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21 जून 2017 यानी करीब एक साल पहले सऊदी अरब में वो हुआ, जो शायद पहले कभी नहीं हुआ था. इस दिन सऊदी अरब के तत्कालीन किंग सलमान बिन अब्दुल ने मोहम्मद बिन सलमान (MBS) को अपना क्राउन प्रिंस घोषित किया था. किंग सलमान ने अपने तीन बड़े बेटों को नजरअंदाज करते हुए अपनी पसंदीदा पत्नी के बेटे MBS को वारिस बनाया, वो सऊदी के रक्षामंत्री भी हैं.
MBS के सत्ता में आते ही सऊदी में बड़े बदलाव नजर आने लगे हैं. इस एक साल में सामाजिक, आर्थिक और राजनीति के स्तर सऊदी अरब बिलकुल बदला-बदला नजर आ रहा है. 24 जून को 60 साल बाद पहली बार देश की महिलाओं ने सड़कों पर कार दौड़ाई
मोहम्मद बिन सलमान ने उस वक्त सत्ता संभाली थी, जब कतर के साथ खाड़ी देशों का विवाद चल रहा था. इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे संगठनों के समर्थन का आरोप लगाते हुए सऊदी अरब, मिस्र, यूनाइटेड अरब अमीरात, बहरीन, यमन और लीबिया जैसे देशों ने कतर पर बैन लगा दिया था.
कार्रवाई की इन देशों ने, क्रेडिट ले गया अमेरिका. उस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने खुल्लमखुल्ला ये ऐलान किया था कि उनके पश्चिम एशिया के दौरे का फायदा आतंक को मिटाने में मिल रहा है. सऊदी अरब, अमेरिका के रिश्तों को और मजबूत करने की ये शायद नए सिरे से शुरुआत थी.
अपनी उदारवादी, लेकिन सख्त छवि के लिए सुर्खियों में रहने वाले मोहम्मद बिन सलमान ने नवंबर में 'घर' की सफाई शुरू की. 4 नवंबर की रात को, रियाद के होटल रिट्ज कार्ल्टन में 11 प्रिंस, 4 मंत्री और कुछ पूर्व मंत्रियों को कैद कर लिया गया. करीब 200 ऐसे लोग थे, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में नजरबंद किया गया था. महज 4 हफ्ते बाद ही खबर आई की एक मशहूर प्रिंस मितब बिन अब्दुल्ला को 1 अरब डॉलर यानी करीब 6.5 हजार करोड़ रुपये देने के एवज में छोड़ा गया है.
कुछ दूसरी नजरबंद हस्तियां भी अवैध तरीके से कमाई गई रकम का कुछ हिस्सा वापस करने को तैयार हो गईं. ब्लूमबर्गक्विंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह की वसूली से करीब 100 बिलियन डॉलर की कमाई का क्राउंन प्रिंस का प्लान था. भ्रष्टाचार के खात्मे के साथ कमाई की सेटिंग भी क्राउन प्रिंस की बड़ी योजनाओं में से एक था.
इन सबके बीच 33 साल के क्राउन प्रिंस ने रूढ़िवादी राजशाही के तौर पर पहचाने जाने वाले देश सऊदी अरब का सामाजिक ढांचा बदलने की पुरजोर कोशिश की. क्राउन प्रिंस की ये पहल ‘नेशनल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम 2020’ और ‘विजन 2030’ का हिस्सा है. इसका रोडमैप साल 2016 में खींचा गया था.
सऊदी अरब की महिलाओं के बारे में जो दुनियाभर में धारणाएं बन चुकी हैं, उन्हें तोड़ने के लिए क्राउन प्रिंस ने ताबड़तोड़ काम किए हैं. अमेरिका में एक इंटरव्यू में MBS ने 1979 के बाद सऊदी अरब में फैले रूढ़िवाद के बारे में कहा, ''हम पीड़ित हैं, विशेषकर मेरी पीढ़ी जो इससे जूझ रही है.''
देश की इमेज सुधारने के लिए सबसे प्रभावशाली दोस्त अमेरिका को अपने नजदीक लेकर आना की पहल क्राउन प्रिंस ने की. साथ ही अपने दुश्मन देश को सख्त चेहरा दिखाना भी सऊदी नहीं भूला. इस साल मार्च में MBS अपने पहले विदेशी दौरे में इजिप्ट, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस स्पेन जैसे देशों में पहुंचे. अमेरिका में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया.
अमेरिका की तरफ से भी सऊदी अरब के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए गए. मई में अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया, जिसका तुरंत ही सऊदी ने स्वागत किया था.
इजरायल को लेकर भी सऊदी अरब की राजशाही में अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल देखने को मिला. क्राउन प्रिंस ने साफ-साफ कहा था कि इजरायल को अपनी जमीन रखने का अधिकार है. ये खास इसलिए भी है, क्योंकि सऊदी अरब और इजरायल के बीच अब भी कोई औपचारिक राजनयिक रिश्ते नहीं हैं.
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