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Pakistan की हुकूमत अब किसके हाथों में? आज मिलेगा नया वजीर-ए-आजम

विपक्ष के अविश्वास प्रसिताव को सदन में 174 सांसदों का समर्थन मिला जो बहुमत से 2 ज्यादा है.

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<div class="paragraphs"><p>Pakistan की नई सरकार में होगा इन बड़े चेहरों का रोल, जानिए इनके बारे में</p></div>
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Pakistan की नई सरकार में होगा इन बड़े चेहरों का रोल, जानिए इनके बारे में

फोटो - Dawn 

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पाकिस्तान (Pakistan) में गंभीर राजनैतिक संकट के बीच इमरान खान (Imran Khan) के हाथ से सत्ता निकल चुकी है और अब देश को एक नया वजीर-ए-आजम और नई सरकार मिलने जा रही है. विपक्ष के अविश्वास प्रसिताव को सदन में 174 सांसदोंं का समर्थन मिला जो बहुमत से 2 ज्यादा है.

अब सोमवार को पाकिस्तान को में नए प्रधानमंत्री का चुनाव होगा. इसके साथ ही नए लोगों के हाथ में हुकूमत होगी. हम आपको बताते हैं कि ये नए लोग कौन हैं और इनकी क्या भूमिका है.

आसिफ अली जरदारी

पाकिस्तान में सबसे कद्दावर नेताओं में से एक आसिफ अली जरदारी हैं. इमरान खान की सरकार गिराने में इनकी रणनीति की बेहद अहम भूमिका है. जरदारी पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष भी हैं. वे 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदस्थ रह चुके हैं. वो लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

मौलाना फजलुर रहमान

66 साल के मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान की धार्मिक पार्टी और सुन्नी कट्टरपंथी दल जमिअत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के मुखिया हैं. ये पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं इसके अलावा वे संसद में विदेश नीति पर स्टैंडिंग कमेटी के चीफ भी रहे हैं और कश्मीर कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

आमतौर पर उन्हें तालीबान समर्थक नेता माना जाता है. मौलाना फजलुर रहमान पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार भी थे. सत्ता में नहीं रहते हुए भी नवाज शरीफ की सरकार में मौलाना उन्हें केंद्रीय मंत्री का दर्जा हासिल था.

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बिलावल भुट्टो जरदारी

बिलावल भुट्टो जरदारी, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं. दिसंबर 2007 में जब उनकी मां बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी उसके तीन दिन बाद, बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बने.

बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के निर्वाचित प्रधानमंत्री थे. साल 1979 में मार्शल लॉ के तहत उन्हें फांसी दे दी गई थी.

पार्टी में दिग्गज भूमिका में रहने के बावजूद बिलावल ने अपना कद छोटा ही रखा और पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी इतिहास की डिग्री पूरी की. साल 2010 में पाकिस्तान लौटने के बाद पीपीपी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने तेजी दिखाई.

सितंबर, 1988 में बिलावल का जन्म हुआ, जिसके एक महीने बाद ही उनकी मां पहली बार प्रधानमंत्री चुनी गईं. बिलावल का ज्यादातर जीवन पाकिस्तान के बाहर ही बीता है. साल 2010 के बाद से ही वे पाकिस्तान में ज्यादा सक्रिय हुए हैं.

खालिद मकबूल सिद्दीकी

इमरान खान सरकार में  20 अगस्त 2018 से 6 अप्रैल 2020 तक सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री रहे खालिद मकबूल सिद्दीकी अब नई सरकार में अहम जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. वह अगस्त 2018 से पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य हैं और फरवरी 2018 से मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान के नेता हैं.

तारिक बशीर चीमा

चौधरी तारिक बशीर चीमा पीएमएल-क्यू के महासचिव हैं. वह जून 2013 से पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य हैं. चीमा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की छात्र शाखा के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में सरकारी हाई स्कूल सजवल वाला में की थी.

18 अगस्त को इमरान खान ने औपचारिक रूप से अपने सेंट्रल कैबिनेट की घोषणा की और चीमा को राज्यों और सीमांत क्षेत्रों के मंत्री के रूप में नामित किया गया. 20 अगस्त 2018 को, उन्होंने प्रधान मंत्री इमरान खान की संघीय कैबिनेट में राज्यों और सीमांत क्षेत्रों के संघीय मंत्री के रूप में शपथ ली. उन्होंने राज्यों और सीमांत क्षेत्रों के मंत्रालय के मंत्री पद दिए जाने पर आपत्ति व्यक्त की.

6 सितंबर 2018 को, उनके मंत्रिस्तरीय पोर्टफोलियो को राज्यों और सीमावर्ती क्षेत्रों के संघीय मंत्री से आवास और निर्माण के लिए सेंट्रल मिनिस्टर में बदल दिया गया था. 28 मार्च 2022 को उन्होंने आवास और निर्माण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया.

नवाबज़ादा शाहज़ैन बुगती

नवाबजादा शाहजैन बुगती अगस्त 2018 से पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य हैं. उन्होंने 7 जुलाई 2021 से 27 मार्च 2022 तक बलूचिस्तान में सुलह और सद्भाव पर प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सहायक के रूप में काम किया है. लेकिन अब नवाबजादा शाहजैन बुगती इमरान खान की खिलाफत में आ गए और उनकी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. नवाबजादा शाहजैन बुगती जम्हूरी वतन पार्टी के नेता हैं.

मोहसिन जावेद डावर

मोहसिन जावेद डावर एक पश्तून राष्ट्रवादी नेता हैं, जो नेशनल डेमोक्रेटिक मूवमेंट (एनडीएम) के अध्यक्ष हैं. वह अगस्त 2018 से नेशनल असेंबली के सदस्य हैं और पश्तून तहफुज आंदोलन के नेता हैं. उन्होंने पूर्व में राष्ट्रीय युवा संगठन (एनवाईओ) और पश्तून स्टूडेंट्स फेडरेशन (पीएसएफ), अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के युवा विंग के अध्यक्ष के रूप में काम किया है. नई सरकार में अहम रोल निभाएंगे.

अख्तर मेंगल

अख्तर मेंगल बलूचिस्तान के नेता हैं जो बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) के अध्यक्ष हैं. उन्होंने पहले 1997 और 1998 के बीच बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री के रूप में पद संभाला है और बाद में उन्होंने बलूचिस्तान प्रांतीय विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया है. मेंगल वर्तमान में अगस्त 2018 से पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं.

बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के सरदार अख्तर मेंगल ने इस सत्ता परिवर्तन से पहले विपक्षी नेतृत्व के सम्मान में डिनर का आयोजन किया था. 25 मार्च को स्पीकर नेशनल असेंबली के नेशनल असेंबली का सत्र बुलाने के मुद्दे पर रात का खाना विपक्षी दलों की सलाहकार बैठक में बदल गया था. इस डिनर में इमरान खान की सरकार गिराने में अहम रणनीतियां तय की गई थी.

मुहम्मद अली वजीर

मुहम्मद अली वजीर एक पश्तून राष्ट्रवादी नेता हैं, जो पश्तून तहफ़ुज़ आंदोलन (पीटीएम) के नेता हैं. वह अगस्त 2018 से पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य हैं. 3 जून 2018 को वह दक्षिण वज़ीरिस्तान के वाना में तालिबान के एक हत्या के प्रयास में बच गए थे. इस हमले में तालिबान ने पीटीएम के तीन समर्थकों की हत्या कर दी और अली वज़ीर के चचेरे भाई आरिफ वज़ीर सहित दर्जनों अन्य को घायल कर दिया.

शहबाज शरीफ की सरकार में अहम जिम्मेदारी निभा सकते है. पीएम के नॉमिनेशन भरने के बाद शहबाज शरीफ ने तमाम साथियों का नाम लेकर शुक्रिया अदा किया है जिनमें इनका भी नाम शामिल है. पाकिस्तान में तालिबान के खिलाफ मुखर आवाज है.

खालिद हुसैन मैगसी

खालिद हुसैन मगसी अगस्त 2018 से पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य हैं. पहले वे जून 2013 से सितंबर 2014 तक नेशनल असेंबली के सदस्य थे. और फिर मई 2016 से मई 2018 तक.उन्हें 2005 में झाल मगसी का जिला नाजिम चुना गया था. खालिद हुसैन मगसी भी अब विपक्ष के साथ मिलकर सरकार चलाने में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं.

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