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पाक ने दिया मदद का ऑफर,भारत ने कहा-हमारा राहत फंड आपके GDP से बड़ा

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दुनिया
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान
Photo:AP

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इमरान खान ने भारत को ‘मदद’ की पेशकश की है. एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इमरान खान ने ट्विटर पर लिखा कि भारत में 34% लोग बिना मदद के एक हफ्ते तक भी जीवित नहीं रह पाएंगे. इसलिए इमरान खान का कहना है कि वो भारत के साथ अपना कैश ट्रांसफर प्रोग्राम शेयर करने के लिए तैयार है. इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा है कि पाकिस्तान खुद की तरफ ध्यान दे- “हमारा राहत पैकेज भी पाकिस्तान की जीडीपी से बड़ा है”

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने ट्वीट किया-

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत 34% लोग बिना मदद के एक हफ्ते तक भी जीवित नहीं रह पाएंगे. मैं मदद करने के लिए तैयार हूं. हम अपना सफलतम कैश ट्रांसफर प्रोग्राम शेयर करने के लिए तैयार हैं, जिस प्रोग्राम पहुंच और पारदर्शिता को लेकर दुनियाभर में तारीफ हुई है.
इमरान खान, प्रधानमंत्री, पाकिस्तान
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान का ट्वीट (फोटो: ट्विटर स्क्रीनशॉट)

इमरान खान के इस ट्वीट पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान  जारी कर कहा है कि- “पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि वो कर्ज के संकट से जूझ रहे हैं, जो कि उनकी GDP का 90% हिस्सा है. जहां तक भारत की बात है  तो हमारा राहत पैकेज भी पाकिस्तान की जीडीपी से बड़ा है.”

इमरान खान का ये ट्वीट अपनी कैश ट्रांसफर की पॉलिसी का प्रमोशन ज्यादा लगता है. ट्वीट के साथ इमरान खान ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक न्यूज रिपोर्ट भी शेयर की. ये खबर एक स्टडी के आधार पर लिखी गई है जिसका शीर्षक है- 'भारत के लोग कोविड-19 लॉकडाउन से कैसे उबर रहे हैं? 8 बातें'

ये स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो और मुंबई के सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) ने मिलकर तैयार की है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक जब से लॉकडाउन हुआ है तब से करीब 84% लोगों की आमदनी घट गई है. वहीं कुल में से एक तिहाई लोगों की स्थिति ऐसी है कि अगर उन्हें अलग से मदद न की जाए तो वो सर्वाइव नहीं कर पाएंंगे. इस रिपोर्ट में विशेषज्ञ बताते हैं कि 'सीधे और तुरंत फूड और कैश ट्रांसफर सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए' रिपोर्ट बताती है कि लोअर और मिडिल क्लास पर इस लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. इनकी इनकम में जबरदस्त कमी आई है. वहीं शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों के लोगों पर ज्यादा बुरा असर पड़ा है.

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