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Russia-Ukraine War के एक साल: यूक्रेन फतह का सपना देख पुतिन अपना हाथ जला बैठे?

Vladimir Putin ने Russia की सेना की क्रूरता और यूक्रेनी सेना की दृढ़ता को उजागर करने के अलावा कुछ हासिल नहीं किया है.

आशुतोष कुमार सिंह
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p> व्लादिमीर पुतिन को जर्मनी  में कार्निवल परेड के दौरान खून से नहाते दिखाया गया.</p></div>
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व्लादिमीर पुतिन को जर्मनी में कार्निवल परेड के दौरान खून से नहाते दिखाया गया.

(फोटो- पीटीआई)

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यूक्रेन पर रूसी हमले को शुरू हुए ठीक एक साल गुजर (Russia-Ukraine A Year of War) गए हैं. जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर एक साल पहले 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में 2 लाख रूसी सैनिकों ने घुसपैठ की, तो मकसद साफ था- कुछ ही दिनों में यूक्रेन की राजधानी कीव में कब्जा और वहां की लोकतांत्रिक जेलेंस्की सरकार को सत्ता से बेदखल करना. हालांकि युद्ध के 365 दिन गुजर जाने के बाद पीछे मुड़कर देखने पर मालूम होता है कि व्लादिमीर पुतिन ने शायद यूक्रेन को कमतर आंक लिया था.

Russia-Ukraine War के शुरू होने के एक साल बाद, इस एक्सप्लेनर में हम इन सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करते हैं:

  • पुतिन के नेतृत्व में रूस ने यूक्रन पर आक्रमण क्यों किया था?

  • क्या व्लादिमीर पुतिन अपने मकसद में कामयाब हो गए?

  • क्या रूस युद्ध हार रहा है? कितने रूसी सैनिक मारे गए हैं?

  • रूसी आक्रमण ने यूक्रेन को पश्चिमी शक्तियों के और करीब कैसे कर दिया?

पुतिन के नेतृत्व में रूस ने यूक्रने पर आक्रमण क्यों किया था?

व्लादिमीर पुतिन ने जब 24 फरवरी 2022 को द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से सबसे बड़े यूरोपीय आक्रमण का आदेश दिया तो उसे "विशेष सैन्य अभियान" का नाम दिया. पुतिन ने इस "विशेष सैन्य अभियान" का घोषित लक्ष्य "यूक्रेन में नाजियों का खात्मा और उसका असैन्यीकरण करना" बताया था.

पुतिन ने लोगों को यूक्रेन की कथित दादागिरी और नरसंहार के आठ साल से बचाने की कसम खाई. नाटो को यूक्रेन में पैर जमाने से रोकने की बात कही और यूक्रेन की तटस्थ स्थिति सुनिश्चित करने का एक और उद्देश्य जोड़ा. राष्ट्रपति पुतिन ने कभी भी इसे साफ शब्दों में नहीं कहा, लेकिन एजेंडे में सबसे ऊपर यूक्रेन के निर्वाचित राष्ट्रपति जेलेंस्की की सरकार को गिराना था. जेलेंस्की के सलाहकार के अनुसार, रूसी सैनिकों ने राष्ट्रपति परिसर पर धावा बोलने के दो प्रयास भी किए.

भले ही पुतिन ने इसे युद्ध का नाम नहीं दिया लेकिन इस पूर्ण पैमाने के युद्ध (फुल स्केल वॉर) में पूरे यूक्रेन में नागरिकों पर बमबारी की गयी और 13 मिलियन से अधिक लोगों को या तो विदेश में शरणार्थी के रूप में पलायन करना पड़ा या अपने ही देश के भीतर वे विस्थापित हो गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 24 फरवरी को रूसी आक्रमण के बाद से कम से कम 8,000 आम नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है और लगभग 13,300 घायल हुए हैं. OHCHR ने कई मौकों पर दोहराया है कि वास्तविक संख्या के इससे काफी अधिक होने की आशंका है.

क्या व्लादिमीर पुतिन अपने मकसद में कामयाब हो गए?

युद्ध के एक साल बाद रूस और राष्ट्रपति पुतिन की सबसे बड़ी सफलता रूस की सीमा और क्रीमिया के बीच की जमीन पर ऐसा कब्जा मिलना है. अब रूस इस 'जमीनी पूल' की मदद से उस क्रीमिया तक आसानी से पहुंच सकता है जिसपर 2014 में उसने अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था. अब रूस क्रीमिया तक पहुंच के लिए केर्च जलडमरूमध्य/स्ट्रेट पर अपने पुल पर निर्भर नहीं है.

रूस ने साथ ही रूस के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण मारियुपोल और मेलिटोपोल शहर पर भी कब्जा किया है.

