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भारत ने पहली बार माना, तालिबान अफगानिस्तान में शक्ति और अधिकार की स्थिति रखता है

भारत ने कहा, आतंकवाद से जुड़ी गतिविधयों के अफगानिस्तान को इस्तेमाल नहीं करने दी जाएगी जमीन

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दुनिया
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<div class="paragraphs"><p>जारी किया गया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव</p></div>
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जारी किया गया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव

(फोटो- द क्विंट)

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भारत (India) ने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक संयुक्त बयान में स्वीकार किया कि तालिबान समूह अफगानिस्तान में शक्ति और अधिकार की स्थिति रखता है. रविवार को ऑस्ट्रेलिया के साथ जारी किए संयुक्त बयान में भारत ने माना कि तालिबान की सत्ता पूरे अफगानिस्तान पर है. इस बयान को भारत की की नीति की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाने जैसा माना जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक तालिबान कैबिनेट की घोषणा के बाद सोच-समझकर ये बयान दिया गया है.

रविवार के संयुक्त बयान में मंत्रियों ने भी अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की. मंत्रियों ने तालिबान से विदेशी नागरिकों और देश छोड़ने के इच्छुक अफगानों के लिए सुरक्षित मार्ग की गारंटी देने का आह्वान किया.

उन्होंने UNSCR 2593 के अनुसार, आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धताओं और मानवाधिकारों का पालन करने के लिए पूरे अफगानिस्तान में सत्ता और अधिकार के पदों पर कॉल को दोहराया.

भारत की महीने भर की अध्यक्षता के तहत 30 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव-2593 जारी किया गया. इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि अफगानिस्तान को आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए.

भारत के द्वारा संयुक्त बयान में मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टों को रेखांकित किया गया है. इस संबंध में मंत्रियों ने महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और सार्वजनिक जीवन में उनकी पूर्ण भागीदारी का आश्वासन दिया.

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अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता के लिए बयान में एक व्यापक और समावेशी सरकार की मांग की गई.

आतंकवाद पर चिंता जताते हुए दोनों तरफ से यह कहा गया कि दुनिया भर में चल रहे आतंकवादी खतरों के लिए अफगानिस्तान में विकास के व्यापक नतीजों के प्रति सतर्क रहने पर सहमति हुई है.

जयशंकर और ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने के अलावा, 2+2 वार्ता में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके समकक्ष पीटर डटन शामिल थे.

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