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भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए पहचाने जाने वाले, भारत में जन्मे शीर्ष अमेरिकी अभियोजक प्रीत भरारा को ट्रंप प्रशासन ने 'निकाल दिया' है. भरारा ने बराक ओबामा प्रशासन के दौरान नियुक्त 46 वकीलों को तुरंत इस्तीफा देने के ट्रंप प्रशासन के आदेश को मानने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद यह कदम उठाया गया.
प्रीत भरारा ने ट्वीट कर कहा, "मैंने इस्तीफा नहीं दिया. कुछ देर पहले मुझे निकाल दिया गया. सदर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क (एसडीएनवाई) में अमेरिकी अटॉर्नी रहते हुए मेरे दिल में मेरी पेशेवर जिन्दगी के लिए काफी सम्मान रहेगा."
48-वर्षीय भरारा अमेरिका के सबसे ज्यादा हाई-प्रोफाइल संघीय अभियोजक हैं. उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए जाना जाता है. एक दिन पहले कार्यवाहक डिप्टी अटॉर्नी जनरल ने उन्हें तुरंत इस्तीफा देने के लिए कहा था.
प्रीत भरारा के एक करीबी सूत्र ने बताया था कि मैनहट्टन के संघीय अभियोजक ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था. सात वर्ष तक भरारा एसडीनएवाई के लिए अमेरिकी अटॉर्नी रहे. उनके न्यायाधिकार क्षेत्र के तहत ट्रंप टॉवर भी आता था.
रिपब्लिकन पार्टी की ओर से ट्रंप के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के कुछ ही समय बाद भरारा की उनसे ट्रंप टॉवर में मुलाकात हुई थी. ट्रंप से मिलने के बाद भरारा ने संवाददाताओं को बताया था कि ट्रंप ने मुलाकात में उनसे पद पर बने रहने को कहा था और वह इसके लिए सहमत हो गए थे.
इस बीच, सीनेट में अल्पसंख्यकों के नेता चार्ल्स शूमेर ने भरारा को हटाए जाने की आलोचना की और उन्हें उत्कृष्ट अमेरिकी अटॉर्नी बताया है. साउथ एशियन बार एसोसिएशन ने भी भरारा को हटाए जाने की आलोचना की है. सीनेटर पैट्रिक लेही ने न्याय विभाग की स्वतंत्रता को लेकर आशंका जाहिर की है. वह सीनेट की न्यायिक समिति के रैंकिंग सदस्य भी हैं.
(इनपुट भाषा से)
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