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रूस के हमले के बाद यूक्रेन (Russia Ukraine crisis) में दहशत का माहौल है. आसमान से बम बरस रहे हैं. जमीन पर सेना हथियारों से लदी गाड़ियां लेकर घूम रही है. बाहर निकलना सुरक्षित नहीं. मेट्रो स्टेशन काफी गहराई में बने हैं, इसलिए जान बचाने के लिए लोग घर छोड़कर वहीं जाकर छुप रहे हैं. कई तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसमें पिता अपनी बेटी को फाइनल गुडबाय कह रहा है. भारत में भी कई परिवार परेशान हैं. उनके बच्चे युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे हैं.
ये कहानी कानपुर में रहने वाली जेन्सी की है. यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक सुबह पता चला कि रूस ने हमला कर दिया है. तब से परेशान हैं. उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि ऐसा कुछ होगा.
जेन्सी यूक्रेन में मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट में रह रही हैं. उन्होंने परिवार के लोगों को बताया कि यहां की स्थिति बहुत खराब है. लोग मेट्रो स्टेशन और ट्रेन में रहने को मजबूर हैं. यहां भारतीय बहुत समस्या में फंसे हुए हैं. हम लोग बहुत चिंतित है कि आगे क्या होने वाला है. यहां पर खाने पीने का समान है. हम भारतीय दूतावास से आग्रह करते है हम सभी भारतीयों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए.
कानपुर के सूटर गंज में रहने वाले विनोद यादव के दो बच्चे यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया, अक्षरा और आरव नेशनल खारकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल नंबर 5 में हैं. जान बचाने के लिए हॉस्टल के बेसमेंट में छुपे हैं. शाम 8:00 बजे तक बच्चों से बात हुई. दोनों सुरक्षित हैं. उन लोगों को अंदर ही रोक दिया गया है बाहर निकलना मना है.
औरैया में रहने वाले दो छात्र वापस लौट आए हैं. बिधूना में रहने वाले सुनील सेंगर की बेटी अंशिका और बेटा अभिषेक यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. दोनों भाई-बहन एक ही फ्लाइट से 20 फरवरी को दिल्ली पहुंचे थे और देर रात अपने गांव वापस आ गए.
अंशिका ने बताया, वह यूक्रेन के जिस ओडैसा शहर में रह रही थी, उसी शहर पर रूस ने सुबह पांच बजे हमला किया. लोग कह रहे थे युद्ध नहीं होगा. पर हमने एंबेसी की एडवाइजरी आने से पहले ही फ्लाइट बुक करा ली थी. लवीव शहर पोलैंड की सीमा से लगा हुआ है. जो सुरक्षित इलाका है. फिर भी वह भाई को लेकर आई है.
इनपुट- विवेक मिश्रा
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