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जो बाइडेन ने 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि लोकतंत्र जीत गया है. उन्होंने साफ किया कि ये किसी एक इंसान की जीत नहीं है, टूटे-फूटे अमेरिका को उसकी खोई हुई आत्मा लौटाने के लिए एकता के अलावा कोई दूसरा मंत्र नहीं हो सकता.
पिछले कुछ सालों से अमेरिका नस्लवाद और आपस के झगड़े में फंसा हुआ था, लेकिन बाइडेन ने नई रोशनी की एहसास कराया है. हालांकि, ट्रंप ने जो तांडव मचाया था, उससे अमेरिका को निकालना बाइडेन के लिए चुनौती भरा काम होगा.
बाइडेन का शपथ ग्रहण समारोह कई मामलों में ऐतिहासिक था. पहली बार ऐसा हुआ होगा, जब नेशनल मॉल में हजारों या लाखों लोगों की भीड़ नहीं थी. झंडे लगे हुए थे, करीबन हजार लोग थे और नेशनल गार्ड, 25 हजार की तादात में मौजूद थे. इसकी वजह यह थी कि अमेरिकी संसद पर हाल ही में जो हमला हुआ था, उसके बाद अमेरिकी अथॉरिटीज कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थीं.
पहली बार अमेरिका के कैबिनेट में श्वेतों की संख्या अश्वेतों से कम है. महिलाओं को बराबर की तरजीह दी गई है, ये एक बहुत बड़ी मिशाल मानी जा रही है.
कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह जूझ रहे,अमेरिका के नए राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद बाइडेन ने कहा कि देश के पास वक्त की कमी है, ''मैं तुरंत काम शुरू कर रहा हूं.''
बाइडेन की शपथ के साथ ही अमेरीकी शेयर बाजार भी उछले क्योंकि उनको एक बहुत बड़े राहत पैकेज की उम्मीद है.
अमेरिका के सामने दोबारा आदर्श देश बनने की चुनौती है. इसके लिए बड़ी मेहनत की जरूरत है, और ज्यादा वक्त भी नहीं है क्योंकि चीन बड़ी प्रतिद्वंदी के रूप में सामने खड़ा है. ऐसे में बाइडेन को काफी चुनौतियों के साथ काम करना पड़ेगा. अमेरिका में आगे जो होगा, उसका असर अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है. -
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