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'जानवर जैसा बांधा':रोहिंग्या महिला को हथकड़ी में बच्चे के अंतिम संस्कार में लाया

सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि जम्मू में हिरासत के दौरान पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़ने के बाद बच्चे का दम घुट गया.

प्रणय दत्ता रॉय
दुनिया
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<div class="paragraphs"><p>'जानवर जैसा बांधा':रोहिंग्या महिला को हथकड़ी में बच्चे के अंतिम संस्कार में लाया</p></div>
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'जानवर जैसा बांधा':रोहिंग्या महिला को हथकड़ी में बच्चे के अंतिम संस्कार में लाया

(फोटो- Accessed by The Quint)

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“हमारे साथ की गई क्रूरता देखिए. मां ने तो अपना बच्चा, अपनी दुनिया ही खो दी, वह कहां भागेगी? पुलिस ने उसे जानवरों की तरह जंजीरों से क्यों बांध रखा है?'' रोहिंग्या शरणार्थी (Rohingya Refugee) नमिना खातून के एक करीबी सूत्र ने द क्विंट को बताया, जिसके एक दिन बाद नमिना खातून को अपने 5 महीने के बच्चे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया, हथकड़ी लगाई गई और पुलिस उसको ले गई.

मार्च 2021 में हिरासत में लिए जाने के बाद नमिना खातून, उनके पति मुहम्मद सलीम और करीब 270 रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू की हीरानगर जेल में बंद हैं.

वे 168 रोहिंग्या साथियों का हिस्सा थे, जिन्हें 6 मार्च 2021 को बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के लिए जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में इकट्ठा किया गया था, जहां कई शरणार्थियों को हिरासत में लिया गया था. कुछ दिनों बाद, जम्मू से विस्थापित 72 रोहिंग्याओं को दिल्ली के विकासपुरी में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) द्वारा हिरासत में लिया गया, जब वे सुरक्षा की मांग करते हुए UNHCR कार्यालय के बाहर डेरा डाले हुए थे.

हिरासत में लिए जाने के दो साल बाद तक, वे जम्मू की हीरानगर जेल में बंद हैं, उन्होंने कई भूख हड़तालें कीं और अपनी रिहाई और म्यांमार के लिए देश से जाने के आदेश की मांग की.

मई से होल्डिंग सेंटर में माहौल तनावपूर्ण है, लेकिन उनकी मांगों पर कथित तौर पर कुछ नहीं हुआ. इसके उलट 17 जुलाई 2023 को अधिकारियों और रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच झड़पें हुईं, जिसके बाद 5 महीने के उमर हबीबा की मौत हो गई.

'आंसू गैस लगने से बच्चे का दम घुटा'

सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि दो साल तक अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने, अपने परिवारों से जबरन अलग किए जाने और उनकी मांगों का कोई जवाब नहीं मिलने के बाद, शरणार्थी एकत्र हुए और हिरासत से निकलने की कोशिश की.

17 जुलाई को सुबह लगभग 6 बजे, 200 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों और पुलिस अधिकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिन्होंने "भीड़ पर गोलीबारी की, लाठीचार्ज किया और शरणार्थियों पर आंसू गैस के गोले दागे."

हिरासत में लिए गए शरणार्थियों के परिवार के सदस्यों ने तत्काल UNHCR से संपर्क किया, लेकिन संस्थान ने केवल एक आईडी कार्ड जारी किया, जो बंदियों के पास पहले से ही थी और स्थानीय कार्यालय प्रबंधक अनुपस्थित था.

जम्मू में एक रोहिंग्या शरणार्थी, जिसके हीरा नाहर केंद्र में कई बंदियों के साथ अच्छे संबंध हैं, उसने द क्विंट को बताया कि बच्चे के माता-पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस कार्रवाई में चोटें लगने के बाद इसकी मौत हो गई. हालांकि, बच्चे के लिंग के बारे में सही जानकारी नहीं है.

“हमें बताया गया कि भारी आंसू गैस के गोले के धुएं की वजह से बच्चे की दम घुटने से मौत हो गई. इस दौरान कई अन्य लोग भी घायल हुए हैं.”

कठुआ SSP और हरि नगर होल्डिंग सेंटर प्रभारी कौशल कुमार द्वारा दिए गए बयानों के मुताबिक जिस बच्चे की मौत हुई वह एक अज्ञात बीमारी से पीड़ित था और घटना के दो दिन बाद हिरासत में उसकी मौत हो गई.