हालांकि युद्ध शुरू होने पर पुतिन ने सपना देखा था कि यूक्रेन का यह अभियान बस कुछ दिनों का होगा और जीत उनके पाले में होगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक साल बाद भी 850 किमी की सक्रिय फ्रंट लाइन पर युद्ध हो रहा है और यूक्रेनी जमीन पर रूसी कब्जा उम्मीद से बहुत कम है. पुतिन जिन पश्चिमी शक्तियों से यूक्रेन को काटना चाहते थे वे आज उसके और करीब आ गई हैं. राष्ट्रपति जेलेंस्की की सरकार अब भी यूक्रेन की सत्ता पर काबिज है और वहां की जनता का उनमें भरोसा गहरा हुआ है.

दिसंबर 2022 में किए गए एक सर्वे में, कीव इंस्टीट्यूट ऑफ सोशियोलॉजी (KIIS) ने पाया कि 84 प्रतिशत यूक्रेनियन जेलेंस्की पर भरोसा करते हैं, जो दिसंबर 2021 में किए गए सर्वे से तीन गुना अधिक है. यूक्रेन में केवल आर्मी के पास इससे बड़ा समर्थन आधार है, 96 प्रतिशत यूक्रेनियन उन पर भरोसा करते हैं.

इसके उलट रूस की अर्थव्यवस्था अभी कई पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रही है. इसका बजट घाटा बढ़ गया है और तेल और गैस से मिलने वाला राजस्व नाटकीय रूप से गिर गया है.

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क्या रूस युद्ध हार रहा है? कितने रूसी मारे गए हैं?

रूस के बॉर्डर से क्रीमिया तक जाने के लिए एक क्षेत्रीय गलियारा मिलने के अलावा, रूस के लिए यह खूनी युद्ध खुद आपदा साबित हुआ है. बेलारूस और चीन जैसे कुछ सदाबहार समर्थक देशों को छोड़ दें तो, इसने रूसी सेना की क्रूरता और यूक्रेनी सेना की दृढ़ता को उजागर करने के अलावा कुछ हासिल नहीं किया है.

नवंबर में खेरसॉन से निप्रो नदी के पार 30,000 रूसी सैनिकों के पीछे हटने को एक रणनीतिक विफलता मानी गयी. रूस की फ्लैगशिप ब्लैक सी बैटल क्रूजर शिप- मोस्कवा का डूबना एक रक्षात्मक विफलता थी. उसे अक्टूबर 2022 में उस समय भी झटका लगा जब यूक्रेनी सेना के हमले के कारण केर्च स्ट्रेट ब्रिज को हफ्तों के लिए बंद करने पर मजबूर होना पड़ा.

यूक्रेन को हथियारबंद करने के खिलाफ पश्चिमी देशों को दी गयीं रूस की चेतावनियों को अनसुना कर दिया गया है. अमेरिका के हिमर्स मिसाइलों ने युद्ध की दिशा को बदलने में मदद की और जर्मन ने लेपर्ड 2 टैंकों का वादा किया है. रूस हमला कर रहा है और बिना डर के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित पश्चिमी देशों के तमाम नेताओं ने यूक्रेन की यात्रा की है.

एक सवाल यह भी है कि इस युद्ध में कितने रूसी सैनिक मारे गए हैं? न तो रूस और न ही यूक्रेन, युद्ध में मरने वाले सैनिकों की कोई डिटेल देते हैं, इसलिए सटीक और विश्वसनीय संख्या बता पाना बहुत मुश्किल है.

बीबीसी रूस की रिपोर्ट के अनुसार युद्ध के पहले वर्ष में मारे गए 14,709 रूसी सैनिकों की पहचान की गयी है और कहा गया है कि वास्तविक संख्या इससे कम से कम दोगुना होगा. इसके अलावा 1 लाख से अधिक रूसी सैनिक घायल या लापता हैं.

इसके अलावा ब्रिटेन की रक्षा मंत्रालय के खुफिया विभाग का मानना ​​है कि रूस की आर्मी और प्राइवेट सैन्य ठेकेदारों ने 40,000 से 60,000 सैनिकों को खो दिया है.

दूसरी तरफ यूक्रेन ने 2022 के अंत में खुलासा किया कि युद्ध शुरू होने के बाद से उसके 10-13,000 सैनिक मारे गए थे. उस आंकड़े की पुष्टि नहीं की जा सकती है.

रूसी आक्रमण ने यूक्रेन को पश्चिमी शक्तियों के और करीब कैसे कर दिया?

रूस के 2022 के आक्रमण के चार महीने बाद, यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन को उम्मीदवार का दर्जा दिया और राष्ट्रपति जेलेंस्की इसे जल्द से जल्द स्वीकार करने पर जोर दे रहे हैं.

पुतिन यूक्रेन को नाटो में प्रवेश करने से रोकने के लिए बेताब थे, लेकिन युद्ध ने उसे पश्चिमी देशों के इस सैन्य गठबंधन के और करीब कर दिया है. नाटो के सदस्य देशों ने यूक्रेन को अपनी रक्षा के लिए वायु रक्षा प्रणाली के साथ-साथ मिसाइलें, टैंक और ड्रोन भेजे हैं.

रूसी खतरे की प्रतिक्रिया के रूप में नाटो का विस्तार भी हुआ - स्वीडन और फिनलैंड ने केवल रूसी आक्रमण के कारण इसमें शामिल होने के लिए आवेदन किया है.

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