ADVERTISEMENTREMOVE AD

ईरान ने पाकिस्तान पर हमला क्यों किया? जड़ में मौजूद आतंकी ग्रुप, जैश अल-अदल की 'जन्मकुंडली'

Iran Attacked Pakistan: 'जैश अल-अदल' आतंकी ग्रुप का इतिहास क्या है? अब तक इसने कितने हमले किए? | Explained

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

Iran Attacked Pakistan: ईरान और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. पहले ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में हमला किया. ईरान का कहना है कि उसने हवाई हमले 'जैश अल-अदल' (JAA) के दो प्रमख ठिकानों पर किए हैं. इसके जवाब में पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में मौजूद ईरानी राजदूत को निकाल दिया है और तेहरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है.

चलिए आपको इस एक्सप्लेनर में बताते हैं कि ईरान ने पाकिस्तान पर क्यों हमला किया है? आखिर यह 'जैश अल-अदल' संगठन कौन है? वह कैसे बना? यह कैसे ऑपरेट करता है?

ईरान ने पाकिस्तान पर हमला क्यों किया? जड़ में मौजूद आतंकी ग्रुप, जैश अल-अदल की 'जन्मकुंडली'

  1. 1. पाकिस्तान पर ईरान ने हमला क्यों किया?

    ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में ड्रोन और मिसाइलों की मदद से हमला किया है. पाकिस्तान का दावा है कि इस हमले में दो निर्दोष बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हो गईं हैं.

    पाकिस्तान के अखबार Dawn की रिपोर्ट के अनुसार, हवाई हमले ईरान की सीमा से लगे पंजगुर शहर में हुए. न्यूज एजेंसी AP ने दो पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से खबर दी कि इस हमले में पाकिस्तानी सीमा के करीब 50 किलोमीटर के अंदर एक मस्जिद भी क्षतिग्रस्त हो गई है.

    अब सवाल है कि ईरान ने पाकिस्तान पर यह हमला क्यों किया है? ईरान ने अपने एयरस्ट्राइक ऑपरेशन में आतंकवादी समूह जैश अल-अदली को निशाना बनाया है, जिसे ईरान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान में मौजूद "ईरानी आतंकवादी समूह" बताया है.

    ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने दावोस में बोलते हुए जोर देकर कहा कि किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को निशाना नहीं बनाया गया है, केवल जैश अल-अदल के सदस्यों को निशाना बनाया गया है.
    Expand
  2. 2. पाकिस्तान ने ईरान के हमले पर क्या प्रतिक्रिया दी?

    पाकिस्तान ने ईरान द्वारा किए गए हवाई हमले की कड़ी प्रतिक्रया दी. पाकिस्तान ने कड़ा कदम उठाते हुए ईरान के राजदूत को निष्कासित कर दिया. साथ ही ईरान की राजधानी तेहरान से अपने राजदूत को वापस बुलाने का फैसला किया.

    इस्लामाबाद ने कहा कि हमला "अवैध" था और उसने ईरान को "गंभीर परिणाम" की चेतावनी दी है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है कि "पाकिस्तान इस गैरकानूनी कृत्य पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार सुरक्षित रखता है और परिणामों की जिम्मेदारी पूरी तरह से ईरान की होगी."

    दौरतलब है कि दोनों देश लगभग 900किमी का बॉर्डर शेयर करते हैं.

    अब आपको बताते हैं कि दरअसल 'जैश अल-अदल' संगठन क्या है, जिसे ईरान ने निशाना बनाया है.

    Expand
  3. 3. जैश अल-अदल क्या है?

    'जैश अल-अदल' का शाब्दिक अर्थ "न्याय की सेना" है. यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक सुन्नी (सलाफी) आतंकवादी ग्रुप है, जो पाकिस्तान और ईरान के पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों में एक्टिव है.

    'जैश अल-अदल' संगठन सिस्तान और बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने का दावा करता है, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत और हिंद महासागर की सीमा से सटे ईरान के दक्षिणपूर्वी कोने में स्थित है.

    'जैश अल-अदल' साल 2013 से बॉर्डर पर तैनात ईरानी सेना के खिलाफ हमले कर रहा है.

