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न्यूजीलैंड में स्मोकिंग होगा बैन: इस कानून में क्या है खास और क्यों उठ रहे सवाल?

न्यूजीलैंड 2025 तक अपनी नेशनल स्मोकिंग रेट को 5% तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध

आशुतोष कुमार सिंह
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>न्यूजीलैंड में स्मोकिंग होगा बैन: इस कानून में क्या है खास और क्यों उठ रहे सवाल?</p></div>
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न्यूजीलैंड में स्मोकिंग होगा बैन: इस कानून में क्या है खास और क्यों उठ रहे सवाल?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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स्मोकिंग (smoking) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए न्यूजीलैंड (New Zealand) अपनी अगली पीढ़ी को तंबाकू की बिक्री पर बैन लगाने जा रहा है. नए कानून के तहत न्यूजीलैंड में 2008 के बाद पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में सिगरेट या तंबाकू उत्पाद नहीं खरीद पाएगा. इस कानून के अगले साल लागू होने की उम्मीद है.

न्यूजीलैंड की सरकार का यह कदम उसके राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है जिसमे वह 2025 तक अपनी नेशनल स्मोकिंग रेट को 5% तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका उद्देश्य अंततः इसे पूरी तरह से समाप्त करना है.

ऐसे में जानते हैं कि न्यूजीलैंड में धूम्रपान की क्या हालत है, वहां की सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और न्यूजीलैंड के स्मोकिंग लॉ पर कौन से सवाल उठ रहें ?

न्यूजीलैंड में धूम्रपान की क्या हालत है? नए कानून में कौन-कौन से उपाय हैं ?

न्यूजीलैंड की नेशनल स्मोकिंग रेट समय के साथ गिर रही है जो 2018 में 11.6% थी जबकि उसके एक दशक पहले 18% थी. फिलहाल इसमें और सुधार हुआ है और न्यूजीलैंड के केवल 13% वयस्क स्मोकिंग करते हैं.

लेकिन न्यूजीलैंड के 2 क्षेत्र- माओरी और पैसिफिका में अभी भी धूम्रपान की दर कहीं अधिक है - माओरी में 29% और पैसिफिका में 18%.

यही कारण है कि न्यूजीलैंड की सरकार ने अगले चार वर्षों के भीतर देश को पूरी तरह से स्मोकिंग फ्री बनाने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अन्य उपायों की भी घोषणा की है.

अन्य उपायों में तंबाकू उत्पादों में निकोटिन की कानूनी मात्रा को बहुत कम स्तर तक लाना, उन दुकानों की संख्या में कटौती करना जहां सिगरेट कानूनी रूप से बेची जा सकती हैं और लत छुड़ाने वाली सेवाओं के लिए आर्थिक सहायता में वृद्धि करना शामिल है. साथ ही नए कानून vape की बिक्री को प्रतिबंधित नहीं करेंगे.

अधिकारियों का कहना है कि सिगरेट बेचने के लिए अधिकृत दुकानों की संख्या अब लगभग 8,000 से घटकर 500 से कम हो जाएगी.

न्यूजीलैंड के स्मोकिंग लॉ पर कौन से सवाल उठ रहें ?

न्यूजीलैंड सरकार की इस योजना पर कुछ पार्टियों ने आपत्ति जताई है. एक्ट पार्टी ने तर्क दिया है कि तंबाकू-उत्पादों में निकोटीन की कानूनी मात्रा को कम करने से निम्न-आय वाले लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, जिन्हें पहले के निकोटिन स्तर तक पहुंचने के लिए अधिक सिगरेट खरीदना होगा और अधिक धूम्रपान करना होगा.

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साथ ही न्यूजीलैंड के स्मोकिंग लॉ के कारण तंबाकू के बढ़ते ब्लैक मार्केट को लेकर भी चिंता जताई गई है. वहां कि सरकार ने भी अपने शुरूआती प्रस्तावों में इस जोखिम को स्वीकार किया है. इसमें लिखा है कि "सबूत बताते हैं कि हाल के वर्षों में न्यूजीलैंड में तस्करी किए जा रहे तंबाकू उत्पादों की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है और संगठित आपराधिक समूह बड़े पैमाने पर तस्करी में शामिल हैं.”

इसके अलावा इस बात पर भी चिंता जताई जा रही है कि नए नियम- कानून में Vaping (इ-सिगरेट) को कवर नहीं किया गया है. हाल ही में न्यूजीलैंड के 19,000 सेकेंडरी स्कूलों के स्टूडेंट्स के एक राष्ट्रव्यापी सर्वे से पता चला है कि वहां के 25% से अधिक नौजवान नियमित रूप से Vaping करते हैं, जबकि लगभग 15% ने नियमित सिगरेट पीने की बात स्वीकारी.

सर्वे ने पाया गया कि नौजवान बिना कभी सिगरेट पिए उच्च निकोटीन वाले Vape का इस्तेमाल शुरू कर रहे हैं, और जल्दी से निकोटीन के आदी हो रहे हैं.

Vaping उन वयस्कों के लिए प्रभावी हो सकता है जो सिगरेट छोड़ना चाहते हैं, लेकिन Vaping के मार्केटिंग में युवा लोगों को टारगेट किया जा रहा है.

स्मोकिंग पर बैन और ‘चुनने की आजादी’ के बीच द्वंद का सवाल

ऐसे दर्जनों व्यवसाय, सामाजिक और मनोरंजक गतिविधियां हैं जिनमें स्मोकिंग की अनुमति देने वाले रेस्टोरेंट और बार की तुलना में कहीं अधिक स्वास्थ्य को खतरे हैं. ऐसे में स्मोकिंग को बैन करना क्या ‘चुनने की आजादी’ के खिलाफ है ?

दूसरा सवाल कि सेकेंड हैंड धुएं से संभावित खतरा सरकार के लिए इसे गैरकानूनी घोषित करने का पर्याप्त कारण है. अगर ऐसा है तो पहले सरकार जंक फूड, स्विमिंग पूल, स्कूबा डाइविंग, स्काई डाइविंग आदि पर रोक लगा रही है?

लेकिन स्मोकिंग विरोधी एक्टिविस्ट्स की दलील रही है कि यह ‘चुनने की आजादी’ नहीं है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सरकारी दायित्व का सवाल है.

उत्तरी आयरलैंड मानवाधिकार आयोग ने 1995 में स्मोकिंग और मानवाधिकारों के मुद्दे पर विचार किया और पाया कि "कोई भी संधि स्मोकिंग को मानव अधिकार के रूप में परिभाषित नहीं करती है”.

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