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पिछले महीने की शुरुआत में भारत ने कई भारतीय न्यूज चैनलों पर प्रोपेगेंडा चलाने का आरोप लगाते हुए बैन लगा दिया था. अब ये बैन हटा लिया गया है, इस बात की जानकारी नेपाल डिश होम के मैनेजिंग डायरेक्टर ने दी है.
इससे पहले जुलाई में मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि दूरदर्शन को छोड़कर अन्य भारतीय न्यूज चैनलों को बंद किया जा रहा है. उस वक्त नेपाल की सत्ताधारी पार्टी में प्रवक्ता और पूर्व उप प्रधानमंत्री नारायण काजी श्रेष्ठा ने भारतीय मीडिया पर जमकर हमला बोला था. नेपाली मीडिया के मुताबिक उन्होंने कहा था कि,
भारत-नेपाल के रिश्तों में हमेशा गरमाहट रही है लेकिन पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच के संबंध में कड़वाहट आई है. ये मामला मई से शुरू हुआ जब नेपाल ने बॉर्डर पर अपनी तरफ कालापानी के पास छांगरू में आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) को तैनात कर दिया. ये तैनाती भारत के रणनीतिक तौर पर अहम लिपुलेख पास को जोड़ने वाली एक लिंक रोड को बनाने के जवाब में की गई थी.
अगले ही महीने नेपाल ने अपनी संसद में नए नक्शे से जुड़ा संविधान संशोधन बिल पास करा लिया. इस नक्शे में भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया. भारत ने इस नक्शे को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा था कि “कृत्रिम रूप से क्षेत्र के विस्तार” को सहन नहीं किया जाएगा. उस वक्त भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नेपाल के संशोधित नक्शे में भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है और काठमांडू को इस तरह के ‘’अनुचित मानचित्रीकरण दावे’’ से बचना चाहिए.
नक्शा विवाद के अलावा नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की तरफ से भारत से जुड़े कुछ विवादास्पद बयान भी सामने आए.
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