Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019माल्‍या केस में CBI को मिली कामयाबी, जज ने कई सबूत स्‍वीकार किए

माल्‍या केस में CBI को मिली कामयाबी, जज ने कई सबूत स्‍वीकार किए

ब्रिटेन की अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े केस में भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे कई सबूत स्वीकार कर लिए.

क्विंट हिंदी
दुनिया
Published:
माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़कर जाने के बाद ब्रिटेन में रह रहे हैं.
i
माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़कर जाने के बाद ब्रिटेन में रह रहे हैं.
(फोटो: TheQuint)

advertisement

देश के बैंकों से कर्ज लेकर ब्र‍िटेन में जा बसे शराब कारोबारी विजय माल्‍या पर कानून का शिकंजा कसता नजर आ रहा है. ब्रिटेन की एक अदालत ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े केस में भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए कई सबूतों को स्वीकार कर लिया. इस मामले में अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होगी.

माल्या (62) करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्‍ड्र‍िंग केस में भारत में वांटेड हैं. पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से प्रत्यर्पण वॉरंट पर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वे 6,50,000 पाउंड की जमानत पर हैं. शुक्रवार को उनकी जमानत अवधि अगली सुनवाई की तारीख 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी गई.

अदालत जब अगली सुनवाई करेगी, तो वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा अर्बथनॉट के सामने मौखिक दलीलें दी जाएंगी. इसके बाद न्यायाधीश अगली सुनवाई में मामले पर फैसले की अपनी योजना के संकेत दे सकती हैं.

इससे पहले, माल्या सुनवाई के सिलसिले में अदालत गए थे. सीबीआई को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली, जब जज ने पुष्टि की कि भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए बहुत सारे सबूत स्वीकार किए जाएंगे. माल्या ने स्थानीय वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के बाहर पत्रकारों को बताया, ‘‘अदालत में एक और दिन.''

शुक्रवार की सुनवाई ऐसे समय में हुई, जब प्रत्यर्पण पर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के एक पिछले फैसले के खिलाफ भारत सरकार की ओर से हाईकोर्ट में की गई अपील नकार दी गई थी.

जेल की हालत और मानवाधिकार का पेच

साल 2000 में दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये से जुड़े मैच फिक्सिंग मामले में अहम आरोपी और भारत में वांछित संजीव कुमार चावला को दिल्ली के तिहाड़ जेल की गंभीर हालत के मुद्दे पर मानवाधिकारों के आधार पर पिछले साल अक्‍टूबर में आरोपमुक्त कर दिया गया था. चावला को प्रत्यर्पित किए जाने पर तिहाड़ जेल में ही रखने की तैयारी थी.

जिला न्यायाधीश रेबेका क्रेन ने चावला को आरोपमुक्त करने के अपने फैसले के लिए यूरोपीय परिषद की यातना रोकथाम समिति (सीपीटी) के निर्वाचित सदस्य और स्कॉटिश कारागार सेवा में स्वास्थ्य देखभाल मामलों के पूर्व प्रमुख डॉ. एलेन मिचेल की गवाही को आधार बनाया था. माल्या की बचाव टीम ने उन्हीं जेल विशेषज्ञों से गवाही दिलवाई, जिन्होंने जज अर्बर्थनॉट को मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा कि सभी भारतीय जेलों की हालत संतोषजनक नहीं है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

लंबा खिंच सकता है मामला

पिछले साल चार दिसंबर को लंदन की अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी, जिसका मकसद माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को पहली नजर में साबित करना है. माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़कर जाने के बाद ब्रिटेन में रह रहे हैं.

माल्या की बचाव टीम ने दावा किया था कि उनकी कोई गलत मंशा नहीं है और भारत में उन पर निष्पक्ष तरीके से मुकदमा चलाने की संभावना नहीं है. अगर जज भारत सरकार के पक्ष में फैसला देती हैं, तो ब्रिटेन के विदेश मंत्री के पास माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर दस्तखत के लिए दो महीने का वक्त होगा. बहरहाल, दोनों पक्षों के पास मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले के खिलाफ ब्रिटेन की ऊंची अदालतों में अपील करने का हक होगा.

(इनपुट भाषा से)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT