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इजरायल (Israel) की सड़कों में पिछले सप्ताह 30 मार्च और 31 मार्च को हजारों की संख्या में लोगों ने "बंधकों के परिवार" (गाजा में बंद इजरायली नागरिकों का परिवार) वालों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) को हटाने की मांग की. इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से लगभग छह महीने से गाजा में बंदी बनाए गए लोगों के रिहाई की मांग की जा रही है.
आइए आसान भाषा में समझते हैं कि इजरायल के लोग सड़कों पर क्यों आ गए हैं और लोग वहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग क्यों कर रहे हैं?
शनिवार, 30 मार्च को इजरायल के तेल अवीव, जेरूसलम, हाइफा, बीयर शेवा, कैसरिया और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन किया. वहीं इसके अगले दिन रविवार 31 मार्च को जेरूसलम में नेसेट (इजरायल की राष्ट्रीय संसद) के बाहर भी प्रदर्शन किया गया.
आंदोलनकारी गाजा में बंद इजरायली नागरिकों की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. पीड़ित लोगों ने नेतन्याहू को "सौदे में बाधा" करार दिया और उनके सत्ता छोड़ने तक आंदोलन करने की कसम खाई.
गाजा द्वारा बंदी बनाए गए लिरी अल्बाग की मां शिरा अल्बाग ने ब्रितानी अखबार 'द गार्जियन' को दिए इंटरव्यू में कहा, "176 दिन हो गए हैं. मुझे लिरी और अन्य बंधकों की चिंता हो रही है. डर से मेरी आंखें बंद नहीं हो रही हैं.''
उन्होंने आगे कहा, "इजरायल के लोग किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं भूलेंगे या माफ नहीं करेंगे जो ऐसे समझौते को रोकते हैं, जिससे बंधकों को वापस हमारे पास लाया जा सकता है."
वहीं लगभग दो महीने पहले रिहा किए गए एक इजरायली बंधक रज बेन-अमी ब्रितानी अखबार को बताती हैं, "वहां बंधक जिस स्थिति से गुजरते और रहते हैं, उससे कोई भी बच नहीं सकता है, मेरा विश्वास करें."
केंद्र- वाम लेबर पार्टी नेता और नेसेट के सदस्य नामा लाजिमी ने कहा कि लोग विरोध करने के लिए घरों से बाहर आए थे क्योंकि उन्होंने इस बात को माना था कि सरकार विफल हो रही है.
उन्होंने आगे कहा,
एक प्रदर्शनकारी याकोव गोडो ने कहा, "मैं पीएम के इस्तीफा देने तक यहां नेसेट के सामने डेरा डालूंगा." याकोव गोडो के बेटे टॉम को हमास ने 7 अक्टूबर को मार डाला था.
पीएम नेतन्याहू ने रविवार शाम को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "इजरायल रफाह के खिलाफ बड़े और आक्रामक हमले के लिए आगे आएगा, जहां गाजा की आधी आबादी के रुकने का अनुमान है. साथ ही उन्होंने कहा कि सैन्य दबाव और बातचीत में लचीलेपन की वजह से बंधकों की रिहाई होगी.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की परेशानी सिर्फ जनता की ओर से किए जा रहे विरोध प्रदर्शन ही नहीं हैं बल्कि इजरायल की अदालत में उनके खिलाफ पहले से कई मुकदमे भी उनकी परेशानी को और बढ़ा सकते हैं. नेतन्याहू पर 2019 में दर्ज तीन मामलों में धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी और विश्वासघात के आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें केस 1000, 2000 और 4000 के रूप में जाना जाता है.
केस 1000
केस 1000 के तहत प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर अपनी पत्नी सारा के साथ राजनीतिक लाभ के बदले प्रमुख हॉलीवुड निर्माता अर्नोन मिलचन और ऑस्ट्रेलियाई अरबपति व्यवसायी जेम्स पैकर से शैंपेन और सिगार सहित उपहार लेने का आरोप है.
केस 2000
केस 2000 में आरोप लगाया गया है कि नेतन्याहू ने इजरायल के सबसे ज्यादा बिकने वाले दैनिक समाचार पत्र येदियोथ अहरोनोथ के साथ एक प्रतिद्वंद्वी अखबार के खिलाफ विधायी कार्रवाई के बदले अनुकूल कवरेज के लिए एक समझौते पर बातचीत की थी.
केस 4000
केस 4000 में नेतन्याहू पर एक दूरसंचार कंपनी 'बेजेक टेलीकॉम इजरायल' को नियामक पक्ष देने का आरोप है, इसके बदले में नेतन्याहू ने कंपनी के पूर्व अध्यक्ष द्वारा नियंत्रित एक समाचार वेबसाइट पर सकारात्मक मीडिया कवरेज लिया.
इन केस पर इजरायल-हमास जंग से पनपे आपात स्थिति को देखते हुए ट्रायल पर रोक लगी हुई है. लेकिन ये केस बेंजामिन नेतन्याहू के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं.
एक इजरायली एयर स्ट्राइक ने रविवार, 31 मार्च को मध्य गाजा में लोगों की भीड़ वाले एक अस्पताल के प्रांगण में एक तंबू शिविर पर हमला किया. इस हमले में दो फिलिस्तीनियों की मौत हो गई और आसपास काम कर रहे पत्रकारों सहित 15 अन्य घायल हो गए.
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा, युद्ध शुरू होने के बाद से कम से कम 32,782 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और इनमें 77 ऐसे लोग शामिल हैं जिनके बॉडी को पिछले 24 घंटे के अंदर अस्पताल में लाया गया है.
इजरायल के इमरजेंसी सेवाओं ने कहा कि देश के अरब अल्पसंख्यक के एक मेंबर ने रविवार को दक्षिणी शहर बेर्शेबा में एक बस स्टॉप पर तीन सैनिकों को चाकू मार दिया.
वहीं इजरायली मीडिया ने कहा, इसके कुछ घंटों बाद पास के ही गण यावने में एक शॉपिंग मॉल में तीन लोगों को घायल करने के बाद चाकूधारी फिलिस्तीनी की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
यह युद्ध एक बार फिर से पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुआ था जब हमास ने साउथ इजरायल पर हमला कर दिया था. और इस हमले में 1,200 लोगों को मार डाला था जिनमें ज्यादातर नागरिक थे. वहीं उग्रवादी इस्लामी संगठन ने करीब 250 लोगों का अपहरण भी कर लिया था. इस पर इजरायल का अभी मानना है कि इनमें से लगभग 130 लोग गाजा में बचे हैं और इनमें भी 34 ऐसे हैं जिन्हें मृत मान लिया गया है.
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