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इजराइल (Israel) की संसद (Knesset) में सोमवार, 24 जुलाई को एक विवादास्पद विधेयक (Contentious Judicial Overhaul Plan) को कानून का रूप दे दिया गया है. कानून के समर्थन में वोट करने के लिए पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भी संसद पहुंचे, जो पिछले कुछ दिनों से हॉस्पिटल में भर्ती थे. इस विधेयक को नेतन्याहू के सत्तारूढ़ कट्टर-दक्षिणपंथी गठबंधन के सभी 64 सांसदों ने मंजूरी दी है. दूसरी ओर विपक्षी सांसदों ने इसका बहिष्कार किया है. इस विवादास्पद कानून के खिलाफ इजराइल में साल की शुरुआत यानी पिछले 7 महीने से ही विरोध हो रहा है. सवाल है कि नए कानून में क्या है? विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है? इजराइल सरकार क्या कहना है?
इन्हीं सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक यह कानून सरकार को सुप्रीम कोर्ट की उन कार्रवाइयों को खारिज करने की शक्ति को हटा देगा, जिन्हें वह सही नहीं मानती है.
The Guardian की रिपोर्ट के मुताबिक आलोचकों का कहना है कि इस कानून के बाद उन्हें लोकतंत्र के खत्म होने का डर है. इस बदलाव से नेतन्याहू को भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी, जिससे वह इनकार करते हैं.
Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा चल रहा है और उनके सहयोगी सरकारी पदों पर अपने साथियों को नियुक्त करना चाहते हैं, कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर इजराइल का नियंत्रण बढ़ाना चाहते हैं और अति-रूढ़िवादी लोगों के लिए विवादास्पद छूट लागू करना चाहते हैं.
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक आलोचकों का आरोप है कि जिस देश में कोई औपचारिक संविधान नहीं है, वहां कार्यकारी शक्ति पर महत्वपूर्ण नियंत्रण और संतुलन को हटाकर वे उदार लोकतंत्र को ही खतरे में डाल रहे हैं.
सरकार का तर्क है कि सत्ता में उन असंतुलन को ठीक करने के लिए यह उपाय जरूरी हैं, जिसकी वजह से हाल के दशकों में राजनीतिक फैसलों में अदालतों का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है.
इजराइल की लोकतांत्रिक संरचनाएं पहले से ही कमजोर हैं क्योंकि वहां कोई लिखित संविधान नहीं है. सरकार के पास एक सदन वाले नेसेट (संसद) में बहुमत है और राष्ट्रपति का कार्यालय काफी हद तक औपचारिक है.
इसलिए सुप्रीम कोर्ट को नागरिक अधिकारों और कानून के शासन की रक्षा करने वाली संस्था के रूप में देखा जाता है. न्यायपालिका देश में कार्यकारी शक्ति की जांच करने में अमह भूमिका निभाती है.
इजराइल की न्यायपालिका में बदलाव की योजना का विरोध करने वाले हजारों प्रदर्शनकारी विधेयक पर वोटिंग से पहले जेरूशलम में इकट्ठा हुए. कानून के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और कई कर्मचारियों ने इसे आगे बढ़ने पर हड़ताल करने की कसम खाई है.
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक नेसेट (संसद) के पास के वीडियो में पानी की बौछारों से मारने और इजराइली अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिए जाने की खबरें सामने आ रही है.
विपक्षी नेता यायर लैपिड ने नेसेट (संसद) में बोलते हुए सरकार के इस कदम को "इजरायल के बहुमत पर एक अति अल्पसंख्यक द्वारा कब्जा" करार दिया है.
दूसरी ओर इजराइल के न्याय मंत्री यारिव लेविन ने सांसदों को बधाई देते हुए कहा कि हमने जस्टिस सिस्टम को सही करने के लिए एक ऐतिहासिक प्रक्रिया में पहला कदम उठाया है.
इजराइल की सुरक्षा सेवाओं के पूर्व प्रमुख, मुख्य न्यायाधीश और प्रमुख कानूनी और व्यावसायिक हस्तियां भी सरकार के इस कदम के खिलाफ मुखर रही हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति, जो बाइडेन ने रविवार को एक बार फिर सार्वजनिक रूप से नेतन्याहू से सोमवार के कानून पर संसद में मतदान नहीं कराने का आह्वान किया था.
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