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पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सभी को चौंकाते हुए अपने छोटे भाई शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में नॉमिनेट कर दिया है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के चीफ बिलावल भुट्टो जरदारी और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने नवाज की पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में शहबाज शरीफ का पीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है.
आइये समझते हैं कि नवाज शरीफ के रहते क्यों शहबाज शरीफ को पीएम बनाए जाने की तैयारी है. साथ ही हम आपको शहबाज शरीफ के अब तक के पॉलिटिकल सफर के बारे में भी बताएंगे.
पीएमएल-एन के प्रमुख नवाज शरीफ के अचानक अपने भाई शहबाज शरीफ को पीएम का कैंडिडेट बनाने पर यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर शहबाज शरीफ ही क्यों? दरअसल कई दिनों से पाकिस्तान में इस बात को लेकर माथापच्ची चल रही है कि आखिर सरकार कौन बनाएगा? क्योंकि पाकिस्तान के आम चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है.
पीएमएल-एन को पाकिस्तानी सेना का समर्थन प्राप्त है. पाकिस्तान की रवायत रही है कि जिसे आर्मी का आशिर्वाद मिलता है वही मुल्क का पीएम बनता है. इसी मोर्चे पर नवाज पीछे नजर आते हैं.
दरअसल, जब नवाज शरीफ सत्ता से बेदखल हुए, उसके बाद वे कई मौकों पर खुलेआम पाकिस्तानी आर्मी की आलोचना करते देखे गए. वहीं शहबाज शरीफ ने सुलह का रास्ता अपनाया. जब भी कोई पाकिस्तानी आर्मी की अलोचना करता है तो वे हमेशा आर्मी के साथ खड़े नजर आते हैं. ऐसे में शहबाज आर्मी की गुड बुक में शामिल हैं.
दूसरी बात, नवाज शरीफ के ऊपर भ्रष्टाचार के मामले रहे हैं. वहीं शहबाज की इमेज एक कर्मठ और मेहनती राजनेता की रही है. उन्हें आज भी पाकिस्तान में, मुख्यतः पंजाब में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए किए गए कामों के लिए याद किया जाता है. हालांकि जब इमरान सरकार में आए तो शहबाज को एक भ्रष्टाचार मामले में कुछ दिनों तक जेल में रहना पड़ा. लेकिन यह आरोप सिद्ध नहीं हो सका. शहबाज शरीफ ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया था.
शहबाज शरीफ का जन्म 23 सितंबर, 1951, को पाकिस्तान के लाहौर में एक व्यापारी परिवार में हुआ. इनके पिता 1947 के विभाजन के दौरान अमृतसर से लाहौर में जाकर बसे. पिता मुहम्मद शरीफ एक स्टील फैक्ट्री के मालिक थे.
शहबाज शरीफ की शुरूआती पाढ़ाई सेंट एंथोनी हाई स्कूल में हुई. इसके बाद 70 के दशक में उन्होंने आर्ट से बैचलर पूरा कर अपने पिता की कंपनी संभालने लगे.
बड़े भाई नवाज शरीफ ने राजनीति में कदम रखा. जिसके बाद पूरे परिवार का राजनीति से लिंक बना. शहबाज शरीफ तीन भाईयों में दूसरे नंबर पर हैं. इनके बड़े भाई नवाज शरीफ 1981 में पंजाब प्रांत के वित्त मंत्री बने. नवाज शरीफ के तीन बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, पूरा परिवार एक हाई-प्रोफाइल राजनीतिक हस्ती बन गया.
शहबाज शरीफ ने 1988 के आम चुनावों में भाग लिया और प्रांतीय विधानसभा के लिए चुने गए. इसके तुरंत बाद उन्होंने 1990 में नेशनल असेंबली में जीत दर्ज की. 1993 में उन्हें नेशनल असेंबली और पंजाब की प्रांतीय असेंबली, दोनों के लिए फिर से चुना गया. उन्होंने नेशनल असेंबली में अपनी सीट छोड़ दी और स्टेट असेंबली में (1993-96) विपक्ष के नेता रहे. 1997 में पीएमएल-एन पूरे देश में सत्ता में आ गई और शरीफ पंजाब के मुख्यमंत्री चुने गए.
शहबाज शरीफ कभी-कभी अपने भाई के प्रशासन के लिए संकटमोचक के रूप में कार्य करते थे. शहबाज, सेना और संयुक्त राज्य अमेरिका, दोनों में इसके दूत के रूप में कार्य करते थे.
2007 में शरीफ बंधुओं को 2008 के संसदीय चुनावों से पहले पाकिस्तान लौटने की अनुमति दी गई. इस बीच, 2008 के चुनावों में शहबाज शरीफ फिर से पंजाब के मुख्यमंत्री चुने गए. उन्होंने एक सक्षम प्रशासक के रूप में अपनी पहचान कायम की, विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाया, शिक्षा तक पहुंच में सुधार किया और नौकरशाही में करप्शन पर कंट्रोल किया.
2013 में एक बार फिर मुख्यमंत्री बने. दूसरे कार्यकाल में उनकी सबसे शानदार काम लाहौर में ओरेंज लाइन मेट्रो ट्रेन प्रणाली का निर्माण था, जो पाकिस्तान में अपनी तरह की पहली परियोजना थी. पंजाब में अपनी सफलताओं के बावजूद, शरीफ को स्वास्थ्य देखभाल और कृषि सुधारों जैसे मुद्दों की उपेक्षा के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा.
2015 के पनामा पेपर्स मामले में शहबाज शरीफ के बड़े भाई नवाज और लगभग पूरे परिवार का नाम सामने आया. हालांकि, शहबाज शरीफ को सीधे तौर पर फंसाया नहीं गया था, लेकिन जून 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई जांच में उन्हें गवाही का सामना करना पड़ा. इस मामले में नवाज शरीफ को सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित किया गया. बाद में वे लंदन चले गए.
बड़े भाई के अनुपस्थिति में शहबाज शरीफ को पीएमएल-एन की बागडोर संभालनी पड़ी. 2018 में इमरान खान के नेतृत्व में पीटीआई सरकार में आई तब शहबाज विपक्ष के नेता चुने गए.
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) गठबंधन ने अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से इमरान खान की सरकार को हटा दिया. उनके स्थान पर शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री चुना गया. इस छोटे से कार्यकाल में शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के आर्थिक संकट, टीटीपी के आतंकी हमले, बाढ़, और पीटीआई के समर्थकों के विरोध जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा.
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