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‘आतंक’ को लेकर पाकिस्तान पर बड़ा खतरा, FATF कर सकता है ब्लैक लिस्ट

इसी महीने 13 से 18 अक्टूबर तक होगी एफएटीएफ की बैठक 

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इसी महीने 13 से 18 अक्टूबर तक होगी एफएटीएफ की बैठक 
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इसी महीने 13 से 18 अक्टूबर तक होगी एफएटीएफ की बैठक 
(फोटो:PTI)

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आतंकी फंडिंग को लेकर पाकिस्तान पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडराने लगा है. एशिया पैसेफिक ग्रुप (एपीजी) ऑन मनी लॉन्डरिंग ने एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें दिए गए आंकड़ों के मुताबिक इसी महीने 13 से 18 अक्टूबर तक होने वाली एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान पर मुसीबत आ सकती है. क्योंकि पाकिस्तान ग्लोबल एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कमेटी की तरफ से जारी 40 शर्तों में से सिर्फ 1 शर्त पूरी कर पाया है.

बता दें कि पाकिस्तान को पहले ही आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया था. इस लिस्ट में उन देशों को डाला जाता है, जिनके घरेलू कानून आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए कमजोर माने जाते हैं.

ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बाद पाकिस्तान को अक्टूबर 2019 तक का वक्त दिया गया था. लेकिन अगर अब पाकिस्तान एफएटीएफ की सभी शर्तों को पूरी कर पाने में कामयाब नहीं होता है तो उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा. बता दे कि ईरान और नॉर्थ कोरिया जैसे देश एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं.
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पाकिस्तान खोज रहा बचने का रास्ता

पाकिस्तान की तरफ से बताया गया था कि वो लगातार इस पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में आतंकी फंडिंग रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. लेकिन पाकिस्तान अब तक वहां मौजूद कई आतंकी संगठनों पर कार्रवाई नहीं कर पाया है. आज भी कई आतंकी संगठन और उनके मुखिया पाकिस्तान में अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं. पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को अगर ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया तो उसे ग्रे लिस्ट में ही शामिल रखा जा सकता है.

अगर पाक को ब्लैकलिस्ट किया जाता है तो आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मदद मिलनी भी बंद हो जाएगी. जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. पाकिस्तान की कोशिश होगी कि इस बैठक में वो खुद को ब्लैकलिस्ट होने से बचाए और आतंक के मुद्दे पर एक बार फिर दुनिया से वक्त मांगे.

पाकिस्तान पर आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों को लेकर कार्रवाई की तैयारी चल रही है. इस पर पाक की तरफ से तर्क दिया गया था कि इससे ज्यादा खतरा नहीं है. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक इसे एक बड़ा रिस्क बताया गया है. इसमें बताया गया है कि हवाला के पैसों से आतंकी अपने कई बड़े मंसूबों को अंजाम देते हैं. जिस पर पाकिस्तान को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए थी. इस रिपोर्ट में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, फलह-ए-इंसानियत, अल कायदा, जमात-उद-दावा, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों का भी जिक्र किया गया है.

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