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"मामले में इजरायल का कोई पहलू नहीं है...मीडिया रिपोर्ट्स में जो चीजें सामने आ रही हैं, वो तथ्यात्मक रूप से बिल्कुल गलत हैं." कतर (Qatar) में जिन आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनके परिवार से घनिष्ट संबंध रखने वाले एक सूत्र ने क्विंट हिंदी के साथ बातचीत में यह बात कही.
कतर में कोर्ट ने गुरुवार, 26 अक्टूबर को आठ लोगों को मौत की सजा का फैसला सुनाया, जो डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ काम करते थे. मौत की सजा सुनाए जाने से पहले उन्हें एक साल से ज्यादा वक्त तक जेल में रखा गया था. सभी भारतीय नागरिकों को अगस्त 2022 में 'जासूसी' के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस दौरान पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों के अलावा कंपनी के सीईओ को भी हिरासत में लिया गया था, जो ओमान का रहना वाला था. उसको बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.
हालांकि, अदालत की कार्यवाही के बारे में जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने इन दावों का खंडन किया कि कथित "जासूसी" इजरायल से संबंधित है. नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने क्विंट हिंदी को आगे बताया कि
इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे लोग "वहां (कतर में) केवल ट्रेनर्स के तौर पर थे और जासूसी करने जैसी किसी भी जानकारी तक उनकी पहुंच नहीं थी."
इस बीच, भारत के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया कि मंगलवार, 31 अक्टूबर तक उम्मीद है कि मंत्रालय के द्वारा इसी तरह का बयान दिया जाएगा कि आठों भारतीय नागरिकों का किसी भी तरह इजरायल के मामले से कोई कनेक्शन नहीं है.
कतर में 29 मार्च 2023 को शुरू हुई अदालती कार्यवाही पर टिप्पणी करते हुए, सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया कि मुकदमा पांच महीने में पूरा किया गया था. हालांकि, फैसला किसी भी भारतीय अधिकारी को नहीं उपलब्ध कराया गया है.
सोमवार, 30 अक्टूबर को शाम 5 बजे तक, ऐसा कोई डॉक्यूमेंट नहीं मिला है, जिसमें आठों भारतीयों को फांसी दिए जाने के फैसले के बारे में जानकारी शामिल की गई हो.
सोमवार, 30 अक्टूबर को, पूर्व सैनिकों के परिवार के कई सदस्यों ने विदेश मंत्रालय के साउथ ब्लॉक मुख्यालय में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की, जहां राज्य मंत्री (विदेश मामले) वी मुरलीधरन और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची भी मौजूद थे.
सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया कि लगभग 1.5 घंटे लंबी बैठक के दौरान, विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत सरकार के द्वारा "पूरी तरह से मदद" की पेशकश की और आठों भारतीयों की बेगुनाही के बारे में बात कही.
विदेश मंत्री जयशंकर ने परिवार के सदस्यों की शिकायतों को संबोधित किया और आश्वासन दिया कि आगे जो भी होगा, उस पर वो नजर रखेंगे.
विदेश मंत्रालय के एक सूत्र ने क्विंट हिंदी को बताया कि
बैठक के बाद, जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए एक पोस्ट में इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस मामले को अहम महत्व दे रही है. सरकार उनकी रिहाई करवाने के लिए कोशिश करना जारी रखेगी. इस संबंध में परिवारों के साथ बातचीत करता रहूंगा.
परिवार के सदस्यों ने कतर में भारतीय राजदूत के साथ भी बैठक की, जिन्होंने फैसले पर हैरानी व्यक्त की.
30 अगस्त 2022 को, दो अन्य लोगों के साथ आठ लोगों को अज्ञात आरोपों में पकड़ा गया और बाद में जेल में डाल दिया गया.
1 अक्टूबर तक, दोहा में भारत के राजदूत और मिशन के डिप्टी हेड ने आठ नौसैनिकों के साथ बैठक की.
3 अक्टूबर को पहली काउंसलर एक्सेस दी गई. दहरा ग्लोबल (Dahra Global) के सीईओ खामिस अल-अजमी ने भी अपने अधिकारियों की रिहाई सुनिश्चित करने की मांग की, लेकिन उन्हें खुद ही हिरासत में ले लिया गया. जमानत मिलने से पहले वह दो महीने तक जेल में रखे गए.
1 मार्च: पुर्व भारतीय नौसैनिकों की अंतिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई.
25 मार्च: आठों लोगों के खिलाफ आधिकारिक तौर पर आरोप दायर किए गए.
29 मार्च: कतर के कानून के मुताबिक मुकदमा शुरू हुआ.
4 अगस्त को, गिरफ्तार किए गए आठ लोगों को कुछ राहत मिली क्योंकि उन्हें एकांत कारावास से जेल वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां उन्हें अपने सहयोगियों के साथ रखा गया. यहां प्रति सेल में दो लोगों का साथ रखा गया था.
आखिरकार, 26 अक्टूबर को कोर्ट ने सभी आठों लोगों को मौत की सजा सुनाई.
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