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अमेरिका का अफगानिस्तान (Afghanistan) से जाना भी उतना ही खूनी साबित हो रहा है, जितना उसका आना था. 9/11 हमलों में हजारों अमेरिकी लोगों की मौत के बाद अल-कायदा को मिटाने अफगानिस्तान गया अमेरिका 20 साल बाद एक और 'अराजक वापसी' कर रहा है. वापसी भी ऐसी कि जिस तालिबान (Taliban) को 20 साल पहले हटा दिया था, वही अब काबुल (Kabul) की सत्ता की बागडोर संभाले हुए है. जो बाइडेन किसी तरह 'फॉरएवर वॉर' खत्म होने का इंतजार कर रहे थे लेकिन 26 अगस्त को उन्हें रियलिटी चेक मिला कि अफगानिस्तान को वो 'जीत' की तरह पेश नहीं कर सकेंगे. कभी भी.
26 अगस्त को राजधानी काबुल के हामिद करजाई एयरपोर्ट के बाहर दो बम ब्लास्ट हुए. मरने वालों की तादाद अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में अलग-अलग बताई जा रही है. फिर भी अनुमानित 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.
आतंकी हमले में अमेरिका के 13 सर्विस सदस्य भी मारे गए हैं. घायलों की संख्या सैंकड़ों में है. ये एक दशक में अमेरिका के लिए सबसे घातक दिन था. तो क्या अमेरिका की निकासी प्रक्रिया में कोई बदलाव आएगा? या आतंकी हमला काबुल की जमीनी स्थिति को बदल देगा?
जो बाइडेन ने काबुल हमले के बाद देश को संबोधित किया और कहा कि आतंकियों को इसकी कीमत चुकानी होगी. बाइडेन ने कहा, “हम उन्हें माफ नहीं करेंगे, उन्हें ढूंढेंगे और इसकी सजा देंगे.”
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि हम अफगानिस्तान से अमेरिकी नागरिकों को बचाएंगे. हम अपने अफगान सहयोगियों को बाहर निकालेंगे और हमारा मिशन जारी रहेगा.
यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल केनेथ मैकेंजी ने बताया है कि आतंकी हमले के बाद भी काबुल एयरपोर्ट से निकासी जारी रही. जनरल मैकेंजी ने और आतंकी हमलों की संभावना से इनकार नहीं किया है.
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन ने 25 और 26 अगस्त को अफगानिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों से काबुल एयरपोर्ट की यात्रा न करने को कहा था. इंटेलिजेंस एजेंसियां कई दिनों से ISIS के हमले की चेतावनी दे रही थीं.
तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने सुसाइड बॉम्बिंग की निंदा की और फिर अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि 'वो एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं.' तालिबान और अमेरिकी सुरक्षा बल मिलकर एयरपोर्ट को चला रहे हैं. एयरपोर्ट का नियंत्रण अमेरिका के पास है, जबकि बाहरी सुरक्षा तालिबान के जिम्मे है.
बाइडेन और जनरल मैकेंजी के बयानों से संकेत मिलता है कि अभी अमेरिका का फोकस अपने नागरिकों और अफगान सहयोगियों को निकालने पर है. निकासी प्रक्रिया को रोका नहीं जा रहा है.
बाइडेन ने अमेरिका की पूर्ण वापसी के लिए 31 अगस्त की डेडलाइन तय की है. तालिबान इस तारीख को 'रेड लाइन' बता चुका है. बाइडेन भी डेडलाइन आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. उलटे वो आतंकी हमले को भी अफगानिस्तान से जल्द वापसी की वजह के तौर पर पेश कर रहे हैं.
तालिबान को 31 अगस्त का इंतजार है क्योंकि 3000-4000 अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी उसे अखर रही है. ISIS भी इस डेडलाइन की अहमियत समझ रहा है और इसलिए उसने निकासी के आखिरी दिनों में हमला किया, जो अमेरिका के लिए जाते-जाते एक बड़ा घाव बन जाएगा.
काबुल हमले के बाद ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने इमरजेंसी कमेटी की बैठक की थी. न्यूज एजेंसी AFP का कहना है कि ब्रिटेन 27 अगस्त को कुछ घंटों में निकासी प्रक्रिया खत्म कर देगा. स्पेन भी 27 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर अपने ऑपरेशन्स बंद कर देगा.
इसे आतंकी हमले का डर कहें या योजना के तहत पैकअप करना, अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए स्थिति अच्छी नहीं है और वो ऑप्टिक्स के खेल में तो मात खाएंगे ही. अफगानिस्तान में 20 साल बिताने के बाद अमेरिका एयरपोर्ट की बाहरी सुरक्षा के लिए तालिबान पर निर्भर है. जाते-जाते ISIS का इतना बड़ा हमला कर देना पूरे अफगान मिशन पर एक और धब्बा है. हालांकि, अफगानिस्तान युद्ध खत्म करने को लेकर अमेरिकी लोगों का समर्थन बाइडेन के लिए इकलौती राहत है.
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