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अंडमान सागर में लगभग एक महीने तक फंसे रहने के बाद, 160 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya refugees) को ले जा रही एक नाव को आखिरकार सोमवार, 26 दिसंबर को इंडोनेशियाई नागरिकों (Indonesian) और मछली पकड़ने वाली नौकाओं ने बचा लिया.
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थी रेजुवान खान की बहन अपनी पांच साल की बेटी के साथ उसी नाव पर थी. रेजुवान खान ने क्विंट को बताया कि "इंडोनेशिया के एक रोहिंग्या शरणार्थी ने अभी मुझे इन्फॉर्म किया है कि मछली पकड़ने वाली नौकाओं और नागरिकों ने नाव को बचा लिया है. मैं अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि मेरी बहन और उसकी बेटी जीवित हैं या नहीं."
क्विंट ने सबसे पहले 13 दिसंबर को फंसे हुए नाव की सूचना दी थी. इसमें सवार लोगों के परिजन उनके बचाव और मानवीय सहायता के लिए गुहार लगा रहे थे.
नाविक और रेजुवान खान के बीच 18 दिसंबर को हुई एक फोन कॉल के अनुसार, मलक्का स्ट्रेट में फंसे होने के बाद यह नाव भारत के अधिकार वाले जलक्षेत्र में पहुंच गई थी. रेजुवान खान ने क्विंट के साथ नाव का GPS कोर्डिनेट भी शेयर किया था.
बीच समंदर में फंसी नाव पर सवार लोग पानी और भोजन की कमी से जूझ रहे थे. तब शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (UNHRC) आशियान के सदस्य देशों से इन भूखे शरणार्थियों को तत्काल बचाने के लिए आग्रह कर रहे थे.
रेजुवान खान ने इससे पहले क्विंट को बताया था कि "हम जानते हैं कि यह यात्रा जोखिमों से भरी है लेकिन यहां हमें शिक्षा या काम करने का कोई अधिकार नहीं है. यही कारण है कि लोग इतना बड़ा जोखिम उठा रहे हैं और पलायन कर रहे हैं. उम्मीद है कि कोई देश हमें शरण देगा.”
रेजुवान खान और उनका परिवार पांच साल पहले म्यांमार से बांग्लादेश आया था. रेजुवान खान ने क्विंट को बताया था कि "जब हम शरणार्थी शिविर में पहुंचे, तो हमें उम्मीद थी कि किसी दिन हम वापस जाएंगे. लेकिन पिछले साल म्यांमार में तख्तापलट के बाद, हमने सारी उम्मीद खो दी है. हम इस जीवन को पांच साल से जी रहे हैं, इसलिए हर कोई भागना चाहता है".
UNHCR ने 8 दिसंबर को एक बयान जारी किया था कि एक गैर समुद्री जहाज में रोहिंग्या शरणार्थियों का एक समूह फंसा हुआ है और उस जहाज का इंजन खराब हो गया है. UNHCR ने उस क्षेत्र के देशों से तुरंत बचाव और उन्हें सुरक्षित निकालने की अपील की थी. इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता अलर्ट हो गए थे.
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