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2 नवंबर को इजरायल-हमास के बीच जारी जंग (Israel Hamas War) का 27वां दिन है. गाजा पट्टी (Attack on Gaza) पर इजरायल की बमबारी जारी है. इसी बीच फिलीस्तीनी सरकारी मीडिया कार्यायल ने बताया कि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को गाजा के जबालिया शरणार्थी शिविर पर इजरायल के दो हवाई हमलों में 195 फिलीस्तीनी नागरिक मारे गए. वहीं, मलबे के नीचे लगभग 120 लोग अभी भी लापता हैं और कम से कम 777 अन्य घायल हुए हैं.
अलजजीरा के अनुसार, गाजा में एक दिन पहले जबालिया शरणार्थी शिविर और एक बेकरी पर भी हमला किया गया था, उसके बाद गाजा भर में इजरायली बमबारी रात भर जारी रही. कई अस्पतालों के आसपास के क्षेत्र भी प्रभावित हुए और गाजा में अब कम से कम 8,805 फिलीस्तीनियों की मौत हो गई है.
इधर, इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि उसने 1 नवंबर यानी बुधवार को हमलों में हमास के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के कमांडर मुहम्मद एसार को निशाना बनाया और मार डाला. आईडीएफ ने इससे पहले इब्राहिम बियारी को मारने के लिए शिविर को निशाना बनाया था. बियारी हमास का प्रमुख कमांडर था.
व्हाइट हाउस ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भविष्य में किसी भी शांति स्थापना भूमिका में गाजा में अमेरिकी सैनिकों को तैनात नहीं करेगा. व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने संवाददाताओं से कहा, "अभी या भविष्य में गाजा में अमेरिकी सैन्य बलों को तैनात करने की कोई योजना या इरादा नहीं है."
किर्बी ने कहा कि संघर्ष के बाद हमास गाजा पर नियंत्रण नहीं रख सकता. उन्होंने आगे कहा...
हिजबुल्लाह ने कहा है कि उसने सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से दक्षिण लेबनान के ऊपर एक इजरायली ड्रोन को नष्ट कर दिया. सीमा पर तनाव बढ़ने के बीच इस सप्ताह यह ईरान समर्थित समूह का दूसरा ऐसा दावा है. वहीं, इजरायल ने इसपर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है.
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामलों के विभाग ने जानकारी दी कि 23 ऑस्ट्रेलियन नागरिक राफा क्रॉसिंग के जरिए सुरक्षित गाजा से मिस्र चले गए. जिनमें 20 ऑस्ट्रेलियाई परिवार के दो सदस्य और एक स्थायी निवासी शामिल थे.
इधर, जो बाइडेन ने कहा है कि उनका मानना है कि इजरायल-हमास युद्ध की बीच एक मानवीय "विराम" होना चाहिए. वहीं, उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन अमेरिकी लोगों को जल्द से जल्द गाजा से बाहर निकालने के लिए लगातार काम कर रहा है.
बाइडन ने कहा कि रफाह बॉर्डर को खोला जाना इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल सिसी के साथ 'गहन और अति आवश्यक' कूटनीति का परिणाम है. उन्होंने इसके लिए कतर का धन्यवाद किया.
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