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अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का सैन्य अभियान बेरोकटोक चल रहा है. संगठन ने 12 अगस्त को देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया. हेरात (Herat) के साथ-साथ कंधार (Kandahar) भी तालिबानी नियंत्रण में चला गया है. अमेरिकी सेना की वापसी 31 अगस्त तक पूरी हो जाएगी और उसके बाद राजधानी काबुल (Kabul) का भविष्य खतरे में हो सकता है. वहीं, खबर आई है कि अफगान सरकार ने तालिबान के सामने एक समझौते की पेशकश की है.
तालिबान अब अफगानिस्तान की 34 में से 13 प्रांतीय राजधानियों का नियंत्रण पा चुका है. हालांकि, हेरात और कंधार तालिबान के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है. मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि कंधार बिना किसी बड़ी लड़ाई के तालिबानी हाथों में चला गया है. लंबी लड़ाई के बाद तालिबान ने हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्कर गाह का भी नियंत्रण पा लिया है.
अमेरिका का अफगानिस्तान मिशन अगले कुछ हफ्तों में खत्म होने जा रहा है, लेकिन तालिबान के बढ़ते नियंत्रण को देखते हुए राष्ट्रपति जो बाइडेन 3000 अतिरिक्त सैनिक काबुल एयरपोर्ट भेज रहे हैं. ये सैनिक अमेरिकी दूतावास को आंशिक रूप से खाली कराने में मदद करेंगे.
वहीं, ब्रिटेन भी 600 सैनिक अफगानिस्तान भेज रहा है. ये सैनिक ब्रिटिश नागरिकों को अफगानिस्तान से निकलने में मदद देंगे. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सैनिक ब्रिटिश नागरिकों को जरूरत पड़ने पर सुरक्षा और लॉजिस्टिकल मदद देंगे. माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में अभी 4000 ब्रिटिश नागरिक मौजूद हैं.
गजनी शहर पर कब्जा होने के बाद अफगान सरकार पर दबाव हद से ज्यादा बढ़ गया है. गजनी राजधानी से महज 150 किलोमीटर दूर है.
न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, कतर में अफगान सरकार ने तालिबान को एक सत्ता-साझेदारी समझौते की पेशकश की है. कतर के दोहा में अफगान सरकार और तालिबान के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही है.
एक सरकारी सूत्र ने AFP को बताया कि सत्ता-साझेदारी के बदले में देश में लड़ाई और हिंसा बंद करने की मांग की गई है. मार्च में जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने राष्ट्रपति अशरफ गनी को खत लिखकर अफगान समस्या का हल ढूंढने को कहा था, तब भी सत्ता-साझेदारी समझौते की चर्चा हुई थी.
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