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अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन की रिपोर्टिंग भारत के ज्यादतार मीडिया प्लेटफॉर्म ने उत्सव वाले टोन में की. न्यूज चैनल का कवरेज तो पर्दाफाड़ था. लेकिन विदेशी मीडिया ने इस घटना को कैसे देखा? उनकी खबरों में तथ्य और तटस्थता दोनों नजर आई.
फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा कि मोदी ने उस जगह पर हिंदू मंदिर बनाने के समारोह की अगुवाई की जहां मस्जिद को गिराया गया था. भारतीय प्रधानमंत्री का ये कदम अयोध्या में जमीन को लेकर दशकों से चली आ रही धार्मिक लड़ाई की परिणति है.
दि इकनॉमिस्ट ने लिखा नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में हिंदू राष्ट्रवाद की जीत को पुख्ता किया. इस जीत का जश्न मनाने के बाद बीजेपी की विचारधारा, अब एक नया मुद्दा ढूंढेगी.
बीबीसी ने लिखा - कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया. हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच दशकों लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अयोध्या में मंदिर बनाने का काम शुरू होगा.
न्यू यॉर्क टाइम्स की राय है कि हिन्दू जनाधार के लिए जीत का एक मौका बनाते हुए मोदी ने मस्जिद के मलबे पर मंदिर की आधारशिला रखी. अयोध्या में, जो धार्मिक हिंसा का एक केन्द्र बिन्दु था, एक समारोह में भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने हिंदू राष्ट्रवादी जनाधार को प्रभुत्व का एक स्पष्ट प्रतीक दे दिया.
CNN ने याद दिलाया कि पीएम मोदी ने इस भूमि पूजन को तब अंजाम दिया जब भारत दुनिया का तीसरा सबसे कोरोना संक्रमित देश बन चुका है और रोज यहां 50 हजार से ज्यादा कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. हेडलाइन है - भारत के नरेंद्र मोदी ने देश में अलगाव का मुद्दे रहे अयोध्या मंदिर का शिलान्यास कोरोना के बढ़ने मामलों के बीच किया.
वाशिंगटन पोस्ट ने बताया है कि अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन देश में हिंदू राष्ट्रवादियों और नरेंद्र मोदी के लिए जीत का प्रतीक है. पोस्ट ने मोदी के बयान को कोट किया - ''आज पूरा देश भावुक है, आज सदियों का इंतजार खत्म हुआ''
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