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Pervez Musharraf Dies: भारत में जन्म और भारत के जानी दुश्मन,ताउम्र उगलते रहे जहर

Pervez Musharraf: भारत पर हमला करने वालों को स्वतंत्रता सेनानी बताने वाला तानाशाह

अजय कुमार पटेल
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>Pakistan के पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल परवेज Pervez Musharraf का निधन</p></div>
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Pakistan के पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल परवेज Pervez Musharraf का निधन

(फोटो : The quint )

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लंबे समय से बीमार चल रहे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Mushrraf Dies) का दुबई में 79 साल की उम्र में निधन हो गया है. मुशर्रफ अमीलाइडोसिस नामक बीमारी से जूझ रहे थे. परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 को दिल्ली में हुआ था, 1947 में उनका परिवार नई दिल्ली से कराची चला गया था. 1964 में मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए. उन्होंने क्वेटा के आर्मी स्टाफ एंड कमांड कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी. जबकि 1998 से साल 2007 तक उन्होंने सेना प्रमुख का पद भी संभाला. इसके बाद 2001 से 2008 तक उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया.

मुशर्रफ को पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या और लाल मस्जिद के मौलवी के मारे जाने के मामले में भगोड़ा घोषित किया गया  था. उन पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा था. दुबई के अस्पताल में उनका काफी लंबे समय से इलाज चल रहा था.

परवेज मुशर्रफ के दादा टैक्स कलेक्टर थे. उनके पिता भी ब्रिटिश हुकूमत में बड़े अफसर थे. मुशर्रफ की मां बेगम जरीन 1940 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ती थीं. पुरानी दिल्ली में मुशर्रफ परिवार के पास एक बड़ी कोठी थी. अपने जन्म के चार साल बाद तक मुशर्रफ ज्यादातर यहीं रहे. अपनी भारत यात्रा के दौरान 2005 में परवेज मुशर्रफ की मां बेगम जरीन मुशर्रफ लखनऊ, दिल्ली और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गई थीं.

भारत के खिलाफ अक्सर उगला जहर

करगिल के बारे में :

भारत और कश्मीर को लेकर परवेज मुशर्रफ अक्सर विवादित बयान देते आए. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार 2013 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुशर्रफ ने कराची में कहा था कि करगिल अभियान पाकिस्तानी फौज का सबसे सफल ऑपरेशन है. करगिल में भारत के खिलाफ लड़ाई पर पाकिस्तान को गर्व होना चाहिए. करगिल में पाकिस्तान ने भारत को गर्दन से पकड़ लिया था.

कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज मुशर्रफ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली थी. उन्होंने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. ये युद्ध भले ही पाकिस्तान हार गया था लेकिन इसके बावजूद भी बहादुरी से लड़ने के लिए पाकिस्तान सरकार की ओर से मुशर्रफ को मेडल दिया गया था.  उन्होंने भारत के खिलाफ कारगिल की साजिश रची थी, लेकिन बुरी तरह से असफल रहे. अपनी जीवनी 'इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर' में जनरल मुशर्रफ ने लिखा था कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी, लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए.

पठानकोट पर :

एक पाकिस्तानी टीवी चैनल को दिये गये इंटरव्यू में पठानकोट हमले को लेकर मुशर्रफ ने कहा था कि भारत पर अभी और भी पठानकोट जैसे हमले होते रहेंगे. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार जो रुख अपना रही है वह सही नहीं है.

लश्कर और आतंकी हमले को लेकर :

बीबीसी के साथ हुए एक साक्षात्कार में परवेज मुशर्रफ ने कई सवालों के जवाब दिए थे. जब उनसे लश्कर से जुड़ा सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि

प्लीज... मुझे यूएन के बारे में न सिखाएं. मुझे पता है कि वहां जो रेज़ोल्यूशन पास होते हैं वो किस तरीक़े से पास होते हैं. वो न्याय संगत नहीं होते हैं वो प्रभाव से प्रेरित होते हैं. हम समझते हैं कि कश्मीर समस्या को निपटाना चाहिए ताकि ये जो सारा सिलसिला चल रहा है ख़त्म हो. अगर हम ये ख़त्म नहीं करेंगे तो ये सिलसिला चलता रहेगा. ऐसा नहीं है कि ये जो आतंकी हमले हो रहे हैं ये बंद हो जाएंगे ये बल्कि और बढ़ जाएंगे. जब तक कश्मीर मसला सुलझता नहीं है इस तरह के हमले होते रहेंगे.
परवेज मुशर्रफ, पूर्व राष्ट्रपति, पाकिस्तान
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ससंद हमले के बाद परमाणु हथियारों की तैनाती का प्लान :

जापानी दैनिक समाचार पत्र 'मेनची शिमबुने’ से बात करते हुए परवेज मुशर्रफ ने खुलासा किया था कि भारत की संसद पर आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा होने के बीच उन्होंने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बारे में विचार किया था, लेकिन प्रतिक्रिया के डर की वजह से ऐसा नहीं करने का फैसला किया. उस समय मुशर्रफ ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि वह परमाणु हथियरों के इस्तेमाल की संभावना को खारिज नहीं करते हैं.

अड़ियल रुख के कारण आगरा में बात नहीं बनी :

जुलाई 2001 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और जबरन राष्ट्रपति के पद पर काबिज हुए मुशर्रफ की आगरा में मुलाकात हुई थी. इस शिखर वार्ता में कश्मीर मसले को लेकर मुशर्रफ के साथ सहमति नहीं बन सकी। मुशर्रफ के अड़ियल रवैये के कारण यह वार्ता पटरी से उतर गई थी. वाजपेयी ने मुशर्रफ से कश्मीर में सीमा पार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए कहा था. लेकिन बात नहीं बन पायी.

आतंकियों की तुलना स्वतंत्रता सेनानियों से

IBN7 से खास बातचीत के दौरान मुशर्रफ ने कहा था कि  "जो भारत के लिए आतंकवाद फैलाता है, वह उनके लिए स्वतंत्रता सेनानी जैसा है." उन्होंने कहा था कि अगर हमें भड़काओगे, तो करारा जवाब मिलेगा. हक्कानी के बारे में उन्होंने कहा था कि वे (हक्कानी) 80 के दशक में फ्रीडम फाइटर्स थे. आप जिन्हें आतंकवादी कह रहे हैं, वह हमारे लिए मुजाहिद्दीन (स्वतंत्रता सेनानी) जैसे हैं. पाकिस्तान ने हाफिज को नहीं बनाया, वह खुद बना है. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि "अगर भारत की ओर से धमकी मिलती है, तो पाकिस्तान डरने वाला नहीं है. हम लोगों ने चूड़ियां नहीं पहनी हैं."

आरएसएस और शिवसेना को बताया था आतंकी संगठन 

IBN7 के साथ हुए इंटरव्यू में ही मुशर्रफ ने शिवसेना और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को आतंकी संगठन करार देते हुए कहा था, ये एक कट्टर हिंदू संगठन है और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी संगठन से ताल्लुकात रखते हैं.

मुशर्रफ ने गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए कहा था कि, क्या आप 2002 दंगा भूल गए? मोदी मुस्लिम विरोधी हैं. मोदी की हरकत कोई भी पाकिस्तानी बर्दाश्त नहीं करेगा. वे एंटी मुस्लिम और एंटी पाकिस्तान हैं.

राजनीति में लौटने के साथ ही अलापा था कश्मीर का राग

2019 में बीमार परवेज मुशर्रफ ने सक्रिय राजनीति में लौटने का फैसला किया था. ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के स्थापना दिवस पर दुबई से टेलीफोन से इस्लामाबाद में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कश्मीर का राग अलापा था. तब मुशर्रफ ने कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान के खून में है और कुछ भी हो जाए, सेना के साथ देश कश्मीरी लोगों के साथ खड़ा रहेगा.

हाफिज सईद की रिहाई की मांग

मुंबई ब्लास्ट के मास्टरमाइंड हाफि सईद के बारे में मुशर्रफ ने दावा किया था कि सईद का संगठन एक अच्छा एनजीओ है. यह संगठन पाकिस्तान में राहत के काम करता है. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार मुशर्रफ का कहना था कि सईद को रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि वो पाकिस्तान में तालिबानी संगठन के खिलाफ है. मुशर्रफ का यह भी कहना था कि सईद ने दुनिया में आज तक कोई भी आतंकवादी घटना को अंजाम नहीं दिया है.

बाद में स्वीकारी आतंक की सच्चाई

इंडिया टुडे टीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में मुशर्रफ ने स्वीकार किया था कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को आईएसआई प्रशिक्षण देती है.

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