Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यूक्रेन ही नहीं ब्रिटेन, पोलैंड, चेक समेत इन देशों से नहीं बैठती रूस की पटरी

यूक्रेन ही नहीं ब्रिटेन, पोलैंड, चेक समेत इन देशों से नहीं बैठती रूस की पटरी

रूस ने स्वीडन और फिनलैंड को भी नाटो में शामिल होनो को लेकर धमकी दी है.

क्विंट हिंदी
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>फिनलैंड और स्वीडन के अलावा किन देशों के साथ हैं रूस के तनावपूर्ण संबंध</p></div>
i

फिनलैंड और स्वीडन के अलावा किन देशों के साथ हैं रूस के तनावपूर्ण संबंध

(फोटो- क्विंट हिन्दी)

advertisement

रूस (Russia) ने और यूक्रेन पर हमला करके उसे तबाही के कगार पर धकेलना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही बेलगाम रूस ने फिनलैंड व स्वीडन जैसे पड़ोसी जैसे देशों को भी नाटो में शामिल होने पर मिलिट्री और पॉलिटिकल एक्शन भुगतने की धमकी दी है. रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन को अन्य देशों की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाकर अपनी सुरक्षा बढ़ाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, इसके गंभीर सैन्य राजनीतिक नतीजे सामने आ सकते है. अपने इस रवैए से रूस ने साबित कर दिया है कि उसके और भी कई देशों से रिश्ते बिगड़ने के कगार तक पहुंच चुके हैंं. इतिहास के आइने में झांककर आइए जानते हैं कि कौन-कौन से और ऐसे देश हैं जिनको रूस ने टेढ़ी नजरों से देखा और उनकी रूस से तल्खी बनी रही.

ब्रिटेन: बनते बिगड़ते रिश्ते

यूक्रेन रूस जंग के दौरान रूस और यूनाइटेड किंगडम के बीच तनाव स्पष्ट तौर पर देखने को मिला है. इससे पहले भी दोनों देशों के बीच रिश्ते बनते बिगड़ते रहे हैंं. 19वीं शताब्दी की शुरुआत में रूस और ब्रिटेन नेपोलियन के खिलाफ सहयोगी बन गए. पर 1850 में बाद हुए क्रीमियन युद्ध में वे दुश्मन बन गए.

1917 की रूस की क्रांति ने संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया. शीत युद्ध (1947-1989) के दौरान दोनों देशों में संघर्ष जैसी स्थिति देखने को मिली. 1991 में यूएसएसआर के विघटन के बाद 1990 के दशक में रूस के बड़े व्यापारिक टाइकून ने लंदन के वित्तीय संस्थानों के साथ मजबूत संबंध विकसित किए.

21वीं सदी की शुरुआत में, विशेष रूप से 2006 साल से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए.

पोलैंड: रूस के आंंखों की किरकिरी

पोलैंड और रूस के बीच संबंध साम्यवाद के पतन के साथ शुरू होते हैं. आधुनिक दौर में पोलैंड और रूस के बीच संबंध लगातार उतार-चढ़ाव से ग्रस्त रहे हैं. पोलैंड, रूस के प्रभाव क्षेत्र से दूर होकर नाटो व यूरोपीय संघ में शामिल हुआ, तो रूस को यह बात कतई पसंद नहीं आई. पोलैंड ही यूक्रेन की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाला पहला देश था, ऐसे में पोलैंड का रूस के आंंखों की किरकिरी होना स्वाभाविक ही है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

लिथुआनिया के प्रति शत्रुता का भाव

1990 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ के टूटने के बाद से, लिथुआनिया और रूस के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है. 1990 में लिथुआनिया स्वतंत्रता प्राप्त की और बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में रूसी संघ के बीच पारस्परिक समर्थन प्राप्त किया. 2000 से 2010 तक लिथुआनिया और रूस के बीच आपसी इतिहास और वर्तमान मुद्दों जैसे मामलों पर राजनीतिक असहमति उभरकर सामने आई. सोवियत कब्जे के कारण देश को हुए नुकसान के मुआवजे की लिथुआनियाई अधिकारियों की मांगों को मास्को की ओर से पूरा तो किया गया, पर साथ ही उसके प्रति शत्रुता का भाव मन में बैठा लिया.

चेक गणराज्य: डिप्लोमेट्स को देश निकाला

चेक गणराज्य और रूसी संघ दोनों यूरोप की परिषद और यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन के पूर्ण सदस्य हैं. 2014 में क्रीमिया पर रूसी कब्जे और 2018 में सर्गेई स्क्रिपल जैसी घटनाओं के कारण हाल के वर्षों में संबंध काफी बिगड़ गए हैं. पिछले साल चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस ने अपने देश में हुए एक बड़े विस्फोट का आरोप रूसी सेना पर मढ़ा था, और 18 रूसी राजनयिकों को रूस का जासूस बताकर निष्कासित कर दिया था. इसके जवाब में रूस ने चेक के 20 डिप्लोमेट्स ने एक दिन के भीतर देश निकाला दे दिया था.

बाल्टिक कंट्रीज: देशों को हमले काका डर

बाल्टिक कंट्रीज में से लिथुआनिया का हम ऊपर जिक्र कर चुके हैं, पर एस्टोनिया, लातविया जैसी बाल्टिक कंट्रीज सोवियत यूनियन का अंग रही थे और उनमें भी रशियन लोगों की काफी आबादी है. रूस इस वजह से इन कंट्रीज से भी रूस का समीकरण यूक्रेन जैसा ही रहा है. इन देशों को डर है कि यूक्रेन के बाद उन पर भी हमला हो सकता है. एस्टोनियाई इंटेलीजेंस ने सैन्य संघर्ष की चेतावनी भी दी है. लातविया और एस्टोनिया सभी नाटो (NATO) मेम्बर हैं. ये देश रूस की सीमा के करीब हैं और कलिनिनग्राद के रूसी सैनिक ठिकानों के पास हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT