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रूस और यूक्रेन लड़ रहे लड़ाई, भारत और पश्चिम के रिश्तों में खटाई!

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध हो रहा है और बीच में पिस रहे हैं कई देशों के रिश्ते.

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<div class="paragraphs"><p>रूस और यूक्रेन लड़ रहे लड़ाई, भारत और पश्चिम के रिश्तों में खटाई!</p></div>
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रूस और यूक्रेन लड़ रहे लड़ाई, भारत और पश्चिम के रिश्तों में खटाई!

(फोटो- अल्टर्ड बाय क्विंट)

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ब्रिटेन (Britain) के साथ भारत के रिश्तों में बदलाव का एक सबूत तब मिला, जब ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस भारत आईं और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनका 45 मिनट का पैनल डिस्कशन हुआ. ट्रस ने इस बातचीत के दौरान कहा कि ब्रिटेन इस साल के अंत तक रूस से तेल लेना बंद कर देगा. उन्होंने सीधे तौर पर भारत से रूस से तेल न लेने की अपील तो नहीं की लेकिन इशारे में अपनी बात कह दी. ट्रस ने कहा कि ब्रिटेन रूसी तेल पर रोक लगा रहा है लेकिन वो यही बात दूसरे देशों से नहीं कह सकता.

इसके जवाब में जयशंकर ने याद दिलाया कि युद्ध से पहले तक यूरोप रूस से कहीं ज्यादा तेल ले रहा था. भारत मुख्य रूप से मिडिल ईस्ट से तेल लेता है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि ये एक कैंपेन जैसा लग रहा है.

जयशंकर ने हिसाब बताया कि यूरोप ने फरवरी की तुलना में मार्च में रूस से 15% ज्यादा तेल लिया है. ऐतिहासिक तौर पर भारत मिडिल ईस्ट के अलावा करीब 7-8% तेल अमेरिका से लेता है. भारत में रूस से तेल आयात 1% से कम भी है. जयशंकर ने कहा कि जब तेल की कीमतें बढ़ रही हैं कि तो स्वाभाविक है कि तमाम देश वहां से तेल लेना चाहेंगे जहां कीमतें कम हैं. जयशंकर डिस्काउंट पर रूस से तेल लेने के बारे में बात कर रहे थे.

जयशंकर ने ये भी कहा कि दो तीन महीने बाद हो सकता है कि यूरोप कहां से तेल कितना तेल खरीदता है , ये वैसा ही हो सकता है जैसा कि युद्ध से पहले था. संभव है कि रूस से तेल आयातक टॉप 10 देशों में भारत नहीं होगा.
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अमेरिका की चेतावनी

इस बीच अमेरिका ने भी कहा है कि वो नहीं चाहता कि कोई देश उसके रूस पर प्रतिबंधों को निष्फल करने की कोशिश करें. भारत की यात्रा पर आए अमेरिका के डिप्टी NSA सलाहकार दलिप सिंह ने कहा कि वो नहीं चाहते कि भारत रूस से तेल आयात बढ़ाए. दलिप सिंह ने यहां तक कह दिया कि अगली बार जब चीन LAC का उल्लंघन करे तो भारत को रूस से मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. विदेश सचिव हर्ष सिंगला से मुलाकात के बाद दलिप सिंह ने कहा कि वो नहीं चाहते कि भारत रूस के सेंट्रल बैंक से कारोबार करे.

भारत के सामने चुनौती ये है कि उसे पश्चिम के साथ-साथ अपने लंबे समय के मित्र देश रूस से भी संबंध सामान्य रखने हैं. कोई ताज्जुब नहीं कि जब संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पास हुए तो भारत गैरहाजिर रहा.

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