कतर (Qatar) में चल रहे फीफा विश्व कप (FIFA World Cup) में ईरान के खिलाड़ियों ने इंग्लैंड के खिलाफ एक मैच में राष्ट्रगान न गाकर अपनी कट्टर सरकार का विरोध करने का साहस तो दिखा दिया, लेकिन अब सवाल ये कि जब ये खिलाड़ी विश्व कप खत्म होने के बाद वापिस अपने मुल्क लौटेंगे तो सरकार इनके साथ क्या सलूक करेगी? ईरान की सरकार ने जब अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले एक्टर, सिंगर, खिलाड़ी किसी को नहीं बख्शा तो क्या ये विदेश में जाकर लाखों लोगों के सामने साहस दिखाने वाले खिलाड़ियों को यूं ही जाने देंगे?
ये सवाल हम क्यों पूछ रहे हैं और असल में हुआ क्या है, इस स्टोरी में आपको इसी का जवाब मिलेगा.
ईरान में क्या हो रहा है?
ईरान की कट्टर इस्लामिक सरकार का मामना है कि हिजाब इस्लामिक ड्रेस कोड का हिस्सा है और देश में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं को हर हाल में हिजाब पहनना ही होगा. 16 सितंबर को महसा अमीनी नाम की महिला को ईरान की मोरल पुलिस ने इसलिए हिरासत में लिया था क्योंकि उन्होंने उनके मुताबिक ठीक से कपड़े नहीं पहने थे. बाद में हिरासत में महसा की मौत हो गई और ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए. इसके बाद से महिलाएं हिजाब के खिलाफ सड़कों पर उतर आईं और आज तक प्रदर्शन कर रही हैं.
प्रदर्शन का समर्थन करने वाले खिलाड़ी, कलाकारों और बड़ी हस्तियों को भी सरकार ने कई यातनाएं दी हैं. पासपोर्ट कैसिंल करने से लेकर गिरफ्तारी तक ऐसे लोगों को कई तरीकों से परेशान किया है.
सरकार प्रदर्शनकारियों के दमन पर उतर आई है. इसी का नतीजा है कि अब तक यहां 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
ईरान के खिलाड़ियों ने क्या किया? अब ईरान के फुटबॉल खिलाड़ियों ने अपने देश में चल रहे प्रदर्शन के समर्थन में फीफा वर्ल्ड कप में राष्ट्रगान न गाने और जीत के बाद जश्न न मनाने का फैसला किया है. इस बात की पूरी आशंका है कि देश में वापस लौटने पर ईरानी सरकार इन खिलाड़ियों के खिलाफ एक्शन ले सकती है.
सरकार कर रही है खिलाड़ियों, कलाकारों का दमन
ईरानी मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, अब तक कम से कम 7 हस्तियों को हिरासत में लिया, जो कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. ईरान की सरकार ने सेलेब्स और जाने-माने चेहरों पर हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करने पर जुल्म ढाए हैं.
शास्त्रीय फारसी संगीत की फेसस ईरानी सिंगर होमायून शाजेरियन ने ऑस्ट्रेलिया में स्टेज पर अमिनी की एक बड़ी तस्वीर दिखाते हुए पारंपरिक गीत, "डॉन बर्ड" गाया था.
इस गीत में कुछ शब्दों का अनुवाद है, "अत्याचारी के अत्याचार ने मेरा घोंसला उड़ा दिया है. भगवान, आकाश, प्रकृति, हमारी अंधेरी रात में भोर ले आओ."
ये गाने के बाद जब शजेरियन ईरान लौटे तो उनका और उसके साथ यात्रा कर रही एक्ट्रेस सहर दोलतशाही का पासपोर्ट एयरपोर्ट पर जब्त कर लिया गया. बाद में उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर बताया कि उन्हें यात्रा करने से रोक दिया गया है.
इसी तरह, ईरान के दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी अली डेई विदेश से लौटे तो एयरपोर्ट पर उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया. उन्होंने सोशल मीडिया पर सरकार से "दमन, हिंसा और गिरफ्तारी के बजाय ईरानी लोगों की समस्याओं को हल करने" की अपील की थी.
दो जाने-माने पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी, होसैन महिनी और हमीदरेजा अलियासगरी को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत लेना पड़ा.
महिला गीतकार मोना बोरजौई को भी इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया कि उन्होंने सरकार से अलग अपनी राय रखी थी.
फुटबॉल टीम के कुछ खिलाड़ियों अक्टूबर में विरोध आंदोलन के साथ एकजुटता में दिखाने के लिए मैच के दौरान काली पट्टी पहनी थी. बाद में उन्हें सुरक्षा एजेंसियों ने समन कर लिया.
एक्ट्रेस हेडिये तेहरानी ने भी कहा कि ईरानी सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें उनके पोस्ट के बाद चेतावनी दी थी. उन्होंने अपने एक हालिया पोस्ट में लिखा था कि "लाखों लड़कियां अब महसा अमिनी हैं". एक और ईरानी एक्ट्रेस हेंगामेह गजियानी के बिना हिजाब दिखाई देने और हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के समर्थन में उतरने पर गिरफ्तार कर लिया.
कुल मिलाकर कहें तो सरकार की ज्यादती के ऐसे और कई उदाहरण हैं. अब खिलाड़ी कतर से लौटेंगे तो ईरान की सरकार उनके खिलाफ भी एक्शन ले सकती है. अब तक वहां की सरकार
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