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पृथ्वी को एस्ट्रॉयड के खतरे से बचाने के लिए NASA आज लॉन्च कर रहा है स्पेसक्राफ्ट

एस्ट्रॉयड से पृथ्वी को बचाने के लिए क्या है NASA और SpaceX की योजना

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<div class="paragraphs"><p>पृथ्वी को एस्ट्रॉयड के खतरे से बचाने के लिए NASA लॉन्च करेगा स्पेसक्राफ्ट</p></div>
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पृथ्वी को एस्ट्रॉयड के खतरे से बचाने के लिए NASA लॉन्च करेगा स्पेसक्राफ्ट

(Photo:Twitter/NASA) 

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24 नवंबर को अमेरिका की स्पेस एजंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) अंतरिक्ष में एक स्पेसक्राफ्ट लांच करने जा रही है, जो डिमोर्फोस नाम के एक आकाशीय पिंड से टकराएगा. इसकी लॉन्चिंग SpaceX द्वारा की जाएगी.

NASA के साइंटिस्ट स्पेसक्राफ्ट से एक ऐसे परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं, जिससे आने वाले वक्त में किसी खतरनाक एस्ट्रॉयड को पृथ्वी से टकराने से रोका जा सके.

इसका उद्देश्य एक प्लेनेट्री डिफेन्स सिस्टम का परीक्षण करना है जो पृथ्वी से दूर एक आर्मगेडन-उत्प्रेरण एस्ट्रॉयड को हटाने से संबंधित वास्तविक डेटा देगा.

पृथ्वी ग्रह पर लगातार मलबे के छोटे-छोटे टुकड़ों की बमबारी होती रहती है, लेकिन ये आमतौर पर जमीन से टकराने के बहुत पहले ही जल या टूट जाते हैं. हालांकि, कभी-कभी जमीन पर इनके टकराने से बड़े नुकसान होने की संभावना होती है.

लगभग 66 मिलियन साल पहले इस तरह की एक घटना के बारे में कहा जाता है कि इसने डायनासोर के शासन को समाप्त कर दिया और ऊपरी वायुमंडल में भारी मात्रा में धूल और मलबे को बाहर निकाल दिया था. जिसकी वजह से सूर्य अस्पष्ट हो गया और खाद्य-पदार्थ नष्ट हो गए थे.

अगर इसे हटाने का कोई तरीका नहीं खोजा गया तो मानव जीवन में ऐसा खतरनाक समय कभी भी आ सकता है.

हालांकि, डिमोर्फोस से पृथ्वी के लिए खतरे जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन भविष्य में इस तरह के खतरों का सामना किस तरह से किया जा सकता है, इस परीक्षण के माध्यम से वही सीखने का प्रयास किया जाएगा.

NASA का DART मिशन

नासा के वैज्ञानिक DART (Double Asteroid Redirection Test) मिशन के जरिए सबसे पहली कोशिश में यह देखना चाहते हैं कि एस्ट्रॉयड की स्पीड और आगे बढ़ने की दिशा को बदला जा सकता है या नहीं.

इसी के साथ यह भी परीक्षण किया जाना है कि क्या कोई स्पेसक्राफ्ट एस्ट्रॉयड की ओर आगे बढ़कर उससे टकराकर डिफलेक्शन की मात्रा को माप सकता है या नहीं.

National Near Earth Objects के डायरेक्टर Jay Tate ने कहा कि यह वास्तव में Near-Earth ऑब्जेक्ट्स के प्रभाव को रोकने तरीके का पहला परीक्षण है.

Jay Tate ने आगे कहा कि अगर परीक्षण सफल हो जाता है तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि इससे यह साबित हो जाएगा कि हमारे पास खुद को बचाने के लिए टेक्निकल क्षमता है.

कब और कहां से होगी लॉन्चिंग?

610 किलोग्राम वजन का DART स्पेसक्राफ्ट बुधवार, 24 नवंबर को ब्रिटेन समय के मुताबिक सुबह करीब 6.21 बजे कैलिफोर्निया के वेंडेबर्ग स्पेसफोर्स बेस से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट से रवाना किया जाएगा.

इसका टारगेट डिडिमोस है, जो दो एस्ट्रॉयड में सबसे बड़ा है और यह लगभग 780 मीटर में फैला हुआ है.

दूसरा एस्ट्रॉयड डिमोर्फोस लगभग 160 मीटर चौड़ा है.

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क्या है योजना?

जैसे ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं, ये एस्ट्रॉयड कभी-कभी पृथ्वी के करीब से गुजरते हैं. डिमोर्फोस के आकार वाले एस्टेरॉयड अगर पृथ्वी से टकरा जाएं तो कई परमाणु बमों की ऊर्जा जितना असर हो सकता है.

