Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 NASA: ब्रह्मांड की अनसुलझी गुत्थियों से पर्दा उठाएगा सबसे बड़ा स्पेस टेलिस्कोप

NASA: ब्रह्मांड की अनसुलझी गुत्थियों से पर्दा उठाएगा सबसे बड़ा स्पेस टेलिस्कोप

जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप को 22 दिसंबर को अंतरिक्ष में भेज दिया जाएगा.

प्रदीप
दुनिया
Updated:
<div class="paragraphs"><p>जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की लॉन्चिंग की तैयारियां तेज</p></div>
i

जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की लॉन्चिंग की तैयारियां तेज

फोटो- नासा

advertisement

अब तक की सबसे शक्तिशाली स्पेस ऑब्जर्वेटरी ‘जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप’ (James Web Space Telescope) दशकों के इंतजार के बाद आखिरकार ब्रह्मांड की गहराइयों में झांकने के लिए तैयार है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हो जाता है तो इस टेलिस्कोप को इसी महीने 22 तारीख को अंतरिक्ष में भेज दिया जाएगा.

यह तकरीबन 9.7 अरब डॉलर की लागत वाला अमेरिकी इतिहास का अब तक सबसे बड़ा स्पेस साइंस प्रोजेक्ट है, जिसमें समय के साथ कई एडवांस टेक्नोलॉजी को जोड़ा गया है. जेम्स वेब ब्रह्मांड की गहराइयों में जाकर स्पेस और टाइम के उन हिस्सों की खोजबीन करेगा जब ब्रह्मांड की शुरूआती आकाशगंगाओं का निर्माण हो रहा था आइए समझते हैं कि स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिहाज से यह मिशन क्यों इतना खास है.

ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को बदल कर रख देगा जेम्स वेब

ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जेम्स वेब की मदद से उन आकाशगंगाओं को भी देखने में मदद मिल सकती है जो कि ब्रह्मांड की शुरुआत के साथ ही बनी थीं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जेम्स वेब को इसी उद्देश्य से तैयार किया गया है कि यह ब्रह्मांड की शुरुआती आकाशगंगाओं की खोजबीन करे.

नासा के गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की वैज्ञानिक एंबर स्ट्रान के मुताबिक हब्बल से भी ज्यादा प्रकाश वर्ष दूर तक इस टेलिस्कोप की रेंज होगी और हम बहुत दूर मौजूद खगोलीय पिंडों को उनकी अरबों साल पहले की स्थिति में देख पाएंगे. वहीं गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में इंजीनियर बेगोनिया विला का कहना है कि जेम्स वेब समय में करीब एक अरब 35 करोड़ साल पीछे देखने की कोशिश करेगा.

हब्बल टेलिस्कोप की उपलब्धियां

हब्बल टेलिस्कोप के बारे में बात किए बिना, जेम्स वेब टेलिस्कोप के बारे में बात करना मुश्किल होगा क्योंकि इसकी बदौलत ही हमें स्पेस टेलिस्कोप्स की अहमियत के बारे में पता चला. हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की शानदार उपलब्धियों ने इसे एस्ट्रोफिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण ऑब्जर्वेटरिज में से एक बना दिया है.

अमेरिकी एस्ट्रोनॉमर एडविन हब्बल के नाम से मशहूर नासा के इस स्पेस टेलिस्कोप ने ब्रह्मांड और अंतरिक्ष के बारे में हमें बहुत सी नई जानकारियां दी हैं. ब्रह्मांड का तेज रफ्तार से फैलाव हो रहा है, एडविन हब्बल यह पता लगाने वाले पहले व्यक्ति थे. नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ‘ईएसए’ के ज्वाइंट स्पेस मिशन के रूप में हब्बल स्पेस टेलिस्कोप को 1990 में अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था और तब से लेकर अब तक इसने तमाम तकनीकी अड़चनों के बावजूद ब्रह्मांड के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है.

