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जो बाइडेन 20 जनवरी को अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं. बाइडेन के साथ भारतीय मूल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी. ये ऐतिहासिक होगा क्योंकि पहली बार कोई महिला और अश्वेत महिला इस पद को संभालेगी. हैरिस के अलावा भारतीय मूल के 20 और लोगों को बाइडेन व्हाइट हाउस में जगह मिली है. भारतीय-अमेरिकी सिर्फ एक पहलू हैं, बाइडेन ने अलग-अलग समुदायों के लोगों के साथ 'सबसे विविध कैबिनेट' बनाने का अपना वादा पूरा किया है.
बाइडेन जब 20 जनवरी को शपथ लेंगे, तो वो एक 'बंटे हुए अमेरिका' की बागडोर संभालेंगे. अमेरिका को फिर से 'यूनाइटेड स्टेट्स' बनाने के मिशन में उनकी कैबिनेट पहला कदम साबित होगी.
1933 में राष्ट्रपति फ्रेंक्लिन डी रूजवेल्ट ने सबसे पहले एक महिला को कैबिनेट में शामिल किया था. इसके बाद कई सालों तक कैबिनेट में महिलाओं की संख्या 1 या 2 तक ही रही. 1993 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पहली बार तीन महिलाओं को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था.
जॉर्ज बुश के दूसरे और ओबामा के पहले कार्यकाल में ये आंकड़ा चार पर पंहुचा. डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में सिर्फ 2 महिलाएं थीं. हालांकि, ट्रंप का रिकॉर्ड बाकी रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों से अच्छा रहा.
जो बाइडेन के प्रशासन में करीब 20 भारतीय-अमेरिकी कई महत्वपूर्ण पद संभालने जा रहे हैं. ये सभी ताकतवर व्हाइट हाउस कॉम्प्लेक्स का हिस्सा होंगे. इनमें सबसे बड़ा नाम नीरा टंडन और अगले सर्जन जनरल डॉ विवेक मूर्ति का है.
कुल मिलाकर बाइडेन व्हाइट हाउस में भारतीय मूल की 13 महिलाएं होंगी. जिनमें से दो महिलाओं की जड़ें कश्मीर में हैं. ये दोनों हैं- ऑफिस ऑफ डिजिटल स्ट्रेटेजी में पार्टनरशिप्स मैनेजर पद पर नामित आयशा शाह और नेशनल इकनॉमिक काउंसिल में डिप्टी डायरेक्टर पद पर नामित समीरा फजिली.
RPG ग्रुप के चेयरमैन ने इस सिलसिले में एक रोचक बात कही है. व्हाइट हाउस में इतने सारे भारतीय. कल्पना कीजिए भारतीय कैबिनेट में अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी लोग हों. क्या हमारा दिमाग इतना खुला हो सकता है?
यूएस में ब्लैक अमेरिका की तादाद कुल जनसंख्या में करीब 12 प्रतिशत है. ट्रंप सरकार के दौरान ब्लैक अमेरिकन लोगों में काफी रोष था. जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद इस समुदाय के साथ-साथ काफी बड़ी संख्या में लिबरल अमेरीकियों ने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ आंदोलन किया था.
ऐसा कहा जा रहा था कि बाइडेन पर ब्लैक अटॉर्नी जनरल चुनने का दबाव था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. बल्कि समुदाय से पांच लोगों को कैबिनेट में दूसरे पद दे दिए. इनमें सबसे बड़े नाम डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन और यूएन एम्बेसडर लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड का है.
बाइडेन ने अपनी कैबिनेट में चार लैटिनो को जगह दी है और इनमें से तीन कैबिनेट सेक्रेटरी हैं. इनमें बड़ा नाम मयोरकास और बेकेरा का है, जो अपने-अपने विभाग का नेतृत्व करने वाले पहले लैटिनो होंगे.
2019 में प्यू रिसर्च सेंटर की एक स्टडी में पाया गया था कि 56 फीसदी अमेरिकी मानते हैं कि ट्रंप ने नस्लीय संबंधों को खराब कर दिया है. बाइडेन ने 'सबसे विविध' कैबिनेट बनाकर इस दिशा में शायद पहला कदम उठाया है.
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