    Tasnim की रिपोर्ट के अनुसार, 'जैश अल-अदल' ने पिछले साल दिसंबर के मध्य में, ईरान के साउथ- वेस्ट में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के रस्क शहर के एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था. इस हमले में 11 ईरानी पुलिस कर्मी मारे गए थे.

    Expand
  4. 4. जैश अल-अदल कैसे बना? 

    'जैश अल-अदल' संगठन को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित पुराने जुंदाल्लाह (Jundallah) आतंकवादी संगठन की शाखा और उसका उपज माना जाता है.

    अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के अनुसार 'जुंदाल्लाह' ने साल 2012 में अपना नाम बदलकर 'जैश अल-अदल' कर लिया.

    'जैश अल-अदल' साल 2013 के बाद पूरी तरह से एक्टिव दिखाई देने लगा, जबकि उसके बाद जुंदल्लाह समूह ने धीरे- धीरे पीछे हटना शुरू कर दिया. अमेरिकी विदेश विभाग ने 4 नवंबर, 2010 को 'जुंदाल्लाह' को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) के रूप में नामित किया था. 2019 में इसे "जैश अल-अदल" नाम से FTO घोषित कर दिया.

    Expand
  5. 5. 'जैश अल-अदल' क्यों बना? इसका उद्देश्य क्या है?

    DNI के अनुसार, 'जुंदाल्लाह' की स्थापना 2002 या 2003 में अब्दुल मालिक रिगी ने की थी. अब्दुल मालिक ने 2010 तक 'जुंदाल्लाह' का नेतृत्व किया. जब अब्दुल मालिक को ईरान ने मार दिया तो फिर यह ग्रुप कई भागों में बंट गया. जिनमें से एक भाग, 'जैश अल-अदल' सबसे ज्यादा प्रभावशाली बन गया.

    ईरान 'जैश अल-अदल' को 'जुंदल्लाह' का उत्तराधिकारी और ईरान में बलूच प्रतिरोध का समूह मानता है. इस समूह का मुख्य लक्ष्य ईरानी सरकार से बलूची सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की मान्यता प्राप्त करना है. साथ ही बलूच लोगों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता फैलाना भी इसका लक्ष्य है.

    Expand
  6. 6. 'जैश अल-अदल' कहां से और कैसे संचालित होता है?

    'जैश अल-अदल' सुन्नी आतंकवादी संगठन ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैले बलूच-बहुल क्षेत्रों में काम करता है. यह खुद को "पीपुल्स रेजिस्टेंस ऑफ ईरान" भी कहता है. यह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है.

    DNI के मुताबिक, 'जैश अल-अदल' मुख्य रूप से ईरानी सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाता है. हालांकि उसने ईरान के सरकारी अधिकारियों, शिया नागरिकों पर भी घात लगाकर हमले किए हैं. साथ ही हत्या, हमले, हिट-एंड-रन छापे, अपहरण और आत्मघाती बम विस्फोट भी किए हैं.

    'जैश अल-अदल' छोटे और हल्के हथियारों के साथ ही सुसाइड जैकेट और कार बम जैसे IED का उपयोग करता है. DNI के मुताबिक यह बॉर्डर पर मौजूद सेना पर हमला करने के लिए गुरिल्ला वॉर का इस्तेमाल करता है. इसके लिए यह मुख्य रूप से छोटे हथियारों और रॉकेट आग का इस्तेमाल करता है.

    Expand
  7. 7. 'जैश अल-अदल' का नेता कौन है? 

    अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के अनुसार, 'जैश अल-अदल' का नेता अब्दुल रहीम मुल्ला जादेह है. परंतु उसके बारे में या उसके ठिकानों के बारें में कोई ठोस जानकारी नहीं है और ना ही कोई तस्वीर भी उपलब्ध है.

    Expand
  8. 8. 'जैश अल-अदल' के बड़े हमले 

    • 4 अक्टूबर, 2022: सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में पुलिस स्टेशनों, बैंकों और दुकानों पर हमला किया जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 20 घायल हो गए.

    • 13 फरवरी, 2019: 'जैश अल-अदल' ने सिस्तान-बलूचिस्तान में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के जवानों को ले जा रही एक बस पर हमला. इस हमले में 27 लोग मारे गए थे और 18 लोग घायल हो गए थे.

