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पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus spyware) की मदद से जासूसी के व्यापक विवाद के बीच इसे बनाने वाली इजरायली कंपनी, NSO ग्रुप ने कथित तौर पर अपने कई सरकारी कस्टमर्स को इसके उपयोग करने से अस्थाई तौर पर रोक दिया है. यह दावा एक मीडिया रिपोर्ट में किया गया.
अमेरिका की नेशनल पब्लिक रेडियो (NPR) ने एक रिपोर्ट प्रकाशित करके बताया कि NSO ग्रुप में यह स्पष्ट नहीं किया है कि किन सरकारी एजेंसियों पर यह बैन लगाया है और यह बैन कब तक चलेगा. NPR के अनुसार कंपनी के एक कर्मचारी ने बताया है कि "कुछ क्लाइंट पर जांच चल रही है और उनमें से कुछ को अस्थाई रूप से सस्पेंड कर दिया गया है".
इस कथित अस्थाई बैन की खबर तब आई है जब NSO कंपनी उन आरोपों की जांच कर रही है जिसके अनुसार पेगासस की मदद से कई देशों की सरकारी एजेंसियों ने राजनेताओं और पत्रकारों का फोन हैक किया और उनकी जासूसी की.
NSO ग्रुप द्वारा अपने कई ग्राहकों (सरकारी एजेंसी) पर कथित कार्यवाही का यह कदम इजरायली अधिकारियों द्वारा उसके ऑफिस के दौरे के एक दिन बाद उठाया गया है.कंपनी के कर्मचारी ने NPR को बताया कि कंपनी जांच पूरा करने के लिए इजरायली अधिकारियों का पूरा सहयोग कर रही है.
NSO के 40 देशों में कुल 60 ग्राहक हैं जिनमें से सभी खुफिया एजेंसी, लॉ इनफोर्समेंट बॉडी और सेनाएं हैं. हाल के वर्षों में पेगासस खुलासे के पहले कंपनी ने 5 सरकारी एजेंसियों के लिए अपने स्पाइवेयर सुविधा को ब्लॉक कर दिया था.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत लीक हुई संभावित टारगेट की सूची में 2000 से अधिक भारतीय फोन नंबर पाये गए. ये 300 से अधिक सत्यापित लोगों (विपक्षी नेताओं,पत्रकारों, बिजनेस, केंद्रीय मंत्री, सरकारी अधिकारियों) के हैं. इनमें से 125 संभावित लक्ष्यों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं.
भारत सरकार ने किसी भी अनाधिकृत जासूसी के आरोप से इनकार किया है और पेगासस प्रोजेक्ट पर "भारतीय लोकतंत्र और उसके संस्थाओं को बदनाम" करने का आरोप लगाया है.
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