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यूक्रेन बॉर्डर से लगभग 15 मील दूर पूर्वी पोलैंड में एक मिसाइल (Poland missile Attack) के गिरने से मंगलवार, 15 नवंबर को दो पोलिश नागरिकों की मौत हो गई है. इस हमले के लिए उंगलियां अब रूस पर उठ रहीं हैं. इसका कारण है कि ठीक इसी दिन यूक्रेन पर रूस ने लगभग 90 मिसाइलें बरसाई थीं. फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जिसमें यह युद्ध किसी दूसरे देश के अंदर मौत का कारण बना है. जहां एक तरफ रूस ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है वहीं अमेरिका भी बोल रहा है कि इसकी संभावना कम है कि यह रूसी मिसाइल था. सवाल है कि अभी NATO के अलग अलग देशों ने इस मिसाइल हमले पर क्या रूख अपनाया है और अगर यह जानबूझ कर दागी गयी मिसाइल थी तो NATO क्या सच में कोई एक्शन लेने जा रहा है?
सबसे पहले आपको बताएं कि NATO का पूरा नाम North Atlantic Treaty Organization यानी उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन है. इसमें पोलैंड समेत 30 देश शामिल हैं. नाटो सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका मतलब यह है कि एक या अधिक सदस्यों पर हमला सभी सदस्य देशों पर आक्रमण माना जाता है. नाटो अपने सदस्य देशों की सहायता के लिये ना केवल राजनीतिक तरीका अपनाता है बल्कि जरूरत पड़ने पर सैनिक सहयोग भी करता है.
पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने कहा कि "सबसे अधिक संभावना" है कि विस्फोट का कारण रूस में बनी मिसाइल थी, लेकिन अभी भी इसकी जांच की जा रही है. डूडा ने कहा वह NATO चार्टर के आर्टिकल 4 को लागू कर सकते हैं, जिसके तहत सदस्य देश की क्षेत्रीय अखंडता या सुरक्षा को खतरा होने पर सभी सदस्य देश एक साथ बैठक करते हैं. हालांकि अब पोलैंड के राष्ट्रपति ने कहा है कि मिसाइल विस्फोट "दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना" प्रतीत होता है, न कि "जानबूझकर किया गया हमला".
रूस के रक्षा मंत्रालय ने इसके पीछे हाथ होने से साफ इनकार किया है, टेलीग्राम पर, मंत्रालय ने लिखा कि पोलिश अधिकारियों या समाचार मीडिया आउटलेट्स द्वारा रूसी मिसाइलों के बारे में कोई भी बयान "जानबूझकर उकसावा" है. मंत्रालय ने कहा है कि "यूक्रेनी-पोलिश बॉर्डर के पास किसी भी टारगेट पर कोई हमला नहीं किया गया है".
यूक्रेन चूंकि यह विस्फोट यूक्रेन बॉर्डर से बहुत पास - लगभग चार मील - हुआ है, इसने इस संभावना को बढ़ा दिया है कि या तो यह विस्फोट यूक्रेन एयर डिफेंस द्वारा मार गिराई गई मिसाइल के अवशेषों के कारण हुआ है या यह यूक्रेनी एयर डिफेंस की ही मिसाइल है. माना जाता है कि रूस और यूक्रेन दोनों ही रूस निर्मित मिसाइलों का इस्तेमाल करते हैं.
अमेरिका इंडोनेशिया में G20 समूह की बैठक के मौके पर बोलते हुए, राष्ट्रपति बिडेन ने कहा कि "प्रारंभिक जानकारी" ने संकेत दिया कि मिसाइल रूस से नहीं दागी गई थी. उन्होंने कहा- मैं यह नहीं कहना चाहता कि जब तक हम पूरी तरह से जांच नहीं करते," लेकिन मिसाइल के "प्रोजेक्शन" को देखते हुए यह असंभव लग रहा कि "इसे रूस से दागा गया था". न्यूज एजेंसी AP के अनुसार रूस ने अमेरिका के इस नपी-तुली प्रतिक्रिया की सराहना की है.
यदि यह सच हो कि रूसी मिसाइल ने ही मंगलवार को पोलैंड में विस्फोट किया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गयी, तो यह पहली बार होगा जब कोई रूसी हथियार नाटो क्षेत्र में गिरा होगा. अमेरिका और रूस दोनों ने शीत युद्ध के दौरान भी ऐसी गलती नहीं की थी क्योंकि वाशिंगटन और मास्को गलती से भी एक दूसरे के खिलाफ एक्टिव वॉर में जाने के जोखिमों से अच्छी तरह वाकिफ थे.
ऐसा इसलिए है क्योंकि पोलैंड की सरकार ने कहा है कि वह अभी भी जांच कर रही है कि किसकी मिसाइल उसके इलाके में गिरी है, और राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा का कहना है कि वे NATO चार्टर के आर्टिकल 4 को लागू करने पर विचार कर रहे हैं- इसके अनुसार किसी भी NATO का सदस्य को तत्काल परामर्श के लिए बैठक बुला सकता है- "जब भी, उनमें से किसी की राय में, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता या किसी भी पक्ष की सुरक्षा को खतरा हो".
ध्यान रहे कि पोलैंड ने NATO चार्टर के आर्टिकल 5 का उल्लेख नहीं किया है. आर्टिकल 5 में कहा गया है कि एक सदस्य पर सशस्त्र हमला सभी पर हमला है. अगर बात आर्टिकल 5 की होती तब नाटो और रूस के बीच युद्ध के बढ़ने का की संभावना ज्यादा होती. इसके अलावा पोलैंड के राष्ट्रपति ने इसे "दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना" बताया है. दूसरी तरफ NATO का अगुआ अमेरिका भी रूसी दांवे को ही दोहराता दिख रहा कि मिसाइल रूस की नहीं थी.
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