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पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को सत्ता से बेदखल करने के कारण शहबाज शरीफ के नेतृत्व में कम से कम 9 राजनीतिक दलों की गठबंधन सरकार बनी थी, जो बेहद अनिश्चित रास्ते पर चलती दिखाई दे रही है.
शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के लिए आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों के बीच वर्तमान व्यवस्था को संभालना इतना आसान नहीं है. ऐसे कई कारण हैं, जिन्हें देखते हुए लगता है कि शरीफ सरकार जल्दी चुनाव कराने के लिए मजबूर हो सकती है.
प्रधानमंत्री शरीफ खुद को एक मुश्किल स्थिति में महसूस कर रहे हैं, क्योंकि वह अपने गठबंधन दलों के नेतृत्व और अपनी ही राजनीतिक पार्टी पीएमएल-एन के भीतर उठ रही आवाज पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, जिसमें जल्दी चुनाव कराए जाने का एक बड़ा निर्णय शामिल है.
जल्दी चुनाव कराए जाने को लेकर जो एक सबसे बड़ा तर्क दिया जा रहा है, वो देश के मौजूदा बिगड़ते आर्थिक संकट के बारे में है, जिसके बारे में शरीफ और अन्य गठबंधन सहयोगी कह रहे हैं कि यह उनके पूर्ववर्ती (इमरान खान) के कारण है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शहबाज शरीफ को उनके बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने देश में जल्द चुनाव कराने के लिए कहा है.
नवाज शरीफ फिलहाल लंदन में हैं और उन्होंने कथित तौर पर शहबाज शरीफ को सरकार का कार्यकाल पूरा करने की ओर नहीं देखने और जल्द चुनाव कराने के लिए कहा है. उनकी बेटी और पीएमएल-एन की चेयरपर्सन मरियम नवाज के माध्यम से एक संदेश स्पष्ट रूप से प्रचारित किया जा रहा है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में राजनीतिक रैलियों में जल्द चुनाव की मांग कर रहीं हैं.
दूसरी ओर, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) जैसी प्रमुख राजनीतिक पार्टी सहित सत्ताधारी सरकार के गठबंधन सहयोगियों ने शहबाज शरीफ से अपील की है कि वे जल्दी चुनाव न कराएं और देश को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने के लिए कठिन, अलोकप्रिय और साहसिक आर्थिक निर्णय लेने के लिए कमर कस लें।
गठबंधन सरकार के अधिकतर सहयोगियों ने शहबाज शरीफ से अपना कार्यकाल पूरा करने और चुनावी प्रक्रिया में जाने से पहले कुछ जरूरी सुधार करने की मांग की है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के साथ पाकिस्तान का आर्थिक संकट आईएमएफ के साथ चल रही बातचीत पर निर्भर है। हालांकि, जमीन पर स्थिति गंभीर है क्योंकि पाकिस्तान सख्त नियमों और शर्तों का पालन करने में विफल रहा है।
ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान में चुनावों का भविष्य अब दोहा में हो रही आईएमएफ वार्ता के परिणाम पर निर्भर करता है। यदि वार्ता सफल होती है, तो सरकार मुद्रा दर को स्थिर करने और वित्तीय बाजार में स्थिरता, स्पष्टता और निश्चितता लाने की स्थिति में हो सकती है।
लेकिन अगर बातचीत विफल हो जाती है, तो सरकार देश में कीमतों में बढ़ोतरी और असंतुलित महंगाई दर का बोझ नहीं उठा सकती है और जल्दी चुनाव कराने का विकल्प चुन सकती है।
सरकार अनिश्चित स्थिति में है और दूसरी ओर पूर्व पीएम खान ने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक समारोहों और लॉन्ग मार्च का आयोजन करने की घोषणा की है और उन्होंने बुधवार को इस्लामाबाद में कम से कम 30 लाख प्रदर्शनकारियों के एकजुट होने का दावा किया है।
अपदस्थ प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह अपने समर्थकों के साथ राजधानी से तब तक नहीं निकलेंगे जब तक कि समय पूर्व चुनाव की घोषणा नहीं हो जाती और सदन भंग नहीं हो जाते।
खान की सरकार विरोधी रैलियों का मौजूदा सरकार की स्थिति पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है, क्योंकि देश में जल्द चुनाव कराने के लिए हर तरफ से दबाव डाला जा रहा है।
खान के पास एक और कुंजी है, क्योंकि वह पंजाब विधानसभा को भंग करने के लिए अपने गठबंधन सहयोगी पीएमएल-क्यू सहित अपनी पार्टी के सदस्यों का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि वह पंजाब में बहुमत बनाए हुए हैं।
पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के उम्मीदवार परवेज इलाही पहले ही कह चुके हैं कि खान की मांग पर, वह तुरंत विधानसभा भंग कर देंगे और सरकार को जल्द चुनाव कराने के लिए मजबूर करेंगे।
अगर सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो खान दूसरा तरीका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें पंजाब विधानसभा से अपने सदस्यों द्वारा सामूहिक इस्तीफा और विधानसभा को भंग करने के लिए मजबूर करना शामिल है।
पाकिस्तान एक बड़ी राजनीतिक और आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है और कोई भी दल देश को संकट से निकालने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है और तत्काल प्रभाव से आम चुनाव कराने की मांग की जा रही है।
आने वाले दिन वास्तव में दिलचस्प होंगे, क्योंकि खान सत्तारूढ़ सरकार की रातों की नींद हराम कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि वह राजधानी इस्लामाबाद में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, जिससे अन्य शहरों को राजधानी से जोड़ने वाले प्रमुख मार्ग बाधित हो सकते हैं।
--आईएएनएस
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