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पाकिस्तान (Pakistan) में नए प्रधानमंत्री को कुर्सी सौंपने के लिए संसद का सत्र शुरू हो चुका है. इमरान खान (Imran khan) और उनकी पार्टी PTI के सभी सांसदों ने ऐलान किया है कि वह इस्तीफा दे रहे हैं. कई सांसदों ने अपना इस्तीफा दे भी दिया है. स्थितियों के अनुसार इस संसद सत्र में ही विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ केा पाकिस्तान का पीएम चुन लिया जाएगा और ऐसी भी चर्चा हैं कि रात 8 बजे पाकिस्तान के नए पीएम के रूप में वह शपथ ले सकते हैं. उनकी कैबिनेट में बिलावल भुट्टो विदेश मंत्री बन सकते हैं.
इधर जब नेशनल असेंबली की कार्यवाही चल रही है, इमरान खान के समर्थन में पाकिस्तान के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहा है. इस्लामाबाद, कराची, पेशावर, मुल्तान, क्वेटा में विपक्ष के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी चल रही है. नए पीएम की चुनाव प्रक्रिया के बीच ही पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मुल्क में वापस लौटने की सुगबुगाहट भी होने लगी हैं.
अब इसमें आगे क्या हो रहा है? अगले प्रधानमंत्री को चुनने के लिए किस प्रक्रिया को फॉलो किया जा रहा है? उमर अता बंदियाल के नेतृत्व वाली पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट की और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल बाजवा के नेतृत्व वाली मिलिट्री की इन सबमें क्या भूमिका होगी? यही हम आपको बता रहे हैं.
प्रधानमंत्री इमरान खान के हटाए जाने के बाद पाकिस्तान में चीजें बहुत तेजी से घटी. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के नतीजे घोषित होने के कुछ घंटे बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PML-N) के शहबाज शरीफ और इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (Pakistan Tehreek-e-Insaf) के पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को अपने नॉमिनेशन पेपर दाखिल किए.
नेशनल असेंबली के सचिवालय ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री पद के लिए नॉमिनेशन पेपर दाखिल करने की डेडलाइन रविवार दोपहर 2 बजे थी. डेडलाइन से ठीक पहले नामांकन की प्रक्रिया पूरी हुई.
शरीफ जो इस पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार थे, उन्होंने 13 फॉर्म भरे वहीं कुरैशी ने चार फॉर्म जमा किए.
पूर्व विदेश मंत्री की जगह पर PTI के कंवल शौजेब (Kanwal Shauzab) और जेन कुरेशी (Zain Qureshi) नॉमिनेशन पेपर कलेक्ट करने के लिए पार्लियामेंट हाउस पहुंचे.
ये सभी बातें इस तथ्य को नहीं बदल सकतीं कि पीटीआई के पास संसद में बहुमत जीतने के लिए नंबर नहीं थे. 174 एमएनए यानी मेंबर्स ऑफ नेशनल असेंबली ने प्रधानमंत्री को हटाने के लिए वोट किया, जो पीटीआई के अध्यक्ष और फाउंडर भी हैं.
पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने साफ तौर पर कहा कि पीएमएल—एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ अगले प्रधानमंत्री होंगे.
इसलिए ये जाहिर है कि जब इस पर शाम केा नेशनल असेंबली में वोटिंग होगी शरीफ ही पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री होंगे. इमरान खान अपनी जानी पहचानी जगह पर पहुंच जाएंगे यानी विपक्ष, जहां वो 2013 के चुनाव के बाद थे.
नए प्रधानमंत्री को चुनने और इस पर वोटिंग के लिए नेशनल असेंबली का सत्र सोमवार 11 अप्रैल यानी आज अभी दोपहर के वक्त चल रहा है.
सभी संसद सदस्य दो उम्मीदवारों शहबाज शरीफ और शाह महमूद कुरैशी जिन्होंने नामांकन दाखिल किया है के पक्ष में या इनके खिलाफ वोट कर सकेंगे. जिस उम्मीदवार को 172 या इससे ज्यादा वोट मिलेंगे, वो अगला प्रधानमंत्री होगा.
दूसरी तरफ नियमों के मुताबिक, पांच साल की अवधि पूरी होने तक नेशनल असेंबली अपना काम जारी रखेगी. अगस्त 2023 तक. जो भी नया प्रधानमंत्री होगा वो काम करेगा जब तक कि उसका टर्म पूरा नहीं हो जाता. नए प्रधानमंत्री को देश चलाने के लिए अपनी नई कैबिनेट को चुनना होगा.
कई रिपोर्टों में ये कहा गया कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की रात नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर और डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अपना इस्तीफा दे दिया. टीवी पर सभी के सामने असद कैसर ने यह कहते पद छोड़ा था कि वो प्रधानमंत्री को हटाने की विदेशी साजिश का हिस्सा नहीं बनेंगे.
हालांकि नेशनल असेंबली के सचिवालय ने रविवार को ये स्पष्ट किया कि जिस तरह की रिपोर्ट आई हैं, उसके ठीक उलट अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है और वो सोमवार यानी आज नेशनल असेंबली के सत्र की अध्यक्षता करेंगे.
नेशनल असेंबली के अलावा दो महत्वपूर्ण संस्थान जिन पर नजर रखने की जरूरत हैं, वो हैं सुप्रीम कोर्ट और मिलिट्री. इस संकट के समय में उनकी अपनी -अपनी भागीदारी एक दूसरे से काफी अलग रही है.
चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल के नेतृत्व वाला पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट इस संवैधानिक संकट पर अपना प्रभाव डालने में सबसे अहम खिलाड़ी साबित हुआ है.
सबसे पहले कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के फैसले को जिसमें उन्होंने इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया था, इसे खारिज किया.
फिर कोर्ट ने नेशनल असेंबली को दोबारा बुलाने के लिए कहा जिससे अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हो सके.
शीर्ष अदालत ने आधी रात को कोर्ट की कार्रवाई भी जारी रखी जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कानूनी तरीके से लागू हो सके.
और इन सबके बीच बिल्कुल अलग तरीके से सेना संकट की इस स्थिति को इस बार बस देखती रही है. आर्मी ने शुरुआत से ही ये साफ कर दिया था कि वो इस बार न्यूट्रल रहने जा रही है.
हालांकि ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से ठीक पहले आर्मी चीफ बाजवा से उनके घर पर मिले. वोटिंग में इमरान खान के हारने से पहले ऐसी अफवाहें भी सामने आईं कि बजवा को इमरान खान हटा सकते हैं.
हालांकि खान ने इन अफवाहों को खारिज किया और सेना जैसा कि उसने पहले ही साफ कर दिया था, उसने नेशनल असेंबली में हो रही नाटकीय घटनाओं से खुद को दूर ही रखा.
आर्मी ने भले ही इस संकट में कोई भूमिका न निभाई हो, लेकिन ऐसा कई बार हुआ है, जब पाकिस्तान में लोगों की चुनी सरकार को सेना ने गिरा दिया हो. इस बार पूरे घटनाक्रम में सेना की भागीदारी का न होना, हैरान करता है.
ये होना भी चाहिए क्योंकि, अब तक पाकिस्तान के 22 प्रधानमंत्रियों में से किसी ने भी 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है और इस ट्रैक रिकॉर्ड के पीछे मिलिट्री सबसे बड़ा कारण रही है.
इसलिए आज के पाकिस्तान के घटनाक्रम पर अपनी नजरें जमाकर रखें.
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