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अधिकारियों का दावा है कि उनके द्वारा तब कार्रवाई की गई, जब कुछ कैदियों ने एक स्पेशल पुलिस ऑफिसर सहित जेल स्टाफ के तीन अधिकारियों को बंधक बना लिया और हीरानगर में सब-जेल के गेट को तोड़ने की कोशिश की गई.

कठुआ के SSP ने कहा कि बच्चे की मौत का "मंगलवार, 18 जुलाई 2023 को हुई घटना से कोई संबंध नहीं है." उन्होंने दावा किया कि बच्चा "जन्म के बाद से ही अस्वस्थ था और उसकी दवा चल रही थी."

उन्होंने कहा कि

बच्चा पैदा होने के बाद से ही बीमार था. उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था लेकिन वह बच नहीं सका. मौत का मंगलवार की घटना से कोई संबंध नहीं है और हमारी कार्रवाई की वजह से उसकी मौत नहीं हुई.
Rohingya Human Rights Initiative के को-फाउंटर और डायरेक्टर सब्बर क्याव मिन (Sabber Kyaw Min) ने द क्विंट को बताया कि हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं से झड़प होने का पुलिस का दावा झूठा है, हंगामा तब शुरू हुआ जब पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले फेंके और वे आगे की ओर भागे. उन्होंने कहा कि बच्चा जेल में पैदा हुआ और जेल में ही मर गया.

अधिकारियों के मुताबिक, माता-पिता शव को नरवाल में दफनाना चाहते थे, जहां उनके रिश्तेदार रहते हैं और कठुआ के जिला मजिस्ट्रेट ने उन्हें वहां ले जाने की अनुमति दे दी.

'मां ने अपना बच्चा, अपनी दुनिया खो दी है, वह कहां भागेगी?'

2012 में सलीम अपनी पत्नी नुमिना और अपने बेटे रियाजुद्दीन (जो उस समय पांच साल का था) के साथ जम्मू पहुंचे थे. दुर्भाग्य से सलीम को उस साल के आखिरी में नियमित UNHCR कार्ड जांच के दौरान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और अंबफल्ला जिला जेल में रखा गया.

2021 तक उन्हें हीरानगर के होल्डिंग सेंटर में ट्रांसफर कर दिया गया. उसी साल मेडिकल जांच के दौरान पकड़े जाने के बाद नुमिना को भी होल्डिंग सेंटर भेज दिया गया था.

उनके 15 साल के बेटे रियाज़ुद्दीन को भी उसी सुविधा में भेजा गया था. दंपति के दो अन्य बच्चे- उमर हबीबा और एक वर्षीय उमर सलीना थे, जो होल्डिंग सेंटर में उनके साथ रह रहे थे.

19 जुलाई 2023, बुधवार की रात उन्हें नरवाल की रोहिंग्या बस्ती में लाया गया.

हालांकि, वाहन से बाहर निकलने पर, परिवार के सदस्यों सहित गवाह यह देखकर हैरान रह गए कि सलीम, नुमिना और उनके जवान बेटे रियाजुद्दीन को कथित तौर पर हथकड़ी लगाई गई थी. कथित तौर पर, वे एक घंटे से ज्याद वक्त तक हथकड़ी में बंधे रहे क्योंकि वे अपने मृत रिश्तेदार के लिए शोक मना रहे थे और शव को दफना रहे थे.

जब नुमिना अपने बच्चे के शरीर के पास जंजीर से बंधी बैठी थी, तो एक साथी रोहिंग्या शरणार्थी ने द क्विंट को बताया:

हमारे साथ हुई क्रूरता को देखो. मां ने अपना बच्चा, अपनी दुनिया खो दी है, वह कहां भागेगी? पुलिस ने उसे जानवरों की तरह क्यों जंजीरों में जकड़ रखा है?

अंतिम संस्कार के बाद, उन्हें वापस हीरानगर होल्डिंग सेंटर ले जाया गया.

हालांकि, सीनियर पुलिस और जेल अधिकारियों ने घटना के दौरान हथकड़ी के इस्तेमाल के बारे में कोई जानकारी नहीं होने का दावा किया और इस मामले में अपने कर्मचारियों की किसी भी संलिप्तता से इनकार किया.

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