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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान ने जी-20 शिखर सम्मेलन से अलग अर्जेंटीना में मुलाकात की. दोनों नेताओं ने सऊदी अरब का भारत में एनर्जी, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और डिफेंस सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिये नेतृत्व के स्तर पर एक सिस्टम स्थापित करने का फैसला किया.
दोनों नेताओं ने बैठक के दौरान इकनॉमिक, कल्चरल और एनर्जी पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. विदेश सचिव विजय गोखले ने बैठक के बाद कहा, ‘‘यह बैठक गर्मजोशी और दोस्ताना माहौल में हुई.''
सलमान ने भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार बताया. उन्होंने कहा कि इस बारे में खास तौर पर चर्चा हुई कि सऊदी अरब कैसे दो से तीन साल में भारत में विभिन्न क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ा सकता है. सलमान ने कहा कि सऊदी अरब राष्ट्रीय बुनियादी संरचना कोष में शुरुआती निवेश को अंतिम रूप देगा.
इस बारे में विदेश सचिव ने कहा:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिर और अनुमानित दायरे में तेल कीमतों के महत्व पर जोर दिया. इस बात पर भी चर्चा हुई कि खासकर भारत के लिये कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रखने में सऊदी अरब कैसे मदद कर सकता है. सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है.
भारत अपनी जरूरत का 19 प्रतिशत कच्चा तेल सऊदी अरब से खरीदता है. विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा, ‘‘क्राउन प्रिंस सलमान ने सऊदी अरब को बनाने में कई साल से भारतीयों के योगदान को याद किया और इसके लिये आभार प्रकट किया.''
मोदी ने मुलाकात के बाद ट्वीट किया, ‘‘‘क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद के साथ सार्थक बातचीत हुई. हमने भारत-सऊदी अरब के संबंधों के अनेक पहलुओं और आर्थिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा संबंधों को और बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की.''
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में सऊदी अरब गणराज्य एक मूल्यवान साझेदार रहा है. इन संबंधों का विस्तार भारतीय समुदाय से परे इकॉनमी, एनर्जी और सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दों तक हुआ है. द्विपक्षीय और क्षेत्रीय हित के सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.''
पत्रकार जमाल खशोगी की इस्तांबुल के सऊदी दूतावास में दो अक्टूबर को हुई हत्या के बाद यह पहला मौका है जब सलमान ने किसी वैश्विक मंच के कार्यक्रम में हिस्सा लिया हो.
इसी साल 2 अक्टूबर को सऊदी अरब मूल के अमेरिकी नागरिक और वॉशिंगटन पोस्ट के जर्नलिस्ट जमाल खगोशी इंस्ताबुल के वाणिज्य दूतावास में घुसे और फिर उनका पता नहीं चला. खगोशी तुर्की के कानून के मुताबिक, वहां से कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट लेने गए थे, जो उनकी शादी के लिए जरूरी थे.
जमाल खगोशी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नीतियों के आलोचक बन गए थे. उनका कहना था कि देश पर एक ही शख्स का कब्जा इसे उल्टी दिशा में ले जाएगा. इस बात का शक जताया गया कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के इशारे पर ही खुफिया अफसरों ने खगोशी को मार डाला.
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