ चीनी जहाज अपने रिसर्च जहाजों के साथ काम कर रहे हैं.
भारतीय नौसेना के प्रतिनिधि ने अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में चीन की रिसर्च गतिविधियों के डेटा को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की. नियम इन जल क्षेत्रों में रिसर्च की अनुमति देते हैं, प्रतिनिधि ने बताया कि एकत्र किए गए डेटा का अक्सर नागरिक और सैन्य दोनों के लिए इस्तेमाल होता है, ऐसे में चीनी जहाजों के उद्देश्यों ने संदेह पैदा किया है.
अहम बात यह है कि कथित तौर पर चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू के पदभार ग्रहण करने के बाद, जहाज को "मित्रवत" देश का जहाज बताया गया है.
बता दें कि मुइज्जू के चीन से लौटने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद चीन के अंतरराष्ट्रीय विभाग की उपमंत्री सन हैयान (Sun Haiyan) ने मालदीव का दौरान किया और राष्ट्रपति से मुलाकात की. चीनी मंंत्री के दौरे के कुछ दिनों बाद इस जहाज के मालदीव पहुंचने की उम्मीद है.
चीन और मालदीव ने एक तरफ रणनीतिक संबंधों को "बढ़ाने" पर सहमति जताई, तो दूसरी तरफ मुइज्जू ने 15 मार्च तक मालदीव से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने का औपचारिक आह्वान किया.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता के अलावा दोनों देशों के बीच 20 समझौतों पर हस्ताक्षर, मालदीव को 130 मिलियन डॉलर की सहायता देने पर सहमति बनी. दोनों देशों की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया,
"चीन अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय गरिमा को बनाए रखने में मालदीव का पूरी तरह से समर्थन करता है. इसके अलावा चीन मालदीव की राष्ट्रीय परिस्थितियों के मुताबिक विकास पथ की खोज का सम्मान और समर्थन करता है और मालदीव के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप का पुरजोर विरोध करता है."
माले और नई दिल्ली ने सैनिकों की वापसी पर बातचीत के लिए एक उच्च स्तरीय कोर ग्रुप का गठन किया था, जिसकी पहली बैठक एक हफ्ते पहले हुई थी जबकि एक और बैठक जल्द ही भारत में होने वाली है. मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिए कहा.
हालांकि, बैठक के बाद भारत की ओर से कहा गया कि दोनों पक्षों ने "मानवीय और मेडिकल सेवाएं प्रदान करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को सक्षम बनाने के लिए एक पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधान खोजने पर काम किया."
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