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पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने अफगानिस्तान में अमेरिका के 20 साल लंबे 'आतंक के खिलाफ युद्ध' में शामिल होने के देश के फैसले पर खेद प्रकट किया. मंगलवार 21 दिसंबर को उन्होंने इसे "खुद का घाव" और पैसे के लिए किया गया फैसला बताया, न कि जनता के हित में.
लगभग दो दशक लंबे युद्ध में पाकिस्तान की भागीदारी के लंबे समय से आलोचक रहे इमरान खान ने दावा किया कि वह 2001 में निर्णय लेने वालों के करीब थे, जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने 'आतंक के विरुद्ध लड़ाई' का हिस्सा बनने का फैसला किया.'
इमरान खान ने इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, "मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि फैसले के पीछे क्या विचार थे. दुर्भाग्य से, पाकिस्तान के लोगों पर कोई विचार नहीं किया गया." सोवियत-अफगान युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,
इमरान खान ने 'आतंक के खिलाफ युद्ध' को पाकिस्तान के लिए एक 'खुद का घाव' बताते हुए कहा, 'हम इस परिणाम के लिए किसी और को दोष नहीं दे सकते.'
अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के बारे में बात करते उन्होंने कहा कि ये एक बड़ा अत्याचार है कि एक मानव निर्मित संकट पैदा किया जा रहा है, जब ये पता हो कि अफगानिस्तान के खातों और लिक्विडिटी को मुक्त करने से संकट टल जाएगा."
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति को संबोधित करना पाकिस्तान के लिए अपने पड़ोसी के रूप में महत्वपूर्ण है, क्योंकि अफगानिस्तान संकट के कारण देश बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. पाकिस्तान इन कठिन समय में अफगानिस्तान को सहायता प्रदान करना जारी रखेगा, उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के उदय को पसंद या नापसंद करने के बावजूद, दुनिया को अपने 40 मिलियन लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों पर ध्यान देना चाहिए.
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