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ईरान ने क्यों दी परमाणु नीति बदलने की धमकी? जानिए न्यूक्लियर बम बनाने के कितने करीब यह देश

"परमाणु बम बनाने का हमारा कोई निर्णय नहीं, लेकिन अगर ईरान के अस्तित्व को खतरा होगा, तो हमारे सैन्य सिद्धांत को बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा."

क्विंट हिंदी
दुनिया
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<div class="paragraphs"><p>ईरान और इजरायल</p></div>
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ईरान और इजरायल

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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ईरान (Iran) के सर्वोच्च नेता के एक सलाहकार ने कहा है कि अगर इजरायल (Israel) ईरान के अस्तित्व को खतरे में डालता है तो ईरान अपनी परमाणु नीति को बदल देगा. ये टिप्पणी इसलिए सवाल खड़े करती है क्योंकि ईरान की टिप्पणी को परमाणु हमले की धमकी के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही ईरान न्यूक्लियर डील के तहतल ईरान परमाणु हथियार नहीं बना सकता है.

तेहरान (ईरान की राजधानी) ने हमेशा कहा है कि उसकी परमाणु हथियार हासिल करने की कोई योजना नहीं है. लेकिन पश्चिमी देशों को संदेह है कि वह बम बनाने के लिए परमाणु तकनीक चाहता है. ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से चल रहे विवाद के केंद्र में है, जिसके कारण उसपर प्रतिबंध लगे हैं.

अप्रैल में, इजरायल के साथ तनावपूर्ण गतिरोध के बीच, एक वरिष्ठ ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर ने भी कहा कि इजरायली धमकियां ईरान को अपने परमाणु नीति को बदलने के लिए प्रेरित कर सकती हैं.

बता दें कि ये भी माना जाता है कि इजरायल के पास भी परमाणु हथियार हैं.

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सलाहकार कमाल खर्राजी ने कहा है कि "परमाणु बम बनाने का हमारा कोई निर्णय नहीं है, लेकिन अगर ईरान के अस्तित्व को खतरा होता है, तो हमारे सैन्य सिद्धांत को बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा."
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क्या ईरान न्यूक्लियर डील?

2015 में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर P5 + 1 के रूप में जानी जाने वाली विश्व शक्तियों - अमेरिका, यूके, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी- के एक समूह के साथ एक दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की.

यह समझौता परमाणु हथियार विकसित करने के ईरान के कथित प्रयासों पर विश्व शक्तियों के साथ वर्षों के तनाव के बाद आया था. हालांकि ईरान ने जोर देकर कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ऐसा नहीं माना.

समझौते के तहत ईरान को अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करना था. आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले उसे अपने परमाणु कार्यक्रम के निरिक्षण करने की अनुमति देनी थी.

ईरान के इनरिच्ड यूरेनियम के भंडार को 98% घटाकर 300 किलोग्राम (660 पाउंड) कर दिया गया था और इस आंकड़े को ईरान 2031 तक पार नहीं कर सकता था. डील के तहत, ईरान ने कहा कि वह रिएक्टर को फिर से डिजाइन करेगा ताकि वह किसी भी हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का उत्पादन न कर सके.

मई 2018 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने समझौते को "इसके मूल में दोषपूर्ण" कहते हुए अमेरिका को बाहर निकाल लिया. ट्रंप ने नवंबर 2018 में ईरान पर सभी अमेरिकी प्रतिबंधों को एक बार फिर लाद दिया.

ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम की अभी क्या स्थिति है?

ईरान का कहना है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम शांतिपूर्ण है और उसकी परमाणु हथियार विकसित करने की कोई योजना नहीं है.

वहीं यूके संसद की वेबसाइट ये दावा करती है कि:

  • मई 2019 से, ईरान ने डील की शर्तों का उल्लंघन करना जारी रखा.

  • ईरान ने यूरेनियम (परमाणु बम बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली धातु) के अपने भंडार पर लगी सीमा हटा ली है, जो अब 27 गुना अधिक है

  • वह इनरिच्ड यूरेनियम को 60% तक बढ़ा चुका है, जो डील के हिसाब से 3.67% से काफी ज्यादा है.

  • ईरान ने अपनी यूरेनियम को विकसित करने की क्षमता का विस्तार किया और परमाणु को लेकर गतिविधियों को फिर से शुरू किया जो पहले सौदे की शर्तों के तहत प्रतिबंधित थी.

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