वैज्ञानिकों की योजना है कि स्पेसक्राफ्ट को डिमोर्फोस में क्रैश किया जाय.

इस वक्त एस्ट्रॉयड सिस्टम 26 सितंबर और 1 अक्टूबर के बीच की अधिम में कुछ समय के लिए निकटतम दूरी लगभग 6.8 मीटर पर होगा.

DART मिशन में एक कैमरा भी उपयोग में लाया गया है, जिसका नाम ड्रेको है. यह कैमरा मिशन की तस्वीरों को कैप्चर करेगा जिससे स्पेसक्राफ्ट के डिमोर्फोस से टकराने के लिए सही डायरेक्शन के बारे में पता लगता रहे.

अपने टारगेट से लगभग 10 दिन पहले डार्ट, Light Italian CubeSat (LICIACube) नाम का एक छोटा सैटेलाइट स्पेसक्राफ्ट से अलग हो जाएगा और ये इम्पैक्ट की तस्वीरों को पृथ्वी पर भेजने का काम करेगा.

ग्राउंड-बेस्ड दूरबीनों के ऑब्जरवेशन और एक ऑनबोर्ड कैमरा जो टकराव से पहले फाइनल मूवमेंट्स को कैप्चर करेगा, इन रिकॉर्डिंग्स से वैज्ञानिकों को उस डिग्री को कैल्कुलेट करने में मदद मिलेगी, जिसके प्रभाव ने डिमोर्फोस के ऑर्बिट को बदला जाएगा.

उम्मीद है कि यह छोटे एस्ट्रॉयड की गति को 1% तक बदल देगा और बड़े एस्ट्रॉयड के चारों ओर अपने ऑर्बिटल पीरियड को कई मिनटों तक बदल देगा.

उसके बाद नवंबर 2024 में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का Hera Spacecraft डिडिमोस सिस्टम का दौरा करेगा, जो इस खगोलीय स्नूकर गेम के परिणामों का एक और करीबी विश्लेषण करेगा. इसमें सटीक द्रव्यमान, डार्ट द्वारा छोड़े गए ढांचे और डिमोर्फोस की आंतरिक संरचना जैसे डीटेल्स को कैप्चर किया जाएगा.

इस तरह के डीटेल्स एस्ट्रॉयड डिफ्लेक्शन को एक दोहराने योग्य तकनीक में बदलने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसके द्वारा कभी भी पृथ्वी की ओर बढ़ते हुए एक एस्ट्रॉयड का पता लगाया जा सकता है.

फिर भी यह नहीं कहा कहा जा सकता कि कोई सिंगल डिफ्लेक्शन रणनीति पर्याप्त होगी.

Tate ने कहा कि यह मिशन इस बात को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है कि हमें एक छोटे एस्ट्रॉयड पर एक छोटे इम्पैक्टर के प्रभाव पर वास्तविक समय की जमीनी सच्चाई प्रदान करेगा.

DART मिशन के टारगेट पर पहुंचने के बाद क्या होगा? 

समस्या यह है कि कोई भी दो एस्ट्रॉयड या धूमकेतु एक जैसे नहीं होते हैं. आप किसी एक को कैसे डिफलेक्ट करते हैं, यह बड़ी संख्या में वैरिएबल्स पर निर्भर करता है: वस्तु किस चीज से बनी है, इसे कैसे एक साथ रखा गया है, यह कितनी तेजी से घूम रहा है और निश्चित रूप से आप किस समय में हैं.

इसे कोई नहीं जानता कि डिमोर्फोस और डार्ट के टकराने के बाद क्या होगा क्योंकि इसके इंटर्नल स्ट्रक्चर के बारे कोई जानकारी नहीं है. अगर डिमोर्फोस अंदर से कठोर है तो इससे बहुत ज्यादा मलबा निकलेगा.

इस बात पर भी अनिश्चितता है कि डिमोफोर्स डार्ट से टकराने के बाद कैसे व्यवहार करेगा क्योंकि इसकी आंतरिक संरचना के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

यदि डिमोफोर्स अंदर से ठोस है तो जाहिर है कि बहुत सा मलबा निकलेगा, जिससे इसे एक अतिरिक्त धक्का लगेगा.

इस प्रक्रिया में विभिन्न प्रकार के लक्ष्य के लिए विभिन्न डिफलेक्शन तरीकों का एक संपूर्ण फोल्डर चाहिए होता है. इसलिए यह प्लैनेट सिक्योरिटी की दिशा में एक छोटा कदम हो सकता है और आर्मगेडन से बचने के लिए और भी बहुत कुछ होने की संभावना है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 24 Nov 2021,09:48 AM IST

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