Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Russia-Ukraine War:हजारों मौत,वर्ल्ड इकनॉमी त्राहिमाम- 100 दिन बाद युद्ध की कीमत

Russia-Ukraine War:हजारों मौत,वर्ल्ड इकनॉमी त्राहिमाम- 100 दिन बाद युद्ध की कीमत

Russia-Ukraine War का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है? इसने कितने लोगों को रिफ्यूजी बना दिया?

क्विंट हिंदी
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p><strong>Russia-Ukraine War</strong></p></div>
i

Russia-Ukraine War

(फोटो- Quint)

advertisement

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को शुरू हुए शुक्रवार, 3 जून को ठीक 100 दिन (Russia-Ukraine War 100 days) पूरे हो गए. जब 24 फरवरी को रूसी हमला शुरू हुआ, तो अधिकांश वॉर एक्सपर्ट्स ने भविष्यवाणी की थी कि एक सप्ताह में यूक्रेन समर्पण कर देगा. हालांकि युद्ध के 100 दिन बीतने के बात वास्तविकता इससे काफी अलग है. यूक्रेनी की सेना ने राजधानी कीव और देश के मध्य भाग से रूसी सैनिकों को पीछे धकेल दिया है. अब रूस-यूक्रेन युद्ध पूरी तरह से यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में शिफ्ट हो गया है.

आइये जानते हैं कि इस 100 दिनों में रूस-यूक्रेन युद्ध ने जमीनी स्तर पर क्या बदला है. यूक्रेन के कितने और किन हिस्सों पर रूस ने कब्जा कर लिया है? इस युद्ध में कितने लोगों और सैनिकों की मौत हुई है? इस युद्ध की आर्थिक कीमत क्या रही है?

Russia-Ukraine War: यूक्रेन के कितने और किन हिस्सों पर रूस ने कब्जा कर लिया है?

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदीमिर जेलेंस्की ने गुरुवार, 2 जून को कहा कि रूस ने उनके देश के लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र पर अपना नियंत्रित कर लिया है.

सैन्य ताकत में जमीन-आसमान का फर्क होने के बावजूद यूक्रेनी सेनाओं ने मध्य, उत्तरपूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन के बड़े हिस्से में रूस की सेनाओं के खिलाफ सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी है.

दूसरी तरफ डोनबास क्षेत्र (Donbas region) में रूसी सैनिकों का बड़े स्तर पर बमबारी करना जारी है. Donbas यूक्रेन के पूर्वी भाग में है. यूक्रेन के पूर्वी भाग में रूस का एक टारगेट Severodonetsk है, जो लुहान्स्क ओब्लास्ट में एक माइनिंग और औद्योगिक शहर है.

लुहांस्क के गवर्नर ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि रूसी सेना पहले से ही 90 प्रतिशत से अधिक ओब्लास्ट पर नियंत्रण कर चुकी है. लुहान्स्क में यूक्रेन के नियंत्रण वाला अंतिम प्रमुख शहर Severodonetsk है.

तीव्र रूसी हमलों के कारण यूक्रेनी सेना कथित तौर पर पश्चिम की ओर पीछे हट रही है. मारियुपोल पर पहले ही रूस का कब्जा हो चुका है.

Russia-Ukraine War में अबतक कितने लोगों और सैनिकों की मौत हुई है?

कोई भी वास्तव में नहीं जानता कि कितने लड़ाके या नागरिक इस युद्ध में अबतक मारे गए हैं. दोनों देशों के सरकारी आंकड़ों द्वारा मारे गए लोगों और सैनिकों के दावों को सत्यापित करना असंभव है.

फिर भी ऑफिस ऑफ UN हाई कमिशन फॉर ह्यूमन राइट्स (OHCHR) के अनुसार रूसी हमले के शुरू होने से लेकर 1 जून तक यूक्रेन में 9094 नागरिक हताहत हुए, जिसमें से 4149 लोग मारे गए और 4945 घायल हुए. OHCHR के अनुसार वास्तविक आंकड़े इससे काफी अधिक हैं.

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया है कि "कम से कम दसियों हजारों" यूक्रेनी नागरिकों की अब तक मौत हो चुकी है जबकि 243 बच्चे मारे गए हैं और 2 लाख बच्चों को जबरदस्ती रूस ले जाया गया है.

Forbes की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया है कि रूस ने युद्ध में अपने 30 हजार से अधिक सैनिकों को खो दिया है, जबकि NATO और यूनाइटेड किंगडम के रक्षा मंत्रालय ने कम से कम 15 हजार रूसी सेना के मारे जाने का अनुमान लगाया है.

जेलेंस्की ने इस सप्ताह कहा था कि 60 से 100 यूक्रेनी सैनिक हर दिन युद्ध में मारे जा रहे हैं और लगभग 500 घायल हो रहे हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

Russia-Ukraine War ने कितनों को रिफ्यूजी बना दिया?

United Nations High Commissioner for Refugees के आंकड़ों के अनुसार 29 मई तक, 68 लाख से अधिक लोग यूक्रेन से जान बचाकर भाग चुके हैं. पोलैंड ने सबसे अधिक यूक्रेनी रिफ्यूजियों को शरण दी है, जिसके बाद रोमानिया का स्थान है.

हालांकि यह ट्रेंड हाल हाल में कुछ बदलता दिख रहा है. पोलैंड से कई रिफ्यूजियों ने अपने देश यूक्रेन में वापसी की है. पिछले तीन महीनों में यूक्रेन के रिफ्यूजियों को शरण देने वाले दूसरे पड़ोसी देशों में भी इसी तरह के ट्रेंड देखने को मिले हैं.

Russia-Ukraine War: किस देश में यूक्रेन की अबतक कितनी मदद की?

जहां तक ​​सैन्य और वित्तीय सहायता का सवाल है अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन को हथियार और धन की मदद जारी रखी है. अमेरिका ने इसी सप्ताह की शुरुआत में यूक्रेन पर आक्रमण शुरू होने के बाद से $700 मिलियन की सैन्य सहायता के 11वें पैकेज की घोषणा की है. अमेरिका इसबार 4 यूनिट M142 Himars भी यूक्रेन भेजेगा, जो एक आधुनिक और हाई टेक्नोलॉजी वाला मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम है.

दो सप्ताह पहले यूरोपीय यूनियन के प्रेसिडेंट Ursula von der Leyen ने युद्धग्रस्त अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने के लिए यूक्रेन को 9.5 अरब डॉलर तक की वित्तीय सहायता का प्रस्ताव दिया था.

यूरोपीय यूनियन से बाहर हो चुका यूके भी यूक्रेन को मजबूत समर्थन दे रहा है. उसने यूक्रेन के साथ व्यापार पर सभी शुल्कों को हटा लिया है और साथ ही रूस से निर्यात और आयात पर प्रतिबंध लगा रहा है.

Russia-Ukraine War की आर्थिक कीमत क्या रही है?

अभी रूस-यूक्रेन को शुरू हुए एक हफ्ते ही गुजरे थे कि Economist Intelligence Unit (EIU) ने एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था को युद्ध की कम से कम $400bn (£300bn) कीमत चुकानी होगी. आगे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अप्रैल के मध्य में वैश्विक विकास दर, जो 2021 में अनुमानित 6.1 प्रतिशत थी, उसे 2022 में घटाकर 3.6 प्रतिशत कर दिया.

अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन के वित्त मंत्री Serhiy Marchenko ने कहा कि युद्ध में यूक्रेन ने अब तक सैन्य और मानवीय खर्चों पर 8.3 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं जो यूक्रेन के सलाना बजट का आठवां हिस्सा है. साथ ही कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट है कि यूक्रेनी इंफ्रास्ट्रक्चर को लगभग 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है जबकि कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि यह इससे काफी अधिक है.

हालांकि रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन को अमेरिका से $53.6 बिलियन और यूरोपीय यूनियन से 4.5 बिलियन यूरो ($4.8bn) की मदद मिल चुकी है.

रूस को यूक्रेन की अपेक्षा कम आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है. फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार रूस के लिए युद्ध की कीमत अभी तक 13 बिलियन डॉलर का रहा है. लेकिन कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि रूस ने युद्ध के दौरान एनर्जी एक्सपोर्ट करके इसको कवर कर लिया है.

रूस-यूक्रेन युद्ध ने लगभग हर देश की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डाला है. रूसी आक्रमण के साथ भारत में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई. भारत में वार्षिक महंगाई दर इस साल अप्रैल में 7.8 प्रतिशत हो गई, जो मई 2014 के बाद सबसे अधिक है. वनस्पति तेल, गेहूं, सरसों का तेल और चीनी के सप्लाई पर इस युद्ध का सबसे अधिक प्रभाव दिखा.

भारत में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने पहले से ही बिगड़ती स्थिति को और बढ़ा दिया. 2022 की शुरुआत में क्रूड ऑयल की कीमत करीब 80 डॉलर प्रति बैरल थी लेकिन रूस-यूक्रेन संकट के तुरंत बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था असर दिखा और क्रूड ऑयल 128 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर पर चला गया. क्रूड ऑयल की कीमतें 31 मई को 122.8 डॉलर प्रति बैरल थी.

रूस-यूक्रेन युद्ध से बाजार भी काफी प्रभावित हुए हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले तीन महीनों में भारतीय बाजारों से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक निकाल लिए हैं.

अमेरिका सहित तमाम बड़े अर्थव्यवस्था वाले देशों की तरह ही भारत के केंद्रीय बैंक को भी बढ़ती महंगाई के कारण अपने बेंचमार्क ब्याज दर (रेपो रेट) में इजाफा करना पड़ा. अनुमान जताया जा रहा है कि RBI अगले सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में एक बार फिर 0.40 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT