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Vladimir Putin के खिलाफ ICC ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट, इसके क्या हैं मायने?

Vladimir Putin arrest warrant: कोर्ट ने पुतिन पर वॉर क्राइम जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं.

मोहन कुमार
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>Vladimir Putin के खिलाफ ICC ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट, इसके क्या हैं मायने?</p></div>
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Vladimir Putin के खिलाफ ICC ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट, इसके क्या हैं मायने?

(फोटो: क्विंट)

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अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय यानी ICC ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. कोर्ट ने पुतिन पर वॉर क्राइम जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट क्या है? रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ वारंट क्यों जारी किया गया है और इसके क्या मायने हैं?

पुतिन के खिलाफ वारंट क्यों जारी किया गया?

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का कहना है कि पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेनी बच्चों के अपहरण और निर्वासन के लिए पुतिन व्यक्तिगत रूप से आपराधिक तौर जिम्मेदार हैं. अदालत ने रूस की बाल अधिकार आयुक्त मारिया अलेक्सेयेवना लावोवा-बेलोवा की गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया है. अदालत ने एक बयान में कहा,

"यह मानने के उचित आधार हैं कि प्रत्येक आरोपी वार क्राइम- जनसंख्या के अवैध निर्वासन और यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों से रूसी संघ में आबादी के अवैध हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार हैं."

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अक्टूबर 2022 में रूस द्वारा यूक्रेनी बच्चों के पुनर्वास की खबर छापी थी. बच्चों ने जबरदस्ती और धोखे से उन्हें ले जाने का आरोप लगाया था. हालांकि, रूस ने मानवीय आधार पर पुनर्वास का बचाव किया था.

पुतिन के लिए वारंट का क्या मतलब है?

मानवाधिकार समूहों ने ICC के इस फैसले की तारीफ की है और यूक्रेन में रूस द्वारा किए जा रहे वार क्राइम के खिलाफ एक बड़ा कदम करार दिया है. हालांकि, पुतिन के सत्ता में रहते हुए ट्रायल की संभावना बेहद कम है. क्योंकि अदालत प्रतिवादियों की अनुपस्थिति में सुनवाई नहीं कर सकती है. वहीं रूस ने साफ कहा है कि वह अपने अधिकारियों को सरेंडर नहीं करेगा.

रूस के विदेश मंत्रालय ने ICC के इस वारंट को तुरंत खारिज कर दिया है. यह देखते हुए वह अदालत का पक्षकार नहीं है. फिर भी, पुतिन की गिरफ्तारी वारंट से पश्चिम देशों से उनका अलगाव और गहरा होगा. इसके साथ ही उनके विदेश आने-जाने पर भी लगाम लग सकती है.

अगर पुतिन किसी ऐसे देश की यात्रा करते हैं जो आईसीसी का पक्षकार है, तो उस देश को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों के अनुसार उन्हें गिरफ्तार करना होगा.

अमेरिकी विदेश विभाग में वैश्विक आपराधिक न्याय कार्यालय के पूर्व राजदूत स्टीफन रैप ने कहा, “अगर वह यात्रा करते हैं तो उनपर गिरफ्तारी का खतरा बना रहेगा." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वारंट का पालन किए बिना रूस प्रतिबंधों से राहत नहीं पा सकता है.

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क्या पुतिन को गिरफ्तार किया जा सकता है?

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के पास किसी भी देश के नेता या किसी भी शख्स को गिरफ्तार करने की शक्तियां नहीं हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उसके पास खुद का कोई पुलिस बल नहीं है. इंटरनेशनल लॉ के मुताबिक, ICC किसी भी देश के लीडर को दोषी तो ठहरा सकता है, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है लेकिन उनकी गिरफ्तारी के लिए वह दुनियाभर के देशों पर निर्भर रहता है.

ऐसे में पुतिन की गिरफ्तारी के दो ही तरीकों से हो सकती है. पहला- पुतिन को प्रत्यार्पित किया जाए, दूसरा- रूस के बाहर किसी अन्य देश में गिरफ्तार किया जाए.

हालांकि, ICC अपने सदस्य देशों पर इस बात को लेकर दबाव बना सकती है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सदस्य देश पूरी तरह से ICC के दबाव में आ ही जाएं.

क्या ट्रायल से बच जाएंगे पुतिन?

रूस ने राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी पर पर कहा कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का फैसला कानूनी रूप से "शून्य" है, क्योंकि मॉस्को हेग स्थित अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है. रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मीडिया से कहा,

"रूस, कई अन्य देशों की तरह, इस अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है. रूस आईसीसी का सदस्य भी नहीं है, इसलिए कानूनी दृष्टिकोण से, इस अदालत के फैसले शून्य हैं."

इसका सीधा मतलब है कि रूस के लिए इस वारंट का कोई महत्व नहीं है. जानकारों की माने तो जब तक रूस में सत्ता परिवर्तन नहीं होता है तब तक पुतिन के खिलाफ ICC में ट्रायल संभव नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय क्या है?

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को दो दशक पहले एक स्थायी निकाय के रूप में 1998 की संधि के तहत युद्ध अपराधों, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए बनाया गया था, जिसे रोम कानून के रूप में जाना जाता है.

कई देश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में शामिल हैं, जिसमें ब्रिटेन सहित करीबी अमेरिकी सहयोगी भी शामिल हैं. हालांकि, अमेरिका ने लंबे समय से अपनी दूरी बनाए रखी है. वहीं रूस भी इसका सदस्य नहीं है.

अदालत की आधिकारिक बैठक द हेग, नीदरलैंड में होती है, लेकिन इसकी कार्यवाही कहीं भी हो सकती है.

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