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Iran nuclear Deal: अमेरिका के साथ शुरू होगी वार्ता, ईरान के साथ बनेगी बात?

2015 में ईरान और दुनिया के 6 शक्तिशाली देशों (P5+1) के बीच हुए परमाणु डील पर वापस लौटना अभी भी दूर की कौड़ी

आशुतोष कुमार सिंह
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>Iran nuclear Deal: अमेरिका के साथ शुरू होगी  वार्ता, ईरान के साथ बनेगी बात?</p></div>
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Iran nuclear Deal: अमेरिका के साथ शुरू होगी वार्ता, ईरान के साथ बनेगी बात?

(फोटो- अलटर्ड बाई क्विंट)

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ईरान (Iran) और अमेरिका (United States of America) के बीच परमाणु समझौते (Nuclear deal) को पुनर्जीवित करने के लिए अप्रत्यक्ष वार्ता अगले सप्ताह एक लंबे विराम के बाद फिर से शुरू होने वाली है. दोनों के बीच वार्ता के लंबे विराम ने इस ऐतिहासिक समझौते को बहाल करने की संभावनाओं को संदेह में डाल दिया था.

2015 में ईरान और दुनिया के 6 शक्तिशाली देशों (P5+1) के बीच हुए इस परमाणु डील पर वापस लौटना अभी भी दूर की कौड़ी है. लेकिन 29 नवंबर को वियना में शुरू होने वाली यह वार्ता इस बात पर जरूर प्रकाश डालेगी कि तेहरान (ईरान की राजधानी) नवनियुक्त रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के शासन में कूटनीति का कैसे रुख अख्तियार करेगा . याद रहे कि राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की सरकार ने सौदे पर वापसी से पहले ईरानी की तरफ से मांगों की लंबी फेहरिस्त रखी है.

“ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते पर लौटने के लिए होने वाले अप्रत्यक्ष वार्ता से क्या उम्मीद रखी जा सकती है?” के सवाल से पहले आसान भाषा में जानते हैं कि 2015 ने हुआ यह परमाणु समझौता क्या था और समझौता टूटा क्यों?

ईरान परमाणु समझौता क्या था?

2015 में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर P5 + 1 के रूप में जानी जाने वाली विश्व शक्तियों - अमेरिका, यूके, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी- के एक समूह के साथ एक दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की.

यह समझौता परमाणु हथियार विकसित करने के ईरान के कथित प्रयासों पर विश्व शक्तियों के साथ वर्षों के तनाव के बाद आया था. हालांकि ईरान ने जोर देकर कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ऐसा नहीं माना.

समझौते के तहत ईरान को अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करना था और आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले उसे अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को अपने परमाणु कार्यक्रम के निरिक्षण करने की अनुमति देनी थी.

ईरान के इनरिच्ड यूरेनियम के भंडार को 98% घटाकर 300 किलोग्राम (660 पाउंड) कर दिया गया था और इस आंकड़े को ईरान 2031 तक पार नहीं कर सकता था. डील के तहत, ईरान ने कहा कि वह रिएक्टर को फिर से डिजाइन करेगा ताकि वह किसी भी हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का उत्पादन न कर सके.

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों ​​​​को ईरान के घोषित परमाणु स्थलों की लगातार निगरानी करने और यह वेरीफाई करने का काम सौंपा गया था कि परमाणु बम बनाने के लिए कोई भी काम गुप्त तरीके से न हो रहा हो.

जब ट्रंप ने तोड़ा समझौता, ईरान पर लादे आर्थिक प्रतिबंध

ईरान समझौते के तहत ईरान पर सभी परमाणु-संबंधी प्रतिबंध हटा दिए गए थे और यह देश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की बिक्री फिर से शुरू करने और व्यापार के लिए वैश्विक वित्तीय प्रणाली का उपयोग करने में सक्षम था.

हालांकि मई 2018 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने समझौते को "इसके मूल में दोषपूर्ण" कहते हुए अमेरिका को बाहर निकाल लिया. ट्रंप ने नवंबर 2018 में ईरान पर सभी अमेरिकी प्रतिबंधों को एक बार फिर लाद दिया.

जब 2019 में प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया गया, तो ईरान ने डील के शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया. हालत यह है कि नवंबर 2021 तक ईरान ने इनरिच्ड यूरेनियम का एक भंडार जमा कर लिया है और जो कि अनुमति से कई गुना ज्यादा है. इसमें कम से कम 17.7 किग्रा (39lb) परमाणु मेटेरियल 60% शुद्धता से इनरिच्ड है - यह एक बम के लिए आवश्यक स्तर से ठीक नीचे है.

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ईरान परमाणु समझौते पर लौटने के लिए शुरू हुआ बातचीत का दौर

ईरान परमाणु समझौते को बचाने और ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने की स्थिति से वापस लाने के लिए बातचीत मई 2021 में फिरसे तब शुरू हुई जब जो बाइडेन डोनाल्ड ट्रम्प को हराकर अमेरिकी राष्ट्रपति बनने में सफल हुए.

राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अगर ईरान अपने उल्लंघनों को उलट देता है तो अमेरिका परमाणु समझौते में फिर से शामिल हो जाएगा और अपने आर्थिक प्रतिबंध को हटा देगा. हालांकि उनके ईरानी समकक्ष इब्राहिम रायसी का कहना है कि अमेरिका को पहला कदम उठाना चाहिए.

याद रहे कि यदि वार्ता विफल हो जाती है और ईरान द्वारा समझौते का उल्लंघन करने की पुष्टि होती है, तो संयुक्त राष्ट्र (UN) के सभी प्रतिबंध पांच साल के विस्तार की संभावना के साथ, 10 वर्षों के लिए स्वचालित रूप से ईरान पर वापस लग जायेंगे.

ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता से क्या उम्मीद रखी जा सकती है?

29 नवंबर को वियना में शुरू ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता पर अल-जजीरा से ईरानी-अमेरिकी पत्रकार और विश्लेषक नेगर मुर्तजावी ने कहा कि इससे हमें यह पता लगेगा कि ये (ईरानी) कट्टरपंथी पिछले कट्टरपंथियों से कितने अलग हैं; हम यह पता लगाने जा रहे हैं कि क्या वे थोड़े नरम हैं.

परमाणु समझौते के समर्थकों ने प्रशासन के पहले महीनों में समझौते को बहाल करने के लिए तत्परता से आगे नहीं बढ़ने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की आलोचना करते रहे हैं क्योकि तब ईरान में पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी के नेतृत्व में एक अधिक उदार सरकार थी.

अप्रैल और जून के बीच वियना में छह दौर की वार्ता ईरान परमाणु समझौते पर वापस जाने का रास्ता बनाने में विफल रही. अब कि जब तेहरान में रूढ़िवादियों का प्रभाव है ईरान ऐसी परमाणु विशेषज्ञता प्राप्त कर रहा है जिसे पलटना लगभग ना-मुमकिन है, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन एकतरफा प्रतिबंधों को कम करने के लिए अनिच्छुक दिख रहे हैं.

एक मुश्किल यह है कि विदेश नीति पर बाइडेन अभी भी अफगानिस्तान से लगभग शर्मनाक वापसी के नतीजों से निपट रहे हैं, जिसके दौरान कुछ रिपब्लिकन ने उनके इस्तीफे की मांग भी की थी. हालांकि ईरान परमाणु समझौते को सर्वे के अनुसार अभी भी अमेरिकी जनता का समर्थन प्राप्त है लेकिन कांग्रेस में बाइडेन के अपनी पार्टी के कुछ शीर्ष डेमोक्रेट इस डील को लेकर संशय में हैं और रिपब्लिकन लगभग एकमत से इसका विरोध कर रहे हैं. ईरान को किसी भी अमेरिकी रियायत से राष्ट्रपति को अमेरिका के अंदर आलोचना झेलने की संभावना है.

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