    • 15 दिसंबर, 2010: 'जुंदल्लाह' संगठन के आत्मघाती हमलावर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह की एक मस्जिद में खुद को बम से उड़ा लिया, जिसमें 40 नागरिक मारे गए और लगभग 100 घायल हो गए.

    • 18 अक्टूबर, 2009: ईरान के पिशिन के एक बाजार में 'जुंदाल्लाह' संगठन के आत्मघाती हमलावर ने 40 से अधिक लोगों की हत्या कर दी.

    • 28 मई, 2009: 'जुंदल्लाह' के एक आत्मघाती हमलावर ने सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी जीहेदान के ग्रैंड मस्जिद पर हमला किया, जिसमें नमाज पढ़ रहे 30 लोग मारे गए और 300 घायल हो गए.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

    Expand

पाकिस्तान पर ईरान ने हमला क्यों किया?

ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में ड्रोन और मिसाइलों की मदद से हमला किया है. पाकिस्तान का दावा है कि इस हमले में दो निर्दोष बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हो गईं हैं.

पाकिस्तान के अखबार Dawn की रिपोर्ट के अनुसार, हवाई हमले ईरान की सीमा से लगे पंजगुर शहर में हुए. न्यूज एजेंसी AP ने दो पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से खबर दी कि इस हमले में पाकिस्तानी सीमा के करीब 50 किलोमीटर के अंदर एक मस्जिद भी क्षतिग्रस्त हो गई है.

अब सवाल है कि ईरान ने पाकिस्तान पर यह हमला क्यों किया है? ईरान ने अपने एयरस्ट्राइक ऑपरेशन में आतंकवादी समूह जैश अल-अदली को निशाना बनाया है, जिसे ईरान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान में मौजूद "ईरानी आतंकवादी समूह" बताया है.

ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने दावोस में बोलते हुए जोर देकर कहा कि किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को निशाना नहीं बनाया गया है, केवल जैश अल-अदल के सदस्यों को निशाना बनाया गया है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पाकिस्तान ने ईरान के हमले पर क्या प्रतिक्रिया दी?

पाकिस्तान ने ईरान द्वारा किए गए हवाई हमले की कड़ी प्रतिक्रया दी. पाकिस्तान ने कड़ा कदम उठाते हुए ईरान के राजदूत को निष्कासित कर दिया. साथ ही ईरान की राजधानी तेहरान से अपने राजदूत को वापस बुलाने का फैसला किया.

इस्लामाबाद ने कहा कि हमला "अवैध" था और उसने ईरान को "गंभीर परिणाम" की चेतावनी दी है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है कि "पाकिस्तान इस गैरकानूनी कृत्य पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार सुरक्षित रखता है और परिणामों की जिम्मेदारी पूरी तरह से ईरान की होगी."

दौरतलब है कि दोनों देश लगभग 900किमी का बॉर्डर शेयर करते हैं.

अब आपको बताते हैं कि दरअसल 'जैश अल-अदल' संगठन क्या है, जिसे ईरान ने निशाना बनाया है.

जैश अल-अदल क्या है?

'जैश अल-अदल' का शाब्दिक अर्थ "न्याय की सेना" है. यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक सुन्नी (सलाफी) आतंकवादी ग्रुप है, जो पाकिस्तान और ईरान के पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों में एक्टिव है.

'जैश अल-अदल' संगठन सिस्तान और बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने का दावा करता है, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत और हिंद महासागर की सीमा से सटे ईरान के दक्षिणपूर्वी कोने में स्थित है.

'जैश अल-अदल' साल 2013 से बॉर्डर पर तैनात ईरानी सेना के खिलाफ हमले कर रहा है.

Tasnim की रिपोर्ट के अनुसार, 'जैश अल-अदल' ने पिछले साल दिसंबर के मध्य में, ईरान के साउथ- वेस्ट में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के रस्क शहर के एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था. इस हमले में 11 ईरानी पुलिस कर्मी मारे गए थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जैश अल-अदल कैसे बना? 

'जैश अल-अदल' संगठन को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित पुराने जुंदाल्लाह (Jundallah) आतंकवादी संगठन की शाखा और उसका उपज माना जाता है.

अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के अनुसार 'जुंदाल्लाह' ने साल 2012 में अपना नाम बदलकर 'जैश अल-अदल' कर लिया.

'जैश अल-अदल' साल 2013 के बाद पूरी तरह से एक्टिव दिखाई देने लगा, जबकि उसके बाद जुंदल्लाह समूह ने धीरे- धीरे पीछे हटना शुरू कर दिया. अमेरिकी विदेश विभाग ने 4 नवंबर, 2010 को 'जुंदाल्लाह' को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) के रूप में नामित किया था. 2019 में इसे "जैश अल-अदल" नाम से FTO घोषित कर दिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'जैश अल-अदल' क्यों बना? इसका उद्देश्य क्या है?

DNI के अनुसार, 'जुंदाल्लाह' की स्थापना 2002 या 2003 में अब्दुल मालिक रिगी ने की थी. अब्दुल मालिक ने 2010 तक 'जुंदाल्लाह' का नेतृत्व किया. जब अब्दुल मालिक को ईरान ने मार दिया तो फिर यह ग्रुप कई भागों में बंट गया. जिनमें से एक भाग, 'जैश अल-अदल' सबसे ज्यादा प्रभावशाली बन गया.

ईरान 'जैश अल-अदल' को 'जुंदल्लाह' का उत्तराधिकारी और ईरान में बलूच प्रतिरोध का समूह मानता है. इस समूह का मुख्य लक्ष्य ईरानी सरकार से बलूची सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की मान्यता प्राप्त करना है. साथ ही बलूच लोगों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता फैलाना भी इसका लक्ष्य है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'जैश अल-अदल' कहां से और कैसे संचालित होता है?

'जैश अल-अदल' सुन्नी आतंकवादी संगठन ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैले बलूच-बहुल क्षेत्रों में काम करता है. यह खुद को "पीपुल्स रेजिस्टेंस ऑफ ईरान" भी कहता है. यह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है.

DNI के मुताबिक, 'जैश अल-अदल' मुख्य रूप से ईरानी सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाता है. हालांकि उसने ईरान के सरकारी अधिकारियों, शिया नागरिकों पर भी घात लगाकर हमले किए हैं. साथ ही हत्या, हमले, हिट-एंड-रन छापे, अपहरण और आत्मघाती बम विस्फोट भी किए हैं.

'जैश अल-अदल' छोटे और हल्के हथियारों के साथ ही सुसाइड जैकेट और कार बम जैसे IED का उपयोग करता है. DNI के मुताबिक यह बॉर्डर पर मौजूद सेना पर हमला करने के लिए गुरिल्ला वॉर का इस्तेमाल करता है. इसके लिए यह मुख्य रूप से छोटे हथियारों और रॉकेट आग का इस्तेमाल करता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'जैश अल-अदल' का नेता कौन है? 

अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के अनुसार, 'जैश अल-अदल' का नेता अब्दुल रहीम मुल्ला जादेह है. परंतु उसके बारे में या उसके ठिकानों के बारें में कोई ठोस जानकारी नहीं है और ना ही कोई तस्वीर भी उपलब्ध है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'जैश अल-अदल' के बड़े हमले 

  • 4 अक्टूबर, 2022: सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में पुलिस स्टेशनों, बैंकों और दुकानों पर हमला किया जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 20 घायल हो गए.

  • 13 फरवरी, 2019: 'जैश अल-अदल' ने सिस्तान-बलूचिस्तान में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के जवानों को ले जा रही एक बस पर हमला. इस हमले में 27 लोग मारे गए थे और 18 लोग घायल हो गए थे.

  • 15 दिसंबर, 2010: 'जुंदल्लाह' संगठन के आत्मघाती हमलावर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह की एक मस्जिद में खुद को बम से उड़ा लिया, जिसमें 40 नागरिक मारे गए और लगभग 100 घायल हो गए.

  • 18 अक्टूबर, 2009: ईरान के पिशिन के एक बाजार में 'जुंदाल्लाह' संगठन के आत्मघाती हमलावर ने 40 से अधिक लोगों की हत्या कर दी.

  • 28 मई, 2009: 'जुंदल्लाह' के एक आत्मघाती हमलावर ने सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी जीहेदान के ग्रैंड मस्जिद पर हमला किया, जिसमें नमाज पढ़ रहे 30 लोग मारे गए और 300 घायल हो गए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×