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ईरान ने अपनी मोरेलिटी पुलिस (Morality Police In Iran Disbanded) को दो महीने के हिजाब विरोधी प्रदर्शन के बाद भंग कर दिया है. बता दें यह प्रदर्शन महसा अमीनी की गिरफ्तारी और मोरेलिटी पुलिस की कस्टडी में उनकी कथित 'मौत' के बाद शुरू हुए थे. अमीनी को देश के बेहद कड़े महिला ड्रेस कोड के कथित उल्लंघन पर गिरफ्तार किया गया था.
यह घटना 16 सितंबर की थी, तब 22 साल की कुर्दिश मूल की ईरानी महिला महसा अमीनी अपने परिवार के साथ तेहरान गई थीं. उसी दौरान उन्हें हिजाब कानून के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक गिरफ्तार किए जाने के तीन दिन बाद अमीनी की कथित मौत हुई थी.
मोरेलिटी पुलिस को ईरान में गश्त-ए-इरशाद या गाइडेंस पैट्रोल के नाम से जाना जाता है. इस कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के कार्यकाल में गठित किया गया था. इसका कथित उद्देश्य "सभ्यता और हिजाब की संस्कृति का विस्तार" करना था.
ईरान में 1979 में हुए इस्लामिक रेवोल्यूशन के चार साल बाद हिजाब को कंपलसरी कर दिया गया था.
मोरेलिटी पुलिस के अधिकारी पहले सिर्फ चेतावनी जारी किया करते थे, लेकिन डेढ़ दशक पहले इन अधिकारियों ने गिरफ्तारियां करना भी शुरू कर दिया.
मोरेलिटी पुलिस के स्कवॉड में हरे रंग की यूनिफॉर्म में पुरुष और काले रंग के कैडर्स (एक तरह का लबादा) में महिलाएं शामिल होती हैं, जिनके शरीर में सिर और ऊपरी हिस्सा कैडर से ढंका हुआ रहता है.
बता दें हसन रुहानी के समय में महिलाओं के पहनावे में उदारता आई थी, लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति रईसी ने मोरेलिटी पुलिस समेत सभी संस्थानों हिजाब कानूनों को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया था.
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