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Nancy Pelosi: कभी तियानमेन स्क्वायर पर बैनर लहराया था,अब ताइवान से चीन को चुनौती

Nancy Pelosi in Taiwan: अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान पहुंची, US-चीन के बीच तनाव बढ़ा

आशुतोष कुमार सिंह
दुनिया
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Nancy Pelosi profile: कभी तियानमेन स्क्वायर पर बैनर लहराया था,अब ताइवान से चीन को चुनौती</p></div>
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Nancy Pelosi profile: कभी तियानमेन स्क्वायर पर बैनर लहराया था,अब ताइवान से चीन को चुनौती

(फोटो- Altered By Quint)

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चीन की ओर से लगातार बढ़ती चेतावनी और धमकियों को धता बताते हुए अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी मंगलवार की रात, 2 अगस्त को ताइवान (Nancy Pelosi in Taiwan) में उतरीं. इस यात्रा के साथ अभी तक रूस-यूक्रेन युद्ध से सहमी दुनिया की नजर अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव की ओर मुड़ गयी.

राष्ट्रपति बाइडेन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बाद सीनियरिटी क्रम में तीसरे स्थान की पेलोसी की यह यात्रा इसलिए भी खास है, क्योंकि पिछले 25 सालों में ताइवान का दौरा करने वाली वह अमेरिका की सर्वोच्च निर्वाचित प्रतिनिधि हैं.

कौन हैं Nancy Pelosi ?

82 साल की नैन्सी पेलोसी ने अमेरिकी संसद में तीन दशक से अधिक समय बिताया है और अपने राजनीतिक करियर में वो चीन और उसके मानवाधिकार विरोधी नीतियों की मुखर विरोधी रही हैं. आइए यहां आपको बताते हैं 1991 में बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर पर बैनर फहराने से लेकर मौजूदा ताइवान के दौरे तक- चीनी विरोध के बावजूद उसे डटकर आंख दिखाती और सवाल करती नैन्सी पेलोसी की कहानी.

 नैन्सी पेलोसी का राजनीतिक करियर

नैन्सी पेलोसी अमेरिका की हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव (लोकसभा जैसा) की 52 वीं स्पीकर हैं, जिन्होंने 2007 में तब इतिहास रच दिया था, जब वो सदन की अध्यक्ष के रूप में चुनी जाने वालीं पहली महिला बनी थीं. पेलोसी ने जनवरी 2019 में फिर से इतिहास रच दिया, जब वो लगातार दूसरी बार सदन की स्पीकर बनीं. छह दशकों से अधिक समय में ऐसा करने वाली पहली स्पीकर थीं.

35 सालों के लिए स्पीकर पेलोसी ने अमेरिकी संसद में सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया के 12 वें जिले का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने 19 सालों तक हाउस डेमोक्रेट्स का नेतृत्व किया है और पहले हाउस डेमोक्रेटिक व्हिप के रूप में भी कार्य किया है. 2013 में उन्हें अमेरिकी महिला अधिकार आंदोलन के जन्मस्थान, सेनेका फॉल्स में एक समारोह में नेशनल विमेंस हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था.
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पेलोसी ने क्लाइमेट चेंज को अपने अध्यक्ष पद का प्रमुख मुद्दा बनाया है. उनकी वेबसाइट के मुताबिक 2007 में उन्होंने एक व्यापक ऊर्जा कानून बनाया, जिसने तीन दशकों में पहली बार वाहन ईंधन दक्षता मानकों को बढ़ाया और अमेरिका के घरेलू जैव ईंधन के लिए एक गेम-चेंजिंग प्रतिबद्धता तय की.

बता दें कि 2019 में तात्कालिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर राष्ट्रपति चुनाव में कथित तौर पर रूस से मदद मांगने और यूक्रेन को कांग्रेस द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता को रोकने पर अपने पद की शपथ का उल्लंघन करने का आरोप लगा. तब नैन्सी पेलोसी के ही नेतृत्व में डेमोक्रेटिक हाउस ने एक जांच शुरू की थी और अमेरिकी इतिहास में तीसरी बार राष्ट्रपति पर महाभियोग लगा था.

नैन्सी पेलोसी ने शुरू से किया चीन का विरोध 

पेलोसी ने कहा है कि वह इस कार्यकाल के बाद स्पीकर पद को छोड़ देंगी, ताइवान दौरे पर जाते वक्त अपनी राजनीतिक विरासत की ओर देख रही होंगी, जिसमें चीन के प्रति एक उदासीन रुख शामिल है.

1991 में एशिया की यात्रा पर अमेरिका से गए 3 सांसद जब बीजिंग पहुंचे तो चीनी सरकार के विरोधियों और तियानमेन स्क्वायर नरसंहार के पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए उन्होंने हांगकांग का दौरा किया था. उस विशाल चौराहे पर चुपके से, जहां दो साल पहले एक विद्रोह को बेरहमी से दबा दिया गया था, तीन अमेरिकी सांसदों ने चीनी सरकार के विरोधियों से मिले एक झंडे/बैनर को फहराया जिसे वो अपने साथ छिपा कर चीन के अंदर लाए थे.

उन तीन अमेरिकी सांसदों में से एक नैन्सी पेलोसी भी थीं. उस बैनर पर चाइनीज और अंग्रेजी में लिखा था- "उन लोगों के लिए जो चीन में लोकतंत्र के लिए मर गए"

ऐसे में नैन्सी पेलोसी का ताइवान पहुंचना दरअसल मानवाधिकारों और अन्य मुद्दों पर चीनी सरकार को चुनौती देने के तीन दशक से अधिक के करियर में लेटेस्ट संघर्ष भर है.

जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश और बिल क्लिंटन के कार्यकाल से ही पेलोसी ने जोर देकर कहा है कि चीन के साथ भले ही अमेरिकी संबंधों का अपना आर्थिक लाभ हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड या वहां के राष्ट्रीय नेताओं की कड़ी आलोचना नहीं की जाए.

पेलोसी ने पिछले साल तियानमेन स्क्वायर नरसंहार की 32वीं बरसी पर कहा था कि "अगर हम आर्थिक चिंताओं के कारण चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नहीं बोलते हैं, तो हम दुनिया में किसी अन्य जगह मानवाधिकारों के बारे में बात करने का नैतिक अधिकार खो देते हैं"

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Published: 03 Aug 2022,12:17 PM IST

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