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ईरान (Iran) और अमेरिका (United States of America) के बीच परमाणु समझौते (Nuclear deal) को पुनर्जीवित करने के लिए अप्रत्यक्ष वार्ता अगले सप्ताह एक लंबे विराम के बाद फिर से शुरू होने वाली है. दोनों के बीच वार्ता के लंबे विराम ने इस ऐतिहासिक समझौते को बहाल करने की संभावनाओं को संदेह में डाल दिया था.
2015 में ईरान और दुनिया के 6 शक्तिशाली देशों (P5+1) के बीच हुए इस परमाणु डील पर वापस लौटना अभी भी दूर की कौड़ी है. लेकिन 29 नवंबर को वियना में शुरू होने वाली यह वार्ता इस बात पर जरूर प्रकाश डालेगी कि तेहरान (ईरान की राजधानी) नवनियुक्त रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के शासन में कूटनीति का कैसे रुख अख्तियार करेगा . याद रहे कि राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की सरकार ने सौदे पर वापसी से पहले ईरानी की तरफ से मांगों की लंबी फेहरिस्त रखी है.
2015 में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर P5 + 1 के रूप में जानी जाने वाली विश्व शक्तियों - अमेरिका, यूके, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी- के एक समूह के साथ एक दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की.
यह समझौता परमाणु हथियार विकसित करने के ईरान के कथित प्रयासों पर विश्व शक्तियों के साथ वर्षों के तनाव के बाद आया था. हालांकि ईरान ने जोर देकर कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ऐसा नहीं माना.
ईरान के इनरिच्ड यूरेनियम के भंडार को 98% घटाकर 300 किलोग्राम (660 पाउंड) कर दिया गया था और इस आंकड़े को ईरान 2031 तक पार नहीं कर सकता था. डील के तहत, ईरान ने कहा कि वह रिएक्टर को फिर से डिजाइन करेगा ताकि वह किसी भी हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का उत्पादन न कर सके.
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों को ईरान के घोषित परमाणु स्थलों की लगातार निगरानी करने और यह वेरीफाई करने का काम सौंपा गया था कि परमाणु बम बनाने के लिए कोई भी काम गुप्त तरीके से न हो रहा हो.
ईरान समझौते के तहत ईरान पर सभी परमाणु-संबंधी प्रतिबंध हटा दिए गए थे और यह देश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की बिक्री फिर से शुरू करने और व्यापार के लिए वैश्विक वित्तीय प्रणाली का उपयोग करने में सक्षम था.
जब 2019 में प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया गया, तो ईरान ने डील के शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया. हालत यह है कि नवंबर 2021 तक ईरान ने इनरिच्ड यूरेनियम का एक भंडार जमा कर लिया है और जो कि अनुमति से कई गुना ज्यादा है. इसमें कम से कम 17.7 किग्रा (39lb) परमाणु मेटेरियल 60% शुद्धता से इनरिच्ड है - यह एक बम के लिए आवश्यक स्तर से ठीक नीचे है.
ईरान परमाणु समझौते को बचाने और ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने की स्थिति से वापस लाने के लिए बातचीत मई 2021 में फिरसे तब शुरू हुई जब जो बाइडेन डोनाल्ड ट्रम्प को हराकर अमेरिकी राष्ट्रपति बनने में सफल हुए.
याद रहे कि यदि वार्ता विफल हो जाती है और ईरान द्वारा समझौते का उल्लंघन करने की पुष्टि होती है, तो संयुक्त राष्ट्र (UN) के सभी प्रतिबंध पांच साल के विस्तार की संभावना के साथ, 10 वर्षों के लिए स्वचालित रूप से ईरान पर वापस लग जायेंगे.
29 नवंबर को वियना में शुरू ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता पर अल-जजीरा से ईरानी-अमेरिकी पत्रकार और विश्लेषक नेगर मुर्तजावी ने कहा कि इससे हमें यह पता लगेगा कि ये (ईरानी) कट्टरपंथी पिछले कट्टरपंथियों से कितने अलग हैं; हम यह पता लगाने जा रहे हैं कि क्या वे थोड़े नरम हैं.
अप्रैल और जून के बीच वियना में छह दौर की वार्ता ईरान परमाणु समझौते पर वापस जाने का रास्ता बनाने में विफल रही. अब कि जब तेहरान में रूढ़िवादियों का प्रभाव है ईरान ऐसी परमाणु विशेषज्ञता प्राप्त कर रहा है जिसे पलटना लगभग ना-मुमकिन है, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन एकतरफा प्रतिबंधों को कम करने के लिए अनिच्छुक दिख रहे हैं.
एक मुश्किल यह है कि विदेश नीति पर बाइडेन अभी भी अफगानिस्तान से लगभग शर्मनाक वापसी के नतीजों से निपट रहे हैं, जिसके दौरान कुछ रिपब्लिकन ने उनके इस्तीफे की मांग भी की थी. हालांकि ईरान परमाणु समझौते को सर्वे के अनुसार अभी भी अमेरिकी जनता का समर्थन प्राप्त है लेकिन कांग्रेस में बाइडेन के अपनी पार्टी के कुछ शीर्ष डेमोक्रेट इस डील को लेकर संशय में हैं और रिपब्लिकन लगभग एकमत से इसका विरोध कर रहे हैं. ईरान को किसी भी अमेरिकी रियायत से राष्ट्रपति को अमेरिका के अंदर आलोचना झेलने की संभावना है.
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