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पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) का निधन हो गया है. जियो न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, परवेज मुशर्रफ का 79 साल की उम्र में दुबई के अस्पताल में निधन हुआ.
परवेज मुशर्रफ की पाकिस्तानी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पहले सेना में शामिल हुए, फिर सैन्य प्रमुख बन गए, तख्ता पलट करने के बाद वे पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने.
भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले मुशर्रफ का जन्म हुआ था. वे 1943 में नई दिल्ली के दरियागंज में पैदा हुए थे. बंटवारे के बाद उनका पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया था. उनके पिता सईद पाकिस्तान में विदेश मंत्रालय में काम करते थे. इसके बाद उनके पिता का तबादला तुर्की में हो गया था. हालांकि उनका परिवार फिर 1957 में पाकिस्तान लौट आया था.
मुशर्रफ की स्कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई लहौर के फॉरमैन क्रिशचन कॉलेज में हुई. वे एक शानदार खिलाड़ी भी रहे.
अक्तूबर 1998 में मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख बन गए. 1999 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद से हटा कर सत्ता हथिया ली थी. फिर 2002 में बाकायदा आम चुनावों में वे बहुमत से जीते. हलांकि आलोचकों का कहना था कि चुनावों में धांधली कर के जीते थे.
मुशर्रफ को आंतकवाद के खिलाफ कथित युद्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का भरपूर समर्थन मिला. इसके कारण नाटो के लिए पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण सहयोगी देश था.
फरवरी 2008 में फिर चुनाव हुए. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की जीत हुई. पीपीपी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) ने मिलकर मुशर्रफ पर महाभियोग चलाया. मुशर्रफ पर कई सारे आरोप लगाए गए. मुशर्रफ को मालूम था कि उन्हें फांसी की सजा मिल सकती है, इसलिए उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया और केस शुरू होने से पहले लंदन के लिए निकल गए. इसके बाद 24 नवंबर, 2008 से वे लंदन में ही रहे.
2010 में परवेज ने खुद की एक राजनीतिक पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग बनाई. 2013 में वापस पाकिस्तान लौटे. पाकिस्तान लौटते ही उन्हें हाउस अरेस्ट में ले लिया गया और उन पर केस चलाने के निर्देश दिए गए.
लेकिन एक बार फिर मुशर्रफ पाकिस्तान से भागने में कामयाब हो जाते हैं. हालांकि 2019 में अदालत ने उन्हें देशद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई. लेकिन मुशर्रफ लंदन से कभी पाकिस्तान लौटे ही नहीं और सजा से बचे रहे.
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