Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जिसने आर्मी चीफ बनाया उसी का तख्तापलट, दुस्साहसों से भरा था मुशर्रफ का कार्यकाल

जिसने आर्मी चीफ बनाया उसी का तख्तापलट, दुस्साहसों से भरा था मुशर्रफ का कार्यकाल

लाल मस्जिद ऑपरेशन अमेरिका के निर्देश पर Pervez Musharraf द्वारा किए गए सबसे बड़े दुस्साहसों में से एक था.

आईएएनएस
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>पाकिस्तान: दुस्साहसों से भरा है परवेज मुशर्रफ का कार्यकाल</p></div>
i

पाकिस्तान: दुस्साहसों से भरा है परवेज मुशर्रफ का कार्यकाल

(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) का रविवार तड़के एक दुर्लभ स्वास्थ्य बीमारी से लंबी लड़ाई हारने के बाद निधन हो गया. उन्होंने 1999 से 2008 तक लगभग नौ सालों तक पाकिस्तान के सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया, इस दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार को उखाड़ फेंका और देश में मार्शल लॉ घोषित कर दिया.

नवाज शरीफ ने ही किया था मुशर्रफ का चयन

इसके बाद मुशर्रफ 2001 में पाकिस्तान के 10वें राष्ट्रपति बने और 2008 की शुरूआत तक इस पद पर बने रहे. गौरतलब है कि मुशर्रफ का सेना प्रमुख के रूप में चयन शरीफ द्वारा किया गया था, जिन्होंने उम्मीदवारों की सूची में कई सीनियर नामों की अनदेखी के बाद मुशर्रफ को नियुक्त किया था.

दिल्ली में हुई थी मुशर्रफ की पैदाइश

मुशर्रफ का जन्म हिंदुस्तान के बंटवारे से पहले दिल्ली में 11 अगस्त, 1943 को हुआ था. विभाजन के बाद उनका परिवार कराची में बस गया, जहां उन्होंने सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़ाई की. बाद में, वह काकुल, एबटाबाद में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में शामिल हो गए और 1964 में ग्रेजुएट हुए.

परवेज मुशर्रफ 1965 में विशिष्ट विशेष सेवा समूह (SSG) के रूप में भारत-पाक युद्ध का हिस्सा थे. वह भारत-पाक के बीच हुए 1971 के युद्ध का भी हिस्सा थे, जहां वे एसएससी कमांडो बटालियन के कंपनी कमांडर थे.

मुशर्रफ को बाद में कई सैन्य कार्यों के माध्यम से तेजी से पदोन्नति मिली. अक्टूबर 1998 में, उन्हें तत्कालीन प्रधान नवाज शरीफ द्वारा सेना प्रमुख (सीओएएस) के रूप में नियुक्त किया गया लेकिन 1999 के सैन्य तख्तापलट में मुशर्रफ ने परवेज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर दिया और देश के राष्ट्रपति बने.

सत्ता में मुशर्रफ के कार्यकाल को कई दुस्साहसों के रूप में देखा जा सकता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

1999 का सैन्य तख्तापलट

12 अक्टूबर, 1999 को नवाज शरीफ द्वारा मुशर्रफ के विमान को कराची हवाईअड्डे पर उतरने से रोकने के बाद पाकिस्तानी सेना के सैनिकों ने इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा कर लिया. मुशर्रफ स्थिति से अवगत हो गए और मुख्य कार्यकारी के रूप में भूमिका निभाते हुए संविधान को निलंबित करते हुए देश में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी. इस तख्तापलट के खिलाफ कोई संगठित विरोध नहीं देखा गया. मुशर्रफ बाद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने, साथ ही सेना प्रमुख के रूप में भी अपना पद बरकरार रखा.

9/11 का प्रभाव और पाकिस्तान की राजनिष्ठा

अमेरिका द्वारा अल-कायदा और तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान में अपने सैन्य हमले की घोषणा करते हुए आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने के बाद परवेज मुशर्रफ युद्ध में वाशिंगटन के सहयोगी बनने के लिए सहमत हुए, जिसकी व्यापक रूप से आलोचना की गई लेकिन कई मौकों पर मुशर्रफ ने इसका बचाव किया.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को गठबंधन सहायता कोष (सीएसएफ) के रूप में अमेरिका से वित्तीय सहायता मिलनी शुरू हो गई है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान की धरती पर और पाक-अफगान सीमा पर आतंकवादी समूहों और तत्वों के खिलाफ लड़ने के लिए किया जाएगा.

इसके साथ ही, पाकिस्तान को अमेरिका से विदेशी मुद्रा के रूप में अच्छी खासी रकम भी मिलने लगी है, जिसने विभिन्न विकास-स्तर की पहल शुरू की जा रही है.

हालांकि, अमेरिका से सीएसएफ की वित्तीय सहायता पाकिस्तान की मांगों के एक सेट के साथ आई, जिसमें लाल मस्जिद में एक ऑपरेशन, नाटो बलों को पाकिस्तानी एयरबेस से अपने ड्रोन और विमानों को उड़ाने की सुविधा, ड्रोन हमलों को अंजाम देने की अनुमति शामिल थी. पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र और पाकिस्तान के अंदर संदिग्ध आतंकी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना और कहीं भी और हर जगह सैन्य हमले करना, जिसकी पाकिस्तान की धरती पर अमेरिका ने मांग की थी.

  • लाल मस्जिद ऑपरेशन, जो कई लोगों का मानना है कि आतंकवादी हमले, आत्मघाती बम विस्फोटों और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमलों को रोकने के लिए किया गया...अमेरिका के निर्देश पर, मुशर्रफ द्वारा किए गए सबसे बड़े दुस्साहसों में से एक था.

  • इसके अलावा, बुगती जनजाति के नेताओं द्वारा शांति वार्ता के प्रस्तावों के बावजूद 'डेरा बुगती ऑपरेशन' की भी व्यापक रूप से आलोचना की गई. फिर, यह कहा गया कि ऑपरेशन अमेरिका के निर्देश पर किया गया था.

  • कारगिल में ऊंची चोटियों पर घुसकर कब्जा करना मुशर्रफ के पावर स्टंट का हिस्सा था, जिसे उन्होंने अपनी सफलता की कहानी होने का दावा किया, लेकिन बाद में देश में राजनीतिक शर्मिंदगी का सबब बन गया.

  • कारगिल ऑपरेशन के बाद मुशर्रफ पर अमेरिका द्वारा न केवल अपने सैनिकों को वापस बुलाने का दबाव डाला गया बल्कि एक कदम आगे बढ़ाने और भारत के प्रति शांति और दोस्ती का संदेश देने के लिए भी दबाव डाला गया. यह उसी दबाव के कारण था कि मुशर्रफ ने श्रीलंका में सार्क सम्मेलन के दौरान तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हाथ मिलाया था.

  • मुशर्रफ की कहानी निश्चित रूप से कड़वी और मीठी यादों में लिखी जाएगी और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में, जो इतनी गंभीर तीव्रता के दुस्साहस करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत थे कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध छेड़ सकते थे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT