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रूस (Russia) और जर्मनी (Germany) के बीच गैस पाइपलाइन की परियोजन- नॉर्ड स्ट्रीम 2 (Nord Stream 2) यूक्रेन सीमा विवाद (Ukraine border dispute) के बीच एक बार फिर अपने भूराजनीतिक महत्व को लेकर चर्चा में है. लंबे समय से अटकी यह परियोजना रूस के खिलाफ यूक्रेन के पक्ष खड़ी पश्चिमी शक्तियों के लिए नासूर बन गयी है. माना जा रहा है कि इस गैस पाइपलाइन ने यूरोप की सीमा पार राजनीति में सिर्फ एक शख्स को माइलेज देने का काम किया है- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.
समझते हैं कि क्या और क्यों महत्वपूर्ण हैं नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना और इसने यूक्रेन सीमा विवाद के बीच किस तरह बनाए और बिगाड़े हैं समीकरण?
नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना को पहली बार 2015 में घोषित किया गया था. $ 11bn (£ 8.3bn) की लागत वाली इस पाइपलाइन पर रूस की राज्य समर्थित एनर्जी जाइंट कंपनी Gazprom का स्वामित्व है.
कई स्थगन और कानूनी बाधाओं के बाद सितंबर 2021 में पाइपलाइन का निर्माण पूरा हो गया था. लेकिन Gazprom बोर्ड अब जर्मन रेगुलेटर्स से गैस पाइपलाइन शुरू करने के लिए अंतिम कानूनी अनुमति की प्रतीक्षा कर रहा है.
सवाल है कि क्या यह पाइपलाइन विशुद्ध रूप से एक व्यावसायिक (कमर्शियल) परियोजना है, जैसा कि पूर्व जर्मन चांसलर मर्केल ने दावा किया है? जानकारों की माने तो नहीं. इसके महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक परिणाम हैं और गैस पाइप के हर इंच में एक राजनीतिक और कानूनी लड़ाई मौजूद है.
यह तर्क दिया जा रहा है कि पुतिन के हाथ में यूरोपीय ऊर्जा सुरक्षा (एनर्जी सिक्योरिटी) को सौंपकर यह 1,200 किमी गैस पाइपलाइन मुक्त यूरोप को उसकी दया पर छोड़ देती है.
अगर पुतिन यूरोप के साथ एक नई सीमा समझौता चाहते हैं तो गैस और अन्य रूसी भंडार पर यूरोप की निर्भरता इसे प्राप्त करने का एक साधन बन गई है.
अगर जर्मनी में मर्केल के बाद आई नयी सरकार इस गैस पाइपलाइन को हमेशा के लिए ब्लॉक कर देती है तो यह यूक्रेन की आजादी और संप्रभुता के लिए एक बड़ी जीत होगी. पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के केवल एक साल बाद जब से पाइपलाइन का प्रस्ताव किया गया था यूक्रेन ने इस विचार के खिलाफ जमकर गुटबाजी की.
कीव (यूक्रेन की राजधानी) ने यह भी तर्क दिया है कि पाइपलाइन यूरोपीय गैस बाजार में रूस के नियंत्रण और हिस्सेदारी को बढ़ाएगी और इसलिए पुतिन को यूरोप के नब्ज पर अपनी उंगली रखने का मौका देगी.
यूक्रेन की गुटबाजी के बाद दिसंबर 2019 में अमेरिका ने प्रोटेक्टिंग यूरोप एनर्जी सिक्योरिटी एक्ट (PEESA) की रक्षा के तहत नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर प्रतिबन्ध लगा दिया. इसका मतलब था कि पाइपलाइन पर निर्माण डेढ़ साल के लिए निलंबित कर दिया गया था.
जर्मनी ने अमेरिका के सामने शर्त रखी किअगर वह नॉर्ड स्ट्रीम में रुकावट नहीं डालता है तो वह जर्मनी के अंदर दो तरल प्राकृतिक गैस टर्मिनलों के निर्माण के लिए €1bn (£856m) जितना खर्च करेगा. डोनाल्ड ट्रम्प ने जर्मन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.
अपने कार्यकाल की शुरुआत में मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का स्टैंड ट्रंप की कॉपी थी और उन्होंने भी यूरोप से खुद को रूसी एनर्जी ब्लैकमेल के गर्त में नहीं उतरने का आग्रह करना.
लेकिन मई 2021 तक बाइडेन प्रशासन का स्टैंड नरम पड़ गया और 19 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने नॉर्ड स्ट्रीम के सीईओ मैथियास वार्निग पर लगे प्रतिबंधों को हटा लिया. व्हाइट हाउस में मर्केल से मिलने के एक हफ्ते बाद 21 जुलाई को बाइडेन ने उन्हें ‘रिटायरमेंट गिफ्ट’ के रूप में नॉर्ड स्ट्रीम पर से पूरी तरह से प्रतिबंध हटा दिया.
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