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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्जेंटीना के ब्यूनो आयर्स में चल रहे जी-20 समिट में 'जय' का मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि ‘जेएआई’ (जापान, अमेरिका और भारत) की बैठक लोकतंत्र को समर्पित है. उन्होंने बताया कि भारत में ‘जेएआई’ यानी जय का अर्थ होता है जीत यानी सफलता .
तीनों देशों की बैठक के दौरान ट्रंप ने भारत के विकास की तारीफ की और कहा कि तीनों मिल कर और अच्छा काम करेंगे. इससे पहले पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने G-20 से अलग त्रिपक्षीय बैठक की. 12 साल के बाद तीनों देशों के बीच यह दूसरी त्रिपक्षीय बैठक थी. यह बैठक जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और मोदी की मुलाकात के ठीक बाद हुई.
भारत ने ब्यूनो आयर्स में चल रही G-20 समिट में आर्थिक अपराध कर देश से भाग जाने वालों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय सहयोग की मांग की और इस पर अपना 9 सूत्रीय एजेंडा पेश किया. इंटरनेशनल ट्रेड और इंटरनशनल फाइनेंशियल टैक्स सिस्टम पर आयोजित दूसरे सूत्र में पीएम मोदी ने भारत की ओर से यह एजेंडा पेश किया.
इस मौके पर पीएम मोदी ने एजेंडे का खुलासा करते हुए कहा कि आर्थिक अपराध के मामले में अपराधियों को पकड़ने के लिए कानूनी प्रक्रिया में विभिन्न देशों का सहयोग जरूरी है. आर्थिक अपराधियों को देश लाने और प्रत्यर्पण से जुड़े मामलों में सहयोग बढ़ाना चाहिए तभी आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों पर नकेल कसी जा सकेगी.
इससे पहले मोदी ने इस इस समिट से अलग चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. इसके अलाा उन्होंने कई अहम बैठकों में हिस्सा लिया. पीएम ने यहां सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस के साथ दो महत्वपूर्ण बैठक की. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया.
अर्जेंटीना में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात इस साल दोनों के बीच होने वाली चौथी मुलाकात थी. प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के दोनों देशों के मुद्दों पर और समस्याओं को सुलझाने के लिए रोडमैप बनाने को लेकर बातचीत हुई.
भारत और चीन के बीच जिस तरह दक्षिण एशिया में वर्चस्व बनाने की होड़ है. इसे देखते हुए दोनों के बीच जी-20 में मुलाकात को अहम माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेता इंवेस्टमेंट, टेक्नोलॉजी, मेन्यूफेक्चरिंग, डिफेंस के क्षेत्र में ठोस काम करने की संभावनाओं के लिए एक व्यवस्था गठित करने पर सहमत हुए. इसके साथ ही क्राउन प्रिंस ने कहा कि सऊदी अरब भारत के राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा कोष में शुरुआती निवेश को अंतिम रूप देगा.
दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत में इस बात की ओर भी ध्यान दिया गया कि सऊदी अरब अगले दो या तीन सालों में कई क्षेत्रों में कैसे अपना इन्वेस्टमेंट बढ़ाए.
प्रधानमंत्री ने स्थिर और अनुमानित दायरे में तेल कीमतों के महत्व पर भी जोर दिया. इस बात पर भी चर्चा हुई कि विशेषकर भारत के लिये कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रखने में सऊदी अरब कैसे मदद कर सकता है. सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. भारत अपनी जरूरत का 19 प्रतिशत कच्चा तेल सऊदी अरब से खरीदता है.
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में सऊदी अरब गणराज्य एक मूल्यवान साझेदार रहा है. इन संबंधों का विस्तार भारतीय समुदाय से परे अर्थव्यवस्था, ऊर्जा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों तक हुआ है. द्विपक्षीय और क्षेत्रीय हित के सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.''
पत्रकार जमाल खशोगी की इस्तांबुल के सऊदी दूतावास में दो अक्टूबर को हुई हत्या के बाद यह पहला मौका है जब सलमान ने किसी वैश्विक मंच के कार्यक्रम में हिस्सा लिया हो.
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