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इजरायल और हमास (Israel Hamas War) के बीच पिछले कई दिनों से जंग चल रही है. हमास के शुरूआती हमले के बाद इजरायल ने जवाबी हमला जारी रखा है. धमाकों के बाद दोनों तरफ के नागरिक आंखों के सामने अपनों की लाशें उठते देख रहे हैं. इस बीच मंगलवार, 17 अक्टूबर को गाजा शहर में स्थित अल-अहली अरब अस्पताल पर हवाई हमला हुआ. फिलिस्तीन ने इसका आरोप इजरायल पर लगाते हुए दावा किया है कि इस हमले में कम से कम 500 नागरिक मारे गए हैं. जबकि इजरायल ने इस आरोप को नकारा है.
दूसरी तरफ गाजा के हॉस्पिटल पर हमले के बाद जॉर्डन ने उस शिखर सम्मेलन को रद्द कर दिया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन शामिल होने वाले थे. यह सम्मेलन जॉर्डन की राजधानी अम्मान में अरब नेताओं के साथ होने वाला था.
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर जॉर्डन ने ऐसा कदम क्यों उठाया, जॉर्डन की फिलिस्तीन विवाद में क्या भूमिका रही है और अतीत में इजरायल के साथ कैसे रिश्ते रहे हैं.
1948 में यहूदी लड़ाकों और इजरायली फोर्स ने सात लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिकों को उनका घर छोड़ने को मजबूर किया था. उसी साल, ब्रिटिश जनादेश के अंत में फिलिस्तीनी भूमि को बांटने की संयुक्त राष्ट्र की योजना के तुरंत बाद, अरब राज्यों के एक सैन्य गठबंधन ने इजरायल से लड़ने की तैयारी की, जिसमें जॉर्डन भी शामिल था.
1967 में 6 दिन की जंग में जॉर्डन भी एक प्रमुख भागीदार था, जिसने मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर के साथ खुद को खड़ा किया. इस युद्ध के खत्म होने तक जॉर्डन ने पूर्वी येरुशलम और वेस्ट बैंक दोनों पर नियंत्रण खो दिया था और इस दौरान इजरायली सेना की बड़ी जीत हुई थी.
इसके बाद जॉर्डन और इजरायल ने 1994 में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया. जॉर्डन, मिस्र के बाद इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला दूसरा अरब देश बन गया.
जॉर्डन और इजरायल के बीच हुई शांति संधि के दौरान फिलिस्तीनी प्राधिकरण (Palestinian National Authority) की स्थापना हुई. दोनों देशों ने अमेरिका के व्हाइट हाउस में एक घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर किए, जिसमें उन्होंने दुश्मनी खत्म करने और स्थायी शांति हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई.
शांति समझौते से दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ा और आर्थिक परियोजनाएं शुरू हुईं.
इजरायल और जॉर्डन ने जल संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक समझौता किया. 2014 में, उन्होंने 15 साल के लिए जॉर्डन को आपूर्ति की जाने वाली इजरायली क्षेत्रों से गैस के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
पिछले कुछ सालों में कई बड़ी घटनाएं हुईं और इसके साथ ही फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी कोई हल नहीं निकल सका. इन वजहों से दोनों देशों के बीच के संबंधों पर असर देखने को मिला है.
साल 1997 में जॉर्डन के एक सैनिक ने इजरायली स्कूली छात्राओं के एक समूह पर गोलीबारी की, जिसमें सात मौतें हुई थीं. उसी साल, हमास के राजनीतिक नेता खालिद मशाल की हत्या के लिए अम्मान भेजे गए मोसाद के कथित एजेंट पकड़े गए.
साल 2017 में एक 17 वर्षीय फिलिस्तीनी नागरिक ने जॉर्डन में इजरायली दूतावास में एक ऑफ-ड्यूटी सुरक्षा गार्ड को चाकू मार दिया और सुरक्षा गार्ड की गोली से उस नागरिक और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई. इसके बाद दूतावास 6 महीने के लिए बंद कर दिया गया था और नेतन्याहू ने इजरायल वापस जाने पर गार्ड की सराहना की.
2019 के आखिरी में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने इजरायल के साथ संबंधों को "अब तक का सबसे निचला स्तर" बताया था.
इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार देखा गया. इसमें पिछले साल इजरायली राष्ट्रपति की जॉर्डन की पहली यात्रा भी शामिल है.
जॉर्डन के हाशमाइट शाही परिवार ने लगभग एक सदी तक यरूशलेम की अल-अक्सा मस्जिद के संरक्षक के रूप में भी काम किया है.
1924 में सुप्रीम मुस्लिम काउंसिल ने मस्जिद के संरक्षक के रूप में हशमाइट राजवंश के एक सदस्य को चुना. अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है और इस्लामी वास्तुकला के सबसे पुराने जीवित उदाहरणों में से एक है.
आज के दौर में जॉर्डन के सामने कई चुनौतियां हैं, क्योंकि गाजा पर इजरायल की बमबारी तेज हो गई है.
जॉर्डन, इजरायल के साथ अपने जल समझौतों पर निर्भर है. इजरायल और अमेरिका के साथ इसके संबंध इसकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का काम करते हैं. लेकिन इन सबके बाद भी जॉर्डन फिलिस्तीन विवाद और युद्ध को बढ़ता हुआ नहीं देख सकता है.
पहले से ही फिलिस्तीन, सीरिया और इराक के लाखों प्रवासियों की मेजबानी कर रहा जॉर्डन, फिलिस्तीनी शरणार्थियों की एक नई आमद से भी सावधान है, जिन्हें इजरायल द्वारा उनकी सरजमीं से बाहर निकाल दिया गया.
जॉर्डन ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर फिलिस्तीन के नागरिकों को आने वाले वक्त में अपना खुद का देश बनाना है, तो उन्हें अपनी सरजमीं पर ही रहना होगा.
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