ब्रह्मांड और अंतरिक्ष के बहुत से रहस्य आज भी अनसुलझे हैं, बहुत से सवालों के जवाब अभी खोजे जाने बाकी हैं और हब्बल टेलिस्कोप की अपनी तकनीकी सीमाएं हैं. इसके अलावा हब्बल की ऑर्बिट लगातार छोटी हो रही है और ऐसी संभावना है कि यह टेलिस्कोप 2024 तक पृथ्वी के अट्मॉस्फियर में वापस आ कर जल जाए. ऐसे में, जेम्स वेब को हब्बल के उत्तराधिकारी और हब्बल के अपग्रेडेड वर्जन तौर पर भी देखा जा रहा है.

अब तक के अपने 31 साल के कार्यकाल में हब्बल ने ब्रह्मांड की कुछ सबसे बेहतरीन पैनोरमिक तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया है और धरती पर भेजा है. इन तस्वीरों के जरिए एस्ट्रोनॉमर ब्रह्मांड, अंतरिक्ष और खगोलीय पिंडों (ग्रहों, तारों, निहारिकाओं, आकाशगंगाओं, क्वासर्स आदि) के बारे में एक बेहतर समझ अख़्तियार कर पा रहे हैं. लेकिन हब्बल ने हमें सिर्फ तस्वीरें ही नहीं दी, और भी बहुत कुछ दिया.

इसकी बदौलत हमें ब्रह्मांड की उम्र (तकरीबन 13.8 अरब साल) का एक सही अंदाजा मिल पाया, डार्क एनर्जी की मौजूदगी का सबूत मिला, दीर्घवृत्तीय एलिप्टिकल गैलेक्सिज की खोज, क्वासरों के विशिष्ट गुणों की खोज और 1994 में बृहस्पति ग्रह और कॉमेट ‘शूमेकर लेवी-9′ के बीच हुए टकराव का चित्रण आदि हब्बल की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं.

ब्रह्मांड की अनदेखी दुनिया को दिखाने में सक्षम होगा जेम्स वेब

जेम्स वेब ब्रह्माण्ड की विभिन्न वस्तुओं की इन्फ्रारेड प्रकाश में जांच करने में सक्षम होगा. दरअसल, जेम्स वेब अंतरिक्ष की गहराइयों में वह सबकुछ देख पाएगा जिसे ऑप्टिकल टेलिस्कोप्स या हब्बल टेलिस्कोप के जरिए नहीं देखा जा सकता है.

अंतरिक्ष का ज्‍यादातर हिस्सा गैस और धूल के विशाल बादलों से भरा है, जिसके पार देखने की क्षमता हमारे पास नहीं है. मगर यह इन्फ्रारेड प्रकाश गैस और धूल के बादलों की बड़ी से बड़ी दीवारों को भी भेद सकता है. इसकी मदद से हम तारों और आकाशगंगाओं की उत्पत्ति, जन्म ले रही सौर प्रणालियों, धूलकणों के विशालकाय भंडारों आदि को देख सकेंगे.

हमारा ब्रह्मांड तेजी से फैल रहा है, वे आकाशगंगाएं भी पृथ्वी से दूर जा रही हैं जो ब्रह्मांड की शुरूआत में बनीं थीं. दूर जाने वाली आकाशगंगाओं के प्रकाश की वेवलेंथ दिखाई देने वाले प्रकाश से इन्फ्रारेड प्रकाश में बदल गईं हैं, ऐसे में जेम्स वेब इन्फ्रारेड की खिड़की का इस्तेमाल करके ब्रह्मांड की उस अनदेखी दुनिया के अध्ययन में सक्षम होगा जिसे अभी तक हम नहीं देख पायें हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

आधुनिक इंजीनियरिंग का अनोखा चमत्कार

जेम्स वेब में ब्रह्मांड की गहराइयों में झांकने के लिए बहुत बड़ा मिरर लगाया गया है. जहां हब्बल टेलिस्कोप के प्राइमरी मिरर की चौड़ाई 2.5 मीटर है, वहीं जेम्स वेब की चौड़ाई 6.5 मीटर है. जेम्स वेब टेलिस्कोप की क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पर एक सनशील्ड लगा हुआ है जिसका आकार एक टेनिस कोर्ट (तकरीबन 22 मीटर) के बराबर है. यह सनशील्ड सूर्य के इन्फ्रारेड प्रकाश को कैमरे के लेंस में घुसने से रोकने के लिए लगाया गया है.

यह सनशील्ड तापमान को स्थिर रखने में मददगार होगा. यह 298 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी टेलिस्कोप को सुरक्षित रख सकता है इसके साथ-साथ इस टेलिस्कोप में चार कैमरे और सेंसर मॉनिटर (मिड आईआर इंस्ट्रूमेंट, फिल्टर इमेजर, आईआर मल्टी-ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ और नियर इन्फ्रारेड कैमरा) इंस्टॉल किए गए हैं.

जैसे ही किसी खगोलीय पिंड का प्रकाश टेलिस्कोप में घुसेगा वह प्राइमरी मिरर से टकराकर चार सेंसरों तक जाएगी. अंतरिक्ष में यह टेलिस्कोप कुछ-कुछ सैटलाइट डिश के जैसे काम करेगा. करीब 9.7 अरब डॉलर की लागत वाले इस टेलिस्कोप के मिरर को 18 भागों में इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसे फोल्ड किया जा सकता है और लांचिंग के बाद खोला जा सकता है.

जेम्स वेब टेलिस्कोप को ब्रह्माण्ड के कुछ बड़े रहस्यों को सुलझाने के उद्देश्य से बनाया किया गया है. मोटे तौर पर इस मिशन के चार मुख्य उद्देश्य हैं. पहला, बिग बैंग के बाद बनने वाले शुरुआती तारों और आकाशगंगाओं की खोज. दूसरा, तारों के चारों ओर के ग्रहों की स्थिति का अध्ययन. तीसरा, तारों और आकाशगंगाओं की उत्पत्ति को समझते हुए ब्रह्मांड की उत्पत्ति को सुलझाना. चौथा, जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाना.

जेम्स वेब टेलिस्कोप की लांचिंग से हमें कई सवालों के वाजिब जवाब मिल सकते हैं. ‘शुरूआती ब्रह्मांड कैसा दिखता था?’ यह सवाल भी उन्हीं में से एक है. हब्बल की मदद से हम बिग बैंग के बाद करीब 40 करोड़ साल पहले की तस्वीरों तक ही पहुंच सकते थे, लेकिन जेम्स वेब हमारे इस दायरे को बढ़ाकर बिग बैंग के 25 से 10 करोड़ साल बाद का ब्रह्मांड दिखाने में सक्षम होगा.

कई बार टल चुकी है लॉन्चिंग

जेम्स वेब टेलिस्कोप आधुनिक इंजीनियरिंग का एक अद्भुत चमत्कार है. इसका विकास नासा, ईएसए और सीएसए ने मिलकर किया है. पहले जेम्स वेब टेलिस्कोप का नाम ‘न्यू जनरेशन स्पेस टेलिस्कोप’ था. लेकिन सितंबर 2002 में इसका नाम बदलकर नासा के पूर्व व्यवस्थापक जेम्स ई. वेब के नाम पर कर दिया गया. इस मिशन पर काम 1996 में शुरू हुआ था.

जेम्स वेब को पहले 2005 में अंतरिक्ष में भेजा जाना था, लेकिन फंडिंग और तकनीकी समस्याओं की वजह से लांचिंग की तारीख आगे खिसकती रही. ये समस्याएं किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं थी, हालांकि इस दिशा में नासा की हालिया उपलब्धि यह है कि फिलहाल उसने लागत की अधिकता और मिशन में देरी की उस श्रृंखला को खत्म कर दिया है, जिससे इस मिशन की लॉन्चिंग कई बार टल चुकी है. इसलिए इस बार यह उम्मीद की जा रही है कि आगामी 22 दिसंबर को इसे लॉन्च कर ही दिया जाएगा.

(लेखक साइंस ब्लॉगर और विज्ञान संचारक हैं. वे लगभग 8 सालों से विज्ञान के विविध विषयों पर देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लिख रहे हैं. उनकी दो किताबें और तकरीबन 250 लेख प्रकाशित हो चुके हैं.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 11 Dec 2021,09:29 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT