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पाकिस्तान FATF ग्रे लिस्ट से बाहर,अमेरिका की दरियादिली का भारत पर क्या होगा असर?

Pakistan FATF Gray List: 2018 में पाकिस्तान को FATF के 'ग्रे लिस्ट' में डाला गया था.

मोहन कुमार
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>पाकिस्तान FATF ग्रे लिस्ट से बाहर,अमेरिका की दरियादिली का भारत पर क्या होगा असर?</p></div>
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पाकिस्तान FATF ग्रे लिस्ट से बाहर,अमेरिका की दरियादिली का भारत पर क्या होगा असर?

(फोटो: क्विंट)

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'हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के कुछ और.' अमेरिका (America) और पाकिस्तान (Pakistan) को लेकर ये कहावत एकदम सटीक बैठती है. इसकी ताजा मिसाल शुक्रवार को देखने को मिली. अमेरिका की मेहरबानियों का फायदा एक बार फिर पाकिस्तान को हुआ है. 4 साल बाद पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने में कामयाब रहा है. पेरिस में हुई FATF की बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने का ऐलान किया गया. लेकिन इसके बाद सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या भविष्य में भी पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाता रहेगा?

चलिए पहले आपको बताते हैं FATF क्या है? कैसे FATF की ग्रे लिस्ट से निकला पाकिस्तान? इसके साथ ही बताएंगे अब पाकिस्तान को क्या फायदा होगा? तो साथ ही चर्चा करेंगे क्या इसके पीछे अमेरिका का हाथ है? वहीं बताएंगे भारत ने क्या प्रतिक्रिया दी है?

FATF क्या है?

पहले जान लेते हैं कि FATF क्या है? फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना G7 देशों की पहल पर 1989 में की गई थी. इसका मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में है, जो दुनिया भर में हो रही मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नीतियां बनाता है.

साल 2001 में FATF ने अपनी नीतियों में आतंकवाद के वित्त पोषण को भी शामिल किया था. संस्था अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को सही रखने के लिए नीतियां बनाता है और उसे लागू करवाने की दिशा में काम करता है. इसके कुल 39 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन भी शामिल है.

किसी भी देश का नाम FATF की ग्रे लिस्ट में आने का मतलब है कि उस देश को चेतावनी दी जा रही है कि वह समय रहते मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर लगाम लगाने के लिए सही कदम उठाए. अगर कोई देश इस तरह की वार्निंग के बावजूद भी एक्शन नहीं लेता है तो उसे FATF द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है.

FATF के नियमों के मुताबिक ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए किसी भी देश को तीन सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है.

FATF की ग्रे लिस्ट से कैसे निकला पाकिस्तान?

चलिए अब आपको बताते हैं कि कैसे पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से निकलने में कामयाब रहा है. जून 2018 से पाकिस्तान FATF के रडार पर है. आतंकवादियों को फंड करने और मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे को देखते हुए पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में डाला गया था.

इसके बाद से पाकिस्तान लगातार FATF की ग्रे लिस्ट से निकलने की कोशिश में लगा हुआ था. इसके लिए पाक ने व्यापक स्तर पर कूटनीतिक प्रयास भी किए थे. जिसका नतीजा यह हुआ कि उसे अब ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया है.

FATF के अध्यक्ष केटी राजा ने पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर निकालने का ऐलान करते हुए कहा कि पाकिस्तान को ग्रे सूची से हटा दिया गया है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की ओर से अभी भी काम किया जाना बाकी है.

FATF की ओर से जारी बयान में कहा गया है,"पाकिस्तान अब FATF की निगरानी प्रक्रिया के अधीन नहीं है." इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि FATF धनशोधन, वित्तीय आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत करता है. FATF की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान ने धन शोधन के खिलाफ प्रयासों को मजबूत किया है, वह आतंकवाद को मिल रहे वित्त पोषण से लड़ रहा है. तकनीकी खामियों को दूर किया गया है.

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पाकिस्तान को क्या फायदा होगा?

FATF की ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान को हर साल लगभग 10 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हो रहा था. माना जा रहा है कि अब इस पर कुछ लगाम लगेगी. इसके साथ ही कहा जा रहा है कि अब पाकिस्तान को IMF, वर्ल्ड बैंक और एशिया डेवलपमेंट बैंक से मदद मिलने में भी आसानी होगी. इसके साथ ही FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर होने पर पाकिस्तान से जुड़े इंटरनेशनल ट्रांजेक्शंस की जांच कम हो सकती है.

वहीं, इस फैसले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो, सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और उनकी टीम के साथ ही सभी राजनीतिक दलों का शुक्रिया अदा किया है. उन्होंने ये भी कहा ''FATF की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान का बाहर आना कई सालों के हमारे प्रयास की वजह से संभव हो सका है."

क्या अमेरिका की मदद से निकला पाकिस्तान?

पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने में सबसे बड़ा हाथ अमेरिका का बताया जा रहा है. जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान को संभालने के लिए अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत है. ऐसे में पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर राहत देना जरूरी था.

भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) 'पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश' बताते हों. लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान का याराना किसी से छिपा नहीं है. सितंबर में अमेरिका ने पाकिस्तान को F-16 विमान के मरम्मत के लिए 450 मिलियन डॉलर का पैकेज दिया था. भारत की आपत्तियों के बावजूद, अमेरिकी कांग्रेस के उच्च सदन में इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई गई.

इससे पहले अमेरिका की मदद से IMF और पाकिस्तान के बीच 1.6 अरब डॉलर के लोन को लेकर समझौता हुआ था. इसका फायदा ये हुआ कि दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान को फिर से जीवनदान मिल गया.

वहीं अलकायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी की मौत को लेकर तालिबान ने दावा किया था कि अमेरिकी हवाई हमले की अनुमति देने के बदले पाकिस्तान ने लाखों डालर लिए थे. तालिबान ने कहा था कि अपने दावे का समर्थन करने के लिए उसके पास पर्याप्त प्रमाण हैं.

भारत ने क्या प्रतिक्रिया दी है?

इस मामले में भारत की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान का इस लिस्ट से हटना दुनिया के हित में है, लेकिन उसे आतंकवाद और फंडिंग के खिलाफ अभियान जारी रखना चाहिए. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा,

"FATF की कड़ाई की वजह पाकिस्तान को कुछ कुख्यात आतंकवादियों के खिलाफ कदम उठाने पड़े हैं. इनमें से कुछ मुंबई 26/11 हमला करने वाले आतंकवादी भी शामिल हैं.''

इसके साथ ही विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी रखनी चाहिए.

क्या भारत को चिंतित होना चाहिए? 

आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की करनी और कथनी में हमेशा अंतर देखने को मिला है. एक तरफ पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम की बात करता है तो दूसरी तरह वह आतंकवादियों का अड्डा भी बना हुआ है. लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-ओमर, जैश-ए-मोहम्मद, हरकतुल मुजाहिद्दीन, सिपाह-ए-सहाबा, हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे कई आतंकवादी संगठन पाकिस्तान से ऑपरेट करते हैं.

कश्मीर में लगातार पाकिस्तान समर्थित आतंकी घटनाएं सामने आती रही हैं. हाल ही में यूपी के दो मजदूरों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. ऐसे में अभी भी सवाल है भले ही पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकल गया हो, लेकिन आतंकवाद पर लगाम लगाने में वह कितना कामयाब होता है यह वक्त ही बताएगा.

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