Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राम मंदिर का शिलान्यास और पीएम की कामना-'सबकी भावना का ख्याल रखना'

राम मंदिर का शिलान्यास और पीएम की कामना-'सबकी भावना का ख्याल रखना'

अयोध्या में मंदिर परिसर से पीएम मोदी का 35 मिनट का भाषण

संतोष कुमार
भारत
Updated:
(फोटो- क्विंट हिंदी)
i
null
(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

5 अगस्त. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन और उधर कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने का एक साल पूरा होना. संयोग ही होगा, संयोग ही है. लेकिन प्रतीकों की अहमियत वाले देश में इसके गहरे मायने हो सकते हैं. संकेत हो सकता है कि अपना देश नए युग में प्रवेश कर रहा है. आज जो हो रहा है उसमें कोई देख सकता है कि आगे क्या मार्ग होगा, क्या मंजिल होगी. पीतांबर में देश के पीएम. अयोध्या में मंदिर परिसर से 35 मिनट का भाषण और भाषण में मौजूद एक-एक वाक्य, एक-एक शब्द काफी कुछ कहता है.

राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के बाद पीएम मोदी ने मंदिर निर्माण की शुरुआत को सदियों के इंतजार को खत्म होना बताया. उन्होंने कहा-''टूटना और फिर खड़ा होना, ये क्रम अब टूट गया है. अब रामलला को टेंट में नहीं रहना होगा.'' जब उन्होंने कहा कि आज करोड़ों लोगों को यकीन नहीं हो रहा होगा कि ये वाकई में हो रहा है, तो उन्होंने याद दिला दिया कि उनका एक वादा पूरा हुआ. ''राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां बिश्राम.'' लगे हाथ उन्होंने इतिहास को कुरेदा, जब कहा कि भगवान राम की स्मृति को मिटाने का काफी प्रयास हुआ लेकिन राम आज भी जन-जन के मन में बसे हैं.

दलित, पिछड़े, किसान सबका जिक्र

अपने अलहदा अंदाज में मोदी ने अयोध्या के मंच से हर वर्ग-हर समुदाय तक पहुंचने का प्रयास किया. महिलाओं किसान, पशुपालक सबका जिक्र किया और बताया कि रामराज्य वो है जहां सब खुश रह सकें.

जैसे केवट, वनवासियों ने भगवान राम का साथ दिया, जैसे छोटे-छोटे ग्वालों ने भगवान श्रीकृष्ण को गोवर्धन उठाने में मदद की. जिस तरह गरीब, पिछड़ों ने विदेशी हमलावरों से युद्ध में राजा सुहेल देव का साथ दिया और जिस तरह दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों ने आजादी की लड़ाई में गांधी जी को सहयोग दिया उसी तरह आज देश भर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर का पुण्य कार्य शुरू हुआ है.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

कोई सवाल उठा सकता है कि यहां राजा कौन है? कौन है जिसे लीड करना है और किसे साथ देना है? जाकी रहे भावना जैसी. ये अच्छी बात है कि दशकों तक देश में कटुता की वजह बने मुद्दे राम मंदिर के शिलान्यास पर पीएम मोदी ने कई तरीके से बताया कि ये मौका अलग होने का नहीं, जुड़ने का है. रामराज्य का खाका खींचते हुए उन्होंने बताया कि श्रीराम ने सामाजिक समरसता को अपने शासन का आधार बनाया, एक गिलहरी की महत्ता को भी स्वीकार किया. राम प्रजा से एक समान प्रेम करते हैं, खासकर गरीबों से विशेष प्रेम करते हैं.

राम मंदिर भूमि पूजन के मौके पर भी पीएम ने आत्मनिर्भर भारत और शक्तिशाली भारत का ख्वाब देखा. चीन से तनाव के बीच उनका ये कहना कि ''भय बिनु होई न प्रीत'', आगे का संकल्प ही दिखाता है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

''राम अनेकता में एकता के सूत्र"

मंदिर के शिलान्यास के मौके पर अगर किसी वर्ग को लग रहा हो कि उन्हें भुला दिया गया, उनका हक मारा गया तो पीएम ने उन्हें याद दिलाया कि राम भारत की विविधता में एकता के भी प्रतीक हैं. अनेकता में एकता के सूत्र हैं और इसलिए उन्होंने दोहराया कि हमें सबकी भावनाओं का ध्यान रखना है. हमें सबके साथ, विश्वास से विकास करना है. उन्होंने अपने रामराज्य के विजन को महात्मा गांधी का विजन भी बताया.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

''राम मंदिर से पहले मन की अयोध्या सजाएं''

इसी मंच से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा-आज सबको साथ लेकर चलने की शुरुआत हो रही है. हालांकि उन्होंने इसमें ''जितना हो सके'' जरूर जोड़ा. उन्होंने कहा कि मंदिर बनकर तैयार होने से पहले मन की अयोध्या को सजाना है, मन का मंदिर बनाना है. ऐसा मन जिसमें कोई दोष न हो, किसी के लिए शत्रुता न हो.

भागवत ने लालकृष्ण आडवाणी का भी जिक्र किया और कहा कि वो यहां होते तो अच्छा लगता. उन्हें अशोक सिंघल भी याद आए.

राम मंदिर का शिलान्यास हो गया है. करोड़ों लोगों की आकांक्षा पूरी हो रही है, और यहां कही गई बातों के कारण करोड़ों लोगों की आकांक्षा जग रही है. राम राज्य की आकांक्षा, क्योंकि यहां जिस रामराज्य की संकल्पना दिखाई गई, हाल फिलहाल उससे कुछ उलट काम हुए हैं. संयोग ही है, शायद संयोग ही होगा, आज जब करोड़ों भारतीयों की आकांक्षा पूरी हो रही है तो देश का मुकुट मौन है, या कर दिया गया है. कश्मीरियों की भावना का सम्मान और ध्यान भी इस रामराज्य का एजेंडा होगा, यकीनन. धर्म के आधार पर नागरिकता के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने पर कठोर कानूनों का इस्तेमाल नहीं होगा, इस ऐतिहासिक दिन ये ऐतिहासिक भाषण सुन, फिर भरोसा जगा है कि ऐसे भेदभाव, ऐसी चीजें जो लोग कर रहे हैं, उन्हें रोकने पर भी काम होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 05 Aug 2020,05